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तीन वर्ष से अधिक समय पूर्व उधार दी गयी धनराशि की वापसी के लिए दीवानी वाद का उपाय संभव नहीं

समस्या-

विकास ने सादुपुर, ग्राम जेवरा, जिला फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे पापा ने मेरे चाचा को प्लॉट खरीदने के लिए 2008 में 2,50,000/- ढाई लाख रुपया एसबीआई बैंक के दो चैकों के माध्यम से दिया था जो चाचा के खाते में हस्तान्तरित हुए थे। चाचा ने ना ही ज़मीन में हिस्सा दिया, ना ही उधार ली गयी धनराशि वापस की है। क्या मेरे पिताजी को उक्त धनराशि वापस मिल सकती है? बैंक पासबुक में चैक नम्बर, धनराशि और तिथि अंकित है लेकिन चाचा का अकाउंट नम्बर नहीं दिखाई दे रहा है।

समाधान-

आपकी समस्या उधार दी गयी धनराशि को वापस प्राप्त करने की है। जिसके लिए आपके पिताजी के खाते के विवरण से यह पता लगता है कि वर्ष 2008 में रुपए 2,00,000/- आपके पिता द्वारा आपके चाचा को दिए गए थे। लगता है इसके अलावा कोई सबूत आपके पिताजी के पास नहीं है जिससे यह पता लगे कि यह धनराशि उधार दी गयी थी, न कि किसी अन्य कारण से।

यदि किसी तरह यह साबित भी कर दें कि आपके चाचा ने उधार रुपया लिया था और लौटाया नहीं। तब भी कानून का सिद्धान्त यह है कि जैसे ही किसी दावे के लिए कारण उत्पन्न हो जाए जल्दी से जल्दी दावा प्रस्तुत करना चाहिए। दावों को प्रस्तुत करने की भी समय सीमा होती है जो परिसीमा अधिनियम द्वारा शासित होती है। इस अधिनियम में किसी भी तरह की धनराशि की वसूली के लिए धनराशि उधार दिए जाने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि में वाद न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए। इस के बाद व्यक्ति का वाद प्रस्तुत करने का अधिकार समाप्त हो जाता है।

आपके पिताजी को उक्त धनराशि उधार दिए 3 वर्ष से अधिक 13 वर्ष हो चुके हैं। वैसी स्थिति में आपके पिताजी का उधार दी गयी धनराशि वापस प्राप्त करने के लिए न्यायालय में वाद संस्थित करने का कोई उपाय शेष नहीं रह गया है। आपके पिता अब उक्त धनराशि आपके चाचा से वापस प्राप्त नहीं कर सकते। यह राशि आपके पिता केवल एक रीति से वापस प्राप्त कर सकते हैं। यदि कोई धनराशि आपके चाचा आपके पिता को किसी भी कारण से दें तो आपके पिता उस राशि में से 2,50,000/- रुपए की धनराशि वापस लौटाने से मना कर सकते हैं क्योंकि उस स्थिति में आपके पिता अपनी उधार दी गयी राशि को उस राशि में से वसूल कर सकते हैं।

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