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तीसरी सन्तान से प्रमोशन में अड़चन तो न होगी?

पदोन्नतिसमस्या-

विक्की ने अजमेर से राजस्थान राज्य की समस्या भेजी है कि-

मैं इस समय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार में कार्यरत हूँ। मैं ने प्रोबेशन काल जुलाई 2014 में पूरा कर लिया। मेरी नियुक्ति के समय मात्र दो पुत्रियाँ थीं बाद में अगस्त 2013 में एक छोटी पुत्री का गोदनामा पंजीकरण करवा लिया एवं भारतीय राज पत्र में प्रकाशन के लिये आवेदन किया हुआ है। मुझे बताए कि तीसरी सन्तान होने पर भविष्य में दो ही सन्तान दर्शानी होगी या तीन। भविष्य में राजस्थान सरकार की नौकरी में प्रमोशन आदि किसी लाभ से वंचित तो नहीं होना पड़ेगा?

ब्रजमोहन मीना ने  हनुमानगढ, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मै राजस्‍थान पुलिस से कानिस्‍टेबल के पद पर हूँ, मेरे दो संतान जन्‍म लेने के बाद एक संतान गोद चली गई थी उसके बाद एक संतान ने और जन्‍म लिया है अब मेरे पास दो संतान है लेकिन मेरे विभाग ने मेरी एक संतान गोद जाने के बावजूद भी तीनो संताने मेरी मान कर मेरा प्रमोशन रोक रहे है। मेरा गोदनामा रजिस्‍ट्रार से से रजिस्‍टर्ड है। क्‍या राजस्‍थान सरकार की नौकरी में दो से अधिक संतान सम्‍बधी नियम में गोदनामा प्रभावित नहीं है? यदि इस सम्‍बंध में माननीय न्‍यायालय का निर्णय आया होतो देने की कृपा करे। क्‍या मुझे न्‍यायालय की शरण लेनी चाहिए?

समाधान-

राजस्थान सरकार का सरकारी सेवा में दो से अधिक संन्तानें होने सम्बन्धी नियम निम्न प्रकार है-

 “No candidate shall be eligible for appointment to the service who has more than two children on or before1-6-2002.

Provided that where a candidate has only one child from earlier delivery but more than one child are born out of a single subsequent deliver, the children so born shall be deemed to be one entity while counting the total number of children.”

“(1) No person shall be considered for promotion for 5 recruitment years from the date on which his promotion becomes due, if he/she has more than two children on or after 1st June, 2002.

Provided that the person having more than two children shall not be deemed to be disqualified for promotion so long as the number of children he/she has on 1st June, 2002, does not increase.

Provided further that where a Government Servant has only one child from the earlier delivery but more than one child are born out of a single subsequent deliver, the children so born shall be deemed to be one entity while counting the total number of children.”

स नियम में यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जिस के 1 जून 2002 या उस के बाद दो से अधिक संन्तानें हुईं तो वह पाँच रिक्रूटमेंट वर्षों के लिए पदोन्नति के लिए अयोग्य माना जाएगा। यदि किसी व्यक्ति के 1 जून 2002 के पहले हो चुकी सन्तानों की संख्या के आधार पर किसी को अयोग्य नहीं माना जाएगा।

स नियम की न्यायालयों द्वारा की गई व्याख्याएँ अभी उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण विक्की को पहले यह करना चाहिए कि वे अपने सेवा अभिलेख में यह दर्ज कराएँ कि वे अपनी एक सन्तान को दत्तक दे चुके हैं और अब उन्हें केवल एक ही सन्तान है। उस के बाद उन्हें अगली सन्तान के गर्भ में आने से पहले अपने नियुक्त अधिकारी से यह स्पष्ट कर लेना चाहिए कि क्या वे एक सन्तान को और जन्म दे सकते हैं? यदि वे देते हैं तो उन्हें प्रमोशन से वंचित तो नहीं कर दिया जाएगा।

में विक्की के मामले में नहीं लगता कि उन्हें इस तरह की अनुमति प्राप्त होगी। क्यों कि वैसी स्थिति में दो से अधिक संतानों को जन्म देने पर जो बाधा उत्पन्न हुई है उस से बचने का एक तरीका निकाल लिया जाएगा। जब तक स्वयं नियम में संशोधन के माध्यम से नियम में कोई छूट न दे दी जाए तब तक वे अगली सन्तान को जन्म देने के कारण पदोन्नति से वंचित हो सकते हैं।

ब्रजमोहन जी की समस्या का भी वर्तमान में कोई हल दिखाई नहीं देता। उन की एक सन्तान गोद तो चली गई लेकिन संभवतः उन्हों ने सन्तान गोद देने पर अपने अभिलेख में सन्तानों की संख्या कम कराने के लिए कोई आवेदन दे कर उसे कम नहीं कराया। सरकारी रिकार्ड में तो उन के तीन सन्तानें हो चुकी हैं। फिर भी उन्हें नुकसान हो रहा है तो हमारी राय में उन्हें न्यायालय की शरण लेनी चाहिए और ऐसे अधिवक्ता की मदद लेनी चाहिए जो न्यायालय को यह समझा सके कि दिनांक 1 जून 2002 के बाद किसी भी समय वे वास्तव में दो सन्तानों के पिता नहीं रहे हैं। हो सकता है उन्हें न्यायालय से राहत मिल जाए।

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