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धारा 340 दं.प्र.संहिता का आवेदन कोई भी व्यक्ति प्रस्तुत कर सकता है

समस्या-

मेरे खिलाफ डकैती कोर्ट में शपथ पत्र दे कर 156(3) के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत कराया गया है जिस ने मुकदमा दर्ज कराया उस  ने कोर्ट में प्रस्तुत शपथ पत्र में कहा है कि दिनांक 18.04.2010 को प्रमोद दुबे ने हमारे घर में घुस कर हमारी पत्नी के गहने लूट लिए। उसी व्यक्ति बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहाँ दिनांक 29.06.2011 को शपथ पत्र प्रस्तुत कर स्वयं को दिनांक 01.10.2005 से अपने आप को पूर्ण विदुर बताया है। कोर्ट से हमारे समन जारी हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में 340 दं.प्र.संहिता के अन्तर्गत न्यायालय में हमारे अलावा कौन जा सकता है? कृपया कोई नजीर भी बताएँ।

-प्रमोद दुबे, औरई (जालौन), उत्तर प्रदेश

समाधान-

धारा 195 दं.प्रक्रिया संहिता में यह उपबंधित किया गया है कि लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों,  साक्ष्य में दिए गए दस्तावेजों से सबंधित अपराधों और लोकसेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के लिए अभियोजन केवल न्यायालय द्वारा प्रस्तुत किए गए परिवाद पर ही संभव है अन्यथा नहीं। इन अपराधों से संबंधित धाराओं का वर्णन धारा 195 में किया गया है।   अब न्यायालय ऐसा परिवाद या तो स्वयं उस के ध्यान में इस तरह का अपराध होना आने पर कर सकता है अथवा किसी के द्वारा ध्यान में लाए जाने पर कर सकता है जिस की प्रक्रिया का वर्णन धारा 340 दंड प्रक्रिया संहिता में दिया गया है।  जो व्यक्ति इस ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करना चाहता है वह धारा 340 के अंतर्गत उस न्यायालय को आवेदन कर सकता है जिस न्यायालय की कार्यवाही के संबंध में ऐसा अपराध घटित हुआ है।

दूसरे शपथ पत्र से लगता है कि शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति की पत्नी का देहान्त हो चुका है और वह विदुर है। लेकिन फिर भी उस की पत्नी के गहने उस व्यक्ति के पास हो सकते हैं और उन्हें लूटा जा सकता है।  हाँ, यदि उस व्यक्ति ने पहले शपथ पत्र में यह कहा हो कि उस की पत्नी है और उस से गहने लूट लिए हैं तो फिर वह शपथ पत्र मिथ्या है।  ऐसी स्थिति में न्यायालय धारा 340 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कार्यवाही कर सकता है।

क्यों कि आप इस से प्रभावित व्यक्ति हैं तो आप को ही धारा 340 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए।  न्यायालय ने आप के विरुद्ध समन जारी कर दिए हैं तो उस से क्या अंतर पड़ेगा? समन किसी तिथि विशेष पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए होगा।  आप को उस तिथि के पूर्व तक न्यायालय कुछ नहीं कहेगा।  यदि आप समन मिल जाने के बाद भी उपस्थित न होंगे तो आगे गिरफ्तारी या जमानती वारंट भी न्यायालय जारी कर सकता है।  इस लिए न्यायालय के समक्ष तो आप को उपस्थित होना ही है।  हाँ इतना अवश्य है कि  आप को न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो कर जमानत करानी पड़ेगी।  लेकिन आप के उपस्थित होने की तिथि के पूर्व भी आप धारा 340 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। खैर¡

प चाहते हैं कि कोई अन्य व्यक्ति यह आवेदन प्रस्तुत करे।   सुप्रीमकोर्ट ने एन. नटराजन बनाम बी.के. सुब्बा राव के मामले में दिनांक 3 दिसम्बर 2002 को दिए गए निर्णय में स्पष्ट किया है धारा 340 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत कोई अनजान व्यक्ति भी न्यायालय के समक्ष इस तरह का आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। आप चाहें तो किसी भी व्यक्ति से उक्त आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करवा सकते हैं।

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