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वाद संस्थित कर कब्जे के विरुद्ध स्थगन प्राप्त करने का प्रयत्न करें

समस्या-

मुन्ना कुमार ने रघुनाथपुर जिला सीवान (बिहार) से पूछा है-

वर्ष 1984 मे मेरे पिता जी ने हम दो भाईयो के नाम और उसी समय मेरी माता जी के नाम से दो अलग अलग दस्तावेज से जमीन की रजिस्ट्री करवाई। जो जमीन खरीदी गई उस जमीन पर पांच भाईयों का हक हिस्सा था। लेकिन एक भाई नाबालिग और एक गुमशुदा था। अत: पांचों का हिस्सा केवल तीन बड़े भाईयो द्वारा दस्तखत कर जमीन को बेचा गया। अब वर्ष 2020 में एक गुमशुदा भाई और एक जो नाबालिग था
अब वह मर चुके हैं उनके बेटे द्वारा उसी जमीन से अपने हिस्से का जमीन को किसी अन्य को बेच दिया गया है। अब वह खरीदार उस जमीन पर अपना कब्जा दखल कर रहा है। हमें क्या करना चाहिए।

समाधान-

आप ने पूरी जमीन खरीदी थी और उसके बाद आपने दाखिल खारिज भी करवा लिया होगा। आप ही उस जमीन पर काबिज होंगे और काश्त भी कर रहे होंगे। इस तरह कोई भी व्यक्ति आपके कब्जे की जमीन पर जबरन कब्जा नहीं कर सकता। आपको उन्हें जबरन कब्जा करने से रोकने का अधिकार है। आपको उन्हें रोकना चाहिए। यदि आपको आशंका हो कि इस से खून खराबा हो सकता है तो तुरन्त इसकी सूचना पुलिस थाना को देनी चाहिए। वे नहीं लें तो तुरन्त एस.पी. को शिकायत लिखनी चाहिए। वहाँ भी सुनवाई न होने पर मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए।

जमीन पर आप का पुराना 36 वर्ष से कब्जा है। आपको कानूनन बेदखल करना संभव नहीं है। इस कारण चुपचाप कौड़ियों के दाम हिस्सा बेच कर अलग हो गया है और खरीददार बल से कब्जा करना चाहता है। जब तक खरीददार आपको बेची गयी संपत्ति में से उसके हिस्से के आपको किए गए विक्रय को निरस्त नहीं करवा लेता किसी को  उसे इस तरह कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है। वह अब 36 वर्ष बाद कराना उसके लिए संभव नहीं हो सकेगा।

इस के अलावा जमीन की किस्म के अनुसार राजस्व या दीवानी न्यायालय में व्यादेश हेतु वाद प्रस्तुत कर कब्जा करने वालों के विरुद्ध अस्थाई व्यादेश प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। वहाँ जवाब में वह क्या कहता है आगे की कार्यवाही उस पर निर्भर करेगी। इस मामले में आप को किसी स्थानीय वकील जो दीवानी और राजस्व मामलों में अच्छा अनुभव रखता हो उसे सारी परिस्थितियाँ बता कर और दस्तावेज बता कर परामर्श लेना चाहिए और उसकी मदद से उचित कानूनी कार्यवाही अदालत में करना चाहिए।

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