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दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के आवेदन के साथ बेटी की अभिरक्षा के लिए आवेदन किया जा सकता है।

Adoptionसमस्या-

संदीप ने गुड़गाँव, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-

मुझ पर पत्नी ने धारा 323, 406, 498ए, 506 व 120 बी का मुकदमा कर दिया है। मेरे विवाह को चार वर्ष हो गए हैं। मेरी पत्नी को थैलीसीमिया की बीमारी है जिस का मैं इलाज करवा रहा था, मेरे पास अस्पताल के इलाज के दस्तावेज भी हैं। मेरी एक दो वर्ष की बेटी भी है। मैं ने ना दहेज लिया न मांगा। मेरे ऊपर ये सारे गलत आरोप हैं। मुझे मेरी बेटी वापस चाहिए। हो सके तो पत्नी भी वापस आ जाए। पर वह मेरे साथ रहना नहीं चाहती। कोर्ट में मुकदमा चल रहा है वह आपसी समझौते के लिए एक लाख रुपया मांग रही है। आपसी सहमति से तलाक में मुझे धन नहीं देना भले ही मैं जेल चला जाउंगा पर गलत के आगे नहीं झुकूंगा। बेटी को अपनी अभिरक्षा में लेने का तरीका बताएँ।

समाधान-

जो व्यक्ति जेल जाने को तैयार हो उस का मिथ्या आरोप कुछ नहीं बिगाड़ सकते। जो आरोप आप पर लगाए हैं वे आप की पत्नी को सिद्ध करने होंगे। उस मुकदमे में आप को अपनी प्रतिरक्षा ठीक से करनी चाहिए।

त्नी यदि एक लाख रुपया ही आपसी सहमति के लिए मांग रही है तो यह राशि अधिक नहीं है। यह राशि पत्नी के भरण पोषण के लिए बहुत कम है। हो सकता है आप दस लाख के स्थान पर एक लाख लिख गए हों। यदि वह एक लाख ही मांग रही है तो हमारी राय है कि आप को आपसी सहमति से तलाक ले लेना चाहिए। लेकिन उस में आप शर्त यह रखें कि बेटी आप के साथ रहेगी और बाद में पत्नी कोई भरण पोषण नहीं मांगेगी तथा जो अपराधिक मुकदमा उस ने किया है उसे खारिज कराएगी।

प की समस्या के विवरण से यह पता नहीं लगता है कि आप की पत्नी या आप ने हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत कोई आवेदन दिया हुआ है। बेटी की अभिरक्षा के लिए आप तभी आवेदन कर सकते हैं जब कि पति पत्नी के मध्य हिन्दू विवाह अधिनियम का कोई प्रकरण न्यायालय में चल रहा हो। आप पत्नी के साथ दाम्पत्य की पुनर्स्थापना के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अन्तर्गत आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं और साथ में धारा 26 में पुत्री की अभिरक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन बेटी की अभिरक्षा उसी को प्राप्त होगी जो उस की देखभाल ठीक से करने में समर्थ हो और जिस के साथ रहने में बेटी का हित हो। यह तथ्य न्यायालय स्वयं दोनों पक्षों की साक्ष्य के आधार पर तय करेगा।

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