दीवानी वाद में आवश्यक पक्षकार को किसी भी प्रक्रम पर जोड़ा जा सकता है।
|समस्या-
बालोदा बाजार, छत्तीसगढ़ से संतोष चावला ने पूछा है-
दीवानी वाद में अंतिम बहस हो कर निर्णय हेतु तिथि तय कर दी गई है। लेकिन विपक्षी ने एक आवेदन आदेश 1 नियम 10 दीवानी प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आवश्यक पक्षकार का नाम जोड़े जाने हेतु प्रस्तुत की है। ऐसा किया जाना किस कानून या धारा के अंतर्गत वर्जित है?
समाधान-
दीवानी प्रक्रिया संहिता का आदेश 1 नियम 10 (2) में उपबंध किया गया है कि “न्यायालय कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम पर दोनों पक्षकारों में से किसी के आवेदन पर या फिर उस के बिना ऐसी शर्तों पर जो न्यायालय को न्यायसंगत प्रतीत हों आदेश दे सकेगा कि वादी के रूप में या प्रतिवादी के रूप में अनुचित तौर पर संयोजित किसी भी पक्षकार का नाम काट दिया जाए और किसी व्यक्ति का नाम जिसे वादी या प्रतिवादी के रूप में संयोजित किया जाना चाहिए था या न्यायालय जिस की उपस्थिति वाद में अंतर्वलित सभी प्रश्नों का प्रभावी तौर पर और पूरी तरह न्याय निर्णयन और निपटारा करने के लिए न्यायालय को समर्थ बनाने की दृष्टि से आवश्यक हो जोड़ दिया जाए।”
इस तरह आप स्वयं देख सकते हैं कि किसी भी प्रक्रम पर ऐसा आवेदन कोई भी पक्षकार प्रस्तुत कर सकता है और न्यायालय को अधिकार है कि वह उसे स्वीकार कर ले। लेकिन ऐसा तभी किया जा सकता है जब कि ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति वाद में वाद में अंतर्वलित सभी प्रश्नों का प्रभावी तौर पर और पूरी तरह न्याय निर्णयन और निपटारा करने के लिए न्यायालय को समर्थ बनाने की दृष्टि से आवश्यक हो। यदि ऐसा है तो आवेदन सही है और न्यायालय को ऐसे आवेदन की सुनवाई कर के उचित आदेश पारित करना चाहिए।
धरती माँ को गर्व है आप जैसे सपूतों पर
प्रभावशाली ,
जारी रहें।
शुभकामना !!!