देश में अदालतें जरूरत की चौथाई हैं, मुकदमे के निर्णय के लिए धैर्य रखें।
|आरके ने भरतपुर, राजस्थान से पूछा है-
मेरे तलाक के केस को लगभग चार साल होने को हैं, लेकिन अभी तक कुछ नही हुआ है। मैं और मेरे माता-पिता बहुत परेशान हो चुके हैं। माता-पिता बुजुर्ग हैं और उनकी देख भाल करने वाला कोई नहीं है। क्योंकि मैं सरकारी कर्मचारी हूँ इसलिए घर से दूर रहता हूँ। मेरी उम्र भी लगभग 37 वर्ष होने वाली है। तलाक का केस अवैध सम्बन्ध व मानसिक क्रूरता के कारण किया है, कोई सन्तान नहीं है। कृपया ऐसा कोई रास्ता बताये जिससे समस्याओं का समाधान हो सके। मैंने जो सी० डी० पेश की है विरोधी पक्ष ने उस CD की कॉपी प्राप्त करने हेतु कोर्ट मे एप्लीकेशन लगाई है, क्या हमें CD की कॉपी देनी पडेगी?
समाधान-
आप ने क्रूरता और जारता के आधार पर तलाक का मुकदमा प्रस्तुत कर रखा है। अब उस के निपटारे में समय तो लगेगा। आप सिर्फ इतना करें कि जिस स्थानीय वकील से सलाह लेते रहे हैं उस से सलाह लेते रहें और गंभीरता से इस मुकदमे को लड़ें। आप के मुकदमे में समय इस कारण लग रहा है कि हमारे यहाँ आवश्यकता से बहुत कम, जरूत की चौथाई से भी कम अदालतें हैं। यदि सरकार आप के यहाँ एक परिवार न्यायालय और खोल दे तो जल्दी निर्णय होने लगें। जो भी परिस्थिति है उस में कुछ धैर्य रखने की तो जरूरत है। माता-पिता बुजुर्ग हैं तो उन की देखभाल के लिए कोई अन्य व्यवस्था कीजिए। विवाह इस बात की गारन्टी नहीं होता कि आप को अपने माता पिता की देखभाल के लिए स्थायी व्यक्ति मिल गया है।
आप के द्वारा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गयी सीडी भी एक तरह से दस्तावेज ही है। इस की प्रति प्रतिपक्षी को देना अनिवार्य है। आप को यह सीडी की प्रति देनी होगी। प्रत्येक व्यक्ति जो मुकदमा लड़ रहा है उसे पता होना चाहिए कि उस के विरुद्ध क्या क्या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।