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अपराधिक न्यायालय दहेज का सामान या उसका मूल्य नहीं दिला सकता।

समस्या-

आरजू बेग़म ने ग्राम कहलगाँव, जिला भागलपुर, बिहार से पूछा है-

मेरी शादी 3 मई 2019 को हुई थी और 3 महीने के बाद ही मेरे पति ने दहेज के लिए मुझसे मारपीट करना शुरू कर दिया जिससे तंग आकर मैंने 498A केस की। कोर्ट ने दोनों को समझौता करने को कहा पेपर पर कुछ रुपये और सामान लिस्ट के अनुसार देना है, लिखा गया लेकिन लॉकडाउन के बाद कोर्ट बन्द है। मेरे सामान को मेरे पति खुले आसामन के नीचे रख दिये है। मेरे परिवार ने तो नया समान दिया था जैसे TV, Washing machine, Refrigerator etc जिसको वो अभी तक इस्तेमाल कर रहा है, तो क्या मुझे वही इस्तेमाल किया व टूटा हुआ समान मिलेगा? जबकि नया समान दिया था मेरे परिवार ने तो क्या नया समान मुझे नही मिलेगा? क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान है? कृपया बताएं।

समाधान-

भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए एक दण्डात्मक प्रावधान है। यदि आपके पति ने आपके साथ ऐसा क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है जो आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो ऐसा करने वाले पति और उसके रिश्तेदारों को सजा दी जा सकती है। आपकी शिकायत में धारा 406 के आरोप भी होंगे कि आपका पति आपका सामान आपको मांगने पर भी नहीं लौटा रहा है। दहेज देना लेना तो अपराध है। इस कारण दहेज स्त्री की सम्पत्ति है। उसको न लौटाना अमानत में खयानत है। यह भी एक दण्डात्मक प्रावधान है। मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस उस में से कुछ बरामद कर लेती है और वह थाने आदि में खुला पड़ा रहता है। हो सकता है आपके मुकदमे में यही हुआ हो।

वैवाहिक विवादों में मामला अपराधिक न्यायालय में हो या फिर पारिवारिक न्यायालय में अदालत हमेशा पक्षकारों के बीच समझौता कराने का प्रयास करती है। लेकिन समझौता करना न करना पक्षकारों के बीच होता है। समझौते के वक्त आप यह कह सकती थीं कि जो आपका सामान था वह तो इस्तेमाल से खराब हो चुका है आपको उनका वास्तविक मूल्य चाहिए। वैसी स्थिति में समझौता यह हो सकता था कि सामान के स्थान पर पति पक्ष आपको उनके मूल्य के रूप में एक निश्चित धनराशि देगा। यदि ऐसा होता तो आपको सामान नहीं धनराशि प्राप्त होती।

498-ए, 406 के मुकदमे में यह अदालत मुकदमा खत्म नहीं कर सकती इस के लिए उच्च न्यायालय रिविजन याचिका प्रस्तुत करनी होती है। कोविड-19 के कारण बन्द हुआ अदालतों का सामान्य कामकाज अब आरम्भ हो चुका है। आपको चाहिए कि आप अपने वकील से मिलें और सही स्थिति का पता करें कि क्या चल रहा है। अपराधिक मुकदमों में अदालत कारावास और जुर्माने में से एक या दोनों सजाएँ दे सकती है, आपको कुछ मुआवजा भी दिला सकती है। लेकिन आप को दहेज में मिले सामान का मूल्य नहीं दिला सकती। इस कारण यदि स्त्री अपनी सम्पत्ति का मूल्य प्राप्त करना चाहती है तो उसे समझौते के समय यह शर्त रखनी चाहिए और उससे कम पर राजीनामा करने को तैयार नहीं होना चाहिए।

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