नदी कटाव रोकने हेतु जनहित वाद प्रस्तुत करें।
|समस्या-
आनन्द भारद्वाज ने लिंगा बालाघाट, मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरे गाँव की आबादी 10000 है जो की बालाघाट कस्बे से 10 कि.मी. दूर है. गाँव रेवेन्यू विलेज है. गाँव के करीब 500 मीटर दूरी पर नदी (रिवर) है और उसी के नज़दीक निजी ज़मीन मालिकों द्वारा अपनी निजी ज़मीन में सामुहिक और व्यक्तिगत रूप से ईंटें बनाई जाती हैं। पिछले 5 वर्ष से काम चल रहा है जिस से नदी के पास की मिट्टी का कटाव हो रहा है तथा बरसात में बाढ़ के हालात पैदा हो जाते हैं। ग्राम सभा में इस मुद्दे पर बहस करके भी कुछ हासिल नही हो पाया। क्यों कि सरपंच (प्री एलेक्टेड) का खुद का ईंट उद्योग है। ज़्यादातर उद्योग निचले और मध्यम स्तर पर हैं। गाँव की सरपंच महिला है। विभाग भी कोई कार्यवाही नहीं करता है जैसे तहसीलदार, ऐसी स्थिति में क्या करें?
समाधान-
कोई भी अपने खाते की जमीन की मिट्टी को न तो औद्योगिक उपयोग के लिए काम में ले सकता है और न ही किसी को बेच सकता है। इस के लिए राजस्व विभाग की अनुमति की आवश्यकता है। आप को मामला जिला कलेक्टर, कमिश्नर और सरकार के स्तर पर उठाना चाहिए। गाँव के लोगों का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिल सकता है। हो सकता है इस का कोई असर हो।
यदि नदी पर असर आ रहा है तो आप पर्यावरण विभाग को भी शिकायत लिख सकते हैं. पर्यावरण विभाग इस मामले में तुरन्त कार्यवाही करेगा।
इस के अतिरिक्त आप के गाँव के दो या उस से अधिक लोग मिल कर दीवानी न्यायालय में नदी किनारे के खेतों से मिट्टी उठाने के काम पर रोक लगाने के लिए जनहित का दीवानी वाद भी धारा 91 दीवानी प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत कर सकते हैं। इस में जिला कलेक्टर, पर्यावरण विभाग तथा जो लोग मिट्टी उठा रहे हैं उन को विपक्षी पक्षकार बनाना होगा। आप अपने क्षेत्र के किसी वकील से मिल कर उस की सहायता से यह जनहित वाद प्रस्तुत कर मिट्टी उठाने पर रोक लगाने हेतु निषेधाज्ञा जारी करवा सकते हैं। इस मामले मे उच्च न्यायालय के समक्ष रिट भी की जा सकती है।
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