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नरम रह कर क्रूरता का मुकाबला नहीं किया जा सकता।

divorceसमस्या-

ज्योत्सना ने तिलकनगर, दिल्ली से समस्या भेजी है कि-

मेरी शादी 15 जनवरी 2013 को हुई थी। मेरी शादी के दसवें दिन से मेरा पति मेरे साथ मार पीट करनी शुरू कर दी। वह मुझे कहता तेरे घर वालो ने कुछ नहीं दिया इसलिए अन्न छोड़ दे। हमेशा मुझ पर शकर करता रहता है, गाली गलौज करता है और दहेज का ताना मारता रहता है। फिर भी वह मुझे हमेशा मारता रहता था। एक दिन तो मेरे पति ने मुझे चाकू से मारने की कोशिश की। अगस्त में एक रात वे घर नहीं आए। मैं पूरी रात परेशान रही। मेरी सास ने मुझे यह कह कर मेरे मायके भेज दिया कि वह अपने चाचा के यहाँ गया है दो-तीन दिन में आएगा। मैं दो तीन दिन बाद घर लौटी तो पति ने कहा कि मैं तुझे तलाक दूंगा। मैं पुलिस में शिकायत दर्ज कराने गई तो मेरी शिकायत नहीं लिखी। महिला सेल में आकर पति ने कहा कि मैं ऐसी औरत को नहीं रखूंगा। सेल वाली मेडम ने कहा कि वे सिर्फ बात करवा सकते हैं और कुछ नहीं कर सकते। किसी ने कहा है कि एफआईआर दर्ज कराना जरूरी है वर्ना यह कह देगा कि मैं अपनी मर्जी से मायके गई हूँ और मेंटीनेन्स नहीं मिलेगा। मैं क्या करूँ। मेरे पास अभी तक तलाक का कोई नोटिस नहीं मिला है। महिला सेल वालों ने मुझे अब मीडिएशन के लिए भेजा है। जिस की तारीख 10 जनवरी 2015 है। मैं तलाक नहीं लेना चाहती। मैं ने अभी तक कोई मुकदमा नहीं किया है। मैं अगस्त से अपने मायके में रह रही हूँ। मैं महिला सेल में कहती हूँ कि मुझे ससुराल जाना है तो वह कहती है मैं कुछ नहीं कर सकती।

समाधान-

प के साथ ससुराल में अत्यन्त क्रूरतापूर्ण व्यवहार हुआ है। यह धारा 498ए आईपीसी के अन्तर्गत अपराध है। पुलिस को आप की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। लेकिन उन्हों ने दर्ज नहीं की है।

प की कहानी से लगता है कि आप के पति और सास आप को साथ नहीं रखना चाहती है। वे आप के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं और जीवन भर करते रहेंगे। वे समझते हैं कि उन के साथ रहना आप की मजबूरी है। आप को दासी से भी बदतर हालात में वहाँ रहना पड़ेगा। इस कारण फिलहाल आप यह सोचना बन्द कर दें कि आप को ससुराल जाना है। यदि आप बार बार यह कहेंगी कि आप को ससुराल जाना है तो आप की बात पर कोई ध्यान नहीं देगा और आप के पति व सास और अधिक क्रूर होते जाएंगे। आप की तरफ से कोई भी दबाव न होने से उन के हौंसले बढ़े हुए हैं। नरम रह कर क्रूरता का मुकाबला नहीं किया जा सकता।

प को 10 जनवरी को मीडिएशन में जाना चाहिए और कहना चाहिए कि आप ससुराल जाने को तैयार हैं लेकिन पति और सास ले जाना चाहेंगे तो भी नहीं जाएंगी। आप तभी जाएंगी जब वे दोनों अच्छे व्यवहार के लिए पाबंद हों। रहने को अलग कमरा दें और हर माह खर्चे के लिए नकद रकम आप को दें। जब तक आप सख्त न होंगी तब तक आप को कोई कुछ न गिनेगा।

10 जनवरी के बाद आप अदालत में परिवाद प्रस्तुत कर वहाँ से एफआईआर दर्ज कराने का आदेश करवा कर उसे थाने भिजवाएँ। इस के लिए आप को वकील की मदद लेनी होगी। आप को घरेलू हिंसा अधिनियम में भी शिकायत कर के मांग करनी चाहिए कि आप को अलग कमरा चाहिए, पति को हिंसा न करने के लिए पाबंद किया जाए और पति को पाबंद किया जाए कि वह हर माह आप के खर्च की रकम आप को दे। इस के अलावा आप को भरण पोषण के लिए धारा 125 का मुकदमा भी करना चाहिए। ये तीनों कार्यवाहियाँ होने पर ही आप के पति और सास के तेवरों पर फर्क पड़ सकता है, अन्यथा नहीं।

म हमेशा कहते हैं कि स्त्री को तभी तवज्जो मिल सकती है जब कि वह खुद अपने पैरों पर खड़ी हो। आपु को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए और अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयत्न करना चाहिए। उक्त तीनों कार्यवाहियाँ करने के बाद उस का परिणाम देखें। यदि पति व सास नरम पड़ते हैं तो अदालत में समझौता होने पर ही आप पति के घर जा कर रहने की सोचें अन्यथा नहीं। मायके में रह कर भरण पोषण की राशि पति से प्राप्त करें और अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयत्न करें।

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