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दावे के समन अखबार में प्रकाशन के माध्यम से कैसे तामील कराएँ?

समस्या-

कृषि भूमि के विभाजन के मुकदमें में प्रतिवादियों को समन अखबार में प्रकाशन के माध्यम से तामील कराने के लिए क्या करना पड़ेगा और इस में कितना खर्च आएगा?

-विनोद कुमाँवत, गुढ़ा गौरजी, जिला झुंझुनू, राजस्थान

समाधान-

किसी भी दीवानी वाद में या राजस्व भूमि के वाद में प्रक्रिया दीवानी प्रक्रिया संहिता से शासित होती है।  कृषि भूमि के विभाजन के वाद में भी दीवानी प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अनुसार प्रतिवादियों पर समन की तामील कराई जाएगी।  इस के लिए दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 5 में उपबंध किए गए हैं।  आम तौर पर न्यायालय समन की तामील पहले अपने अधीनस्थ कर्मचारी से अथवा किसी अन्य न्यायालय के अधीनस्थ कर्मचारी से करवाती है।  यदि यह संभव नहीं हो पाता है तो रजिस्टर्ड ए.डी डाक के माध्यम से करवाती है। यदि डाक द्वारा भी यह संभव नहीं होता है तो फिर प्रतिस्थापित तामील करवाती है जिस के लिए आदेश 5 नियम 20 में उपबंध किया गया है।

स के लिए वादी को एक आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है कि प्रतिवादीगण जानबूझ कर तामील से बच रहे हैं और सामान्य रीति से व डाक द्वारा तामील कराया जाना संभव नहीं हो रहा है इस लिए समन को अखबार में प्रकाशित करवा कर प्रतिस्थापित तामील कराए जाने की अनुमति प्रदान की जाए।  न्यायालय द्वारा इस आवेदन पर आदेश दिया जाता है कि वादी किसी खास अखबार में प्रकाशन के माध्यम से समन की तामील प्रतिवादियों पर करवा सकता है। इस आदेश के उपरान्त समन के फार्म  न्यायालय के समक्ष निश्चित न्यायशुल्क जो कि राजस्थान में मात्र दो रुपया है के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं।  न्यायालय समन को हस्ताक्षर कर मुहर लगा कर वापस वादी या उस के वकील को लौटा देता है।  इस समन को जिस अखबार में प्रकाशन के लिए न्यायालय ने आदेश दिया है उसे देना पड़ता है।  सभी अखबारों की इस तरह के न्यालायय के समन और नोटिस प्रकाशित करने की दरें निश्चित हैं जो उस अखबार के दफ्तर या फिर उस के एजेंट से पता की जा सकती हैं।  इस दर के अनुसार निश्चित राशि का भुगतान कर के समन का अखबार में प्रकाशन करवाया जा सकता है। इस प्रकाशन के उपरान्त भी प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित नहीं हों तो उन के विरुद्ध न्यायालय की कार्यवाही एक-तरफा आगे बढ़ाई जा सकती है।

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