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एक में सफलता पर अन्य मुकदमों में प्रतिरक्षा के मामले में अगंभीर न हों।

sexual-assault1समस्या-

रायपुर, छत्तीसगढ़ से गौतम ने पूछा है-

तीसरा खंबा को बहुत बहुत धन्यवाद कि आप की सलाह के अनुसार मेरे मित्र ने वकील के दबाव में लगाया गया आवेदन वापस ले लिया और विवाह को चुनौती देकर विजय प्राप्त की उस महिला का धारा 125 दं.प्र.संहिता का आवेदन निरस्त कर दिया गया।  उसने 498-ए व 294,323,506 भा.दं.सं. का  मिथ्या मामला भी 125 के आवेदन के तुरंत बाद लगाया था जिसमे अब उसकी गवाही होनी है। इस मामले में भी उसने स्वयं को पत्नी बताया है। क्या धारा 125 में जो आदेश हुआ है उस का इस मामले पर क्या असर होगा? क्या मेरा मित्र अब विवाह करने हेतु पूरी तरह स्वतंत्र है?

समाधान-

प को व आप के मित्र को बधाई कि उन्हों ने एक मुकदमे में सफलता प्राप्त की। किन्तु इस सफलता से आप को व आप के मित्र को निश्चिन्त नहीं हो जाना चाहिए। धारा 498-ए व 294,323,506 भा.दं.सं. में से केवल 498-ए ही एक धारा है जो विवाह पर आधारित है। यह एक अपराधिक मुकदमा है और इस में अपराध व उस से जुड़े तथ्यों को साबित करने की जिम्मेदारी अभियोजन पक्ष की है। वे यह साबित नहीं कर सकते कि विवाह हुआ था। इस कारण से धारा 498-ए का अपराध तो आप के मित्र के विरुद्ध साबित नहीं होगा। लेकिन गवाहों के बयानों के समय गंभीरतापूर्वक और सावधानी से गवाहों का प्रतिपरीक्षण किया जाना आवश्यक है।

न्य धाराओं 294,323,506 भा.दं.सं. में वर्णित अपराध विवाह से संबंधित नहीं हैं। यदि गवाही में ये सब साबित हुए तो आप के मित्र को दंडित किया जा सकता है। इस कारण से इस मुकदमे को भी पूरी गंभीरता से लिया जाना चाहिए और सभी आरोपों को मिथ्या साबित करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।

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