दान क्या है? क्या दान में प्राप्त संपत्ति को बेचा जा सकता है?
|समस्या-
दान क्या है और क्या दान में प्राप्त संपत्ति को बेचा जा सकता है?
-भव्या, उदयपुर, राजस्थान
समाधान-
आप को दान के सम्बन्ध में जानना चाहिए कि विधिक रूप से दान क्या है?
दान भी एक तरह का स्वेच्छा से किया गया चल या अचल संपत्ति का हस्तान्तरण है जिस में संपत्ति हस्तान्तरित करने वाला व्यक्ति संपत्ति प्राप्त करने वाले व्यक्ति से कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं करता है। संपत्ति हस्तान्तरित करने वाला व्यक्ति दाता तथा प्राप्त करने वाला व्यक्ति दानग्रहीता कहा जाता है। दानग्रहीता द्वारा दान को ग्रहण करने की स्वीकृति दाता के जीवनकाल में दिया जाना आवश्यक है। दानग्रहीता द्वारा स्वीकृति देने के पूर्व दाता की मृत्यु हो जाए तो ऐसा दान निरस्त हो जाता है। दान के आवश्यक तत्व संक्षेप में निम्न प्रकार हैं-
- दान को स्वेच्छा से किया गया होना चाहिए तथा कोई प्रतिफल प्राप्त किया गया नहीं होना चाहिए;
- दाता केवल वही संपत्ति दान कर सकता है जिस का वह एक मात्र स्वामी है;
- दानग्रहीता को दान स्वीकार होना चाहिए, यह स्वीकृति दाता के जीवन काल में ही दी जानी चाहिए। एक अवयस्क भी दानग्रहीता हो सकता है। संरक्ष अपने अवयस्क प्रतिपाल्य की ओर से दान ग्रहण को स्वीकार कर सकता है लेकिन तभी जब कि दान के साथ कोई दायित्व भी न हो।
- चल संपत्ति का दान केवल पंजीकृत विलेख के माध्यम से ही हो सकता है।
- दान के साथ दान की गई संपत्ति के उपयोग के संबंध में शर्तें हो सकती हैं।
दान की गई संपत्ति को दानग्रहीता द्वारा विक्रय किए जाने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहां है लेकिन दान के साथ उस के उपयोग के संबंध में कोई शर्त हो सकती है। आप ने आप के द्वारा इंगित संपत्ति के संबंध में यह नहीं बताया कि संपत्ति क्या है? किस ने किस व्यक्ति को दान की है? क्या दान को स्वीकार किया जा चुका है? और क्या दान के साथ कोई शर्त भी है? यदि दान के साथ कोई शर्त नहीं है तो दान में प्राप्त की गई संपत्ति को विक्रय किया जा सकता है। लेकिन दान में प्राप्त संपत्ति को विक्रय करने और क्रय करने के पहले विक्रेता और क्रेता को यह जान लेना चाहिए कि संपत्ति हस्तान्तरण योग्य है अथवा नहीं।
क्या संयुक्त अविभाजित अचल संपत्ति का दान किया जा सकता है जब चार भाई हो तो किसी एक के पक्ष में दान किया जा सकता है
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मेरी एक जमीन थी जिसे मेने बेच दिया था और जिन्होंने उसे ख़रीदा था उनके नाम पर पटा बन गया है अब १साल बाद उस जमीन पर विवाद आ गया है कि वह जमिन पुराने रिकाड पर किसी आदीवासी के नाम पर है यह जमीन मेरे पीताजी के नाम पर थी जो की अब हम वारीसो के नाम पर हो गई और हमने उसे पैसो की जरूत के चलते बेंच दीया अब वह जमीन पर हम पर कोई कायवाई होगी हम कया करे हमे राय दें कृपया
जब आप के विरुद्ध कार्यावाही हो जाए तब बताएँ कि क्या कार्यवाही हुई है। उसे देख कर ही उपाय बताया जा सकता है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.मुस्लिम विधि में तलाक पुरुष का अधिकार है।
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने
धन्यवाद्
लेकिन दिनेश जी कई बार लोग वयीसत में भी लिख जाते हैं कि मेरी सम्पति को दान में उस संस्था को दे दिया जाया, जिसकी स्वीकृति दान पाने वाला, दान देने वाले के जीवनकाल में नहीं दे सकता क्योंकि उसे इसके बारे में वयीसत पढ़ने के समय मालूम चलता है?
बहुत ही मह्त्वपूर्ण जानकारी दी सर । दान की विधिक परिभाषा पर तो मैंने भी कभी गौर नहीं किया था । जरूरी पोस्ट
अजय कुमार झा का पिछला आलेख है:–.35 लाख में एक जोडी हगनपुर