दीवानी न्यायालय जनहित वाद में नगर परिषद को नाला नियमित रूप से साफ करने का आदेश दे सकता है।
|समस्या-
उमाशंकर पाठक ने शाहपुरा, डिंडोरी, मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरी दुकान शहर के मुख्य बाज़ार में स्थित है, एवं मेरी दुकान के ठीक सामने से ही एक मुख्य व बड़ा नाला भी गुज़रता है। इस नाले का उपयोग मेरे द्वारा कभी भी नहीं किया जाता है। परन्तु इस नाले की नियमित साफ़-सफाई भी नगर परिषद् (पंचायत) के द्वारा कभी भी नहीं की जाती है। जिसकी असहनीय व सड़ांध भरी बदबू व अत्यंत गंदगी के कारण दुकान में बैठ पाना भी बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो रहा है। मच्छरों और बीमारियों का खतरा भी लगातार बना हुआ है। इस संबंध में अनेक बार कलेक्टर, उच्चाधिकारियों व स्थानीय स्तर के ज़िम्मेदार अधिकारियों को भी लिखित व मौखिक शिकायत करने के बाद भी मनमानीपूर्वक कोई भी उचित कार्यवाही ज़िम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों के द्वारा नहीं की जा रही है। जो मेरे साथ सरासर अन्याय व अराजकता है, जिससे अत्यंततम परेशान व विचलित होकर मुझे अनिश्चितकालीन भूख-हड़ताल जैसे कदम उठाने तक के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अतः अब मैं क्या करुँ, कुछ उचित व दूरगामी उपाय बताएं, जिससे मेरी समस्या का उचित व दूरगामी हल जल्द से जल्द निकल सके?
समाधान-
यह नगरपरिषद का दायित्व है कि वह नालों को नियमित रूप से साफ रखे जिस से नगर के निवासियों को व आने जाने वालों को किसी प्रकार का कोई कष्ट न हो। यदि नगरपरिषद इस दायित्व को पूरा नहीं करती है तो उसे ऐसा करने के लिए न्यायालय आदेश दे सकता है।
ऐसा आदेश न्यायालय से नगरपरिषद को दिलाने के लिए आप और नगर का कोई भी एक अन्य निवासी मिल कर संयुक्त रूप से नगर परिषद के विरुद्ध धारा 91 दीवानी प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत एक जनहित वाद दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। इस वाद को प्रस्तुत करने के साथ ही आप को जनहितकारी वाद पेश करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए एक आवेदन न्यायालय को प्रस्तुत करना होगा। जो आम तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है।
इस वाद को संस्थित करने के 60 दिन पूर्व आप को नगर परिषद को एक नोटिस भी देना जरूरी है। इस सम्बन्ध में आप अपने नगर के किसी दीवानी मामलों के अधिवक्ता से सलाह कर के कार्यवाही करें।