DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

न्यायाधीश स्वेच्छा से अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक कर भारतीय न्याय पालिका के सम्मान और गरिमा को बढ़ाएंगे

सुप्रीमकोर्ट के जनरल सैक्रेट्री वी के जैन द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष मु्ख्य सूचना आयुक्त के आदेश के विरुद्ध की गई याचिका से उत्पन्न स्थिति के बीच यह एक सुखद समाचार आ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने तय किया है कि वे अपनी संपत्तियों का विवरण वेब साइटस् पर डाल देंगे या उस के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश से निवेदन करेंगे।  खुद मुख्य न्यायाधीश पहले ही यह विचार प्रकट कर चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अपनी संपत्तियों का विवरण सार्वजनिक करने के लिए स्वतंत्र हैं।

किसी भी व्यक्ति के सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त होने के समय अपनी समस्त संपत्ति का और उस के बाद किसी भी संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करने के समय भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष विवरण दिया जाना आवश्यक है।  इस तरह यह विवरण मुख्य न्यायाधीश के पास रहता है।  अभी तक कोई कानून ऐसा नहीं है जो कि इस बात के लिए बाध्य करे कि भारत के मुख्य न्यायाधीश इस विवरण को सार्वजनिक करें, और न ही ऐसी कोई परंपरा ही है।

जब मुख्य चुनाव आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट को यह निर्देश दिया कि वह इस विवरण को सार्वजनिक करे तो यह प्रश्न उठा कि क्या सुप्रीम कोर्ट और भारत के न्यायाधीश एक ही है?  या सुप्रीम कोर्ट से भारत के न्यायाधीश भिन्न हैं।  यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है और इस बिंदु का दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय कर देना भविष्य में उत्पन्न होने वाले अनेक विवादों का अन्त कर सकता है।  इस कारण से इस प्रश्न का निर्णीत हो जाना उचित ही है।

लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत इस याचिका ने गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है।  दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में देश के प्रमुख अधिवक्ता एफ एस नरीमन से न्यायमित्र के रूप में सलाह देने का आग्रह अस्वीकार कर देने के उपरांत श्री नरीमन ने विचार व्यक्त किया कि जिन्हें लोगों को जेल भेजने और फांसी की सजा देने का अधिकार है उन का जीवन पारदर्शी होना चाहिए और स्वयं उन्हें ही यह घोषणा कर देना चाहिए। फिर इस मामले में दिल्ली उच्चन्यायालय अभिभाषक परिषद ने इस मामलें में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे इस मामले में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए आवेदन करेंगे।

यह उचित ही होगा कि सभी न्यायाधीश बिना किसी कानूनी बाध्यता के अनिवार्य रूप से न्यायाधीश का पद धारण करने पर तथा प्रत्येक वर्ष एक बार अपनी संपत्तियों का विवरण सार्वजनिक करें। जिस से यह एक परंपरा का रूप धारण कर ले।  न्यायाधीशों के इस कदम से न केवल उन का सम्मान बढ़ेगा अपितु न्याय पालिका की गरिमा को भी देशवासियों के दिलों में स्थान प्राप्त होगा।  मुझे लगता है कि मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन् का व्यवहार भी यही प्रदर्शित करता है कि सभी न्यायाधीशों को उन की संपत्तियों का विवरण स्वेच्छा से ही सार्वजनिक कर देना चाहिए।

Print Friendly, PDF & Email
12 Comments