पत्नी जब साथ छोड़ फर्जी रिपोर्ट कराए तो उसे छोड़ देना ही ठीक है …
|रामकुमार ने राजगढ़, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी उम्र ३० वर्ष है मेरे एक लड़की अंजलि २५ वर्ष से पिछले ९ वर्षो से प्रेम सम्बन्ध थे, पिछले ८ वर्षो से हम दोनों ने शादी के बहुत प्रयास किये परन्तु विवाह नहीं हो पाया। क्यूंकि अंजलि भाग कर शादी के लिए राजी नहीं हुई, न अपने घर वालों से यह बात की कि वह मुझ से प्यार करती है। १ फरवरी २०१३ एक दिन घर वालों को इस बात का पता चला कि हम एक दूसरे को प्यार करते हैं तो उन्होंने लड़की को परेशान कर ब्लैक मेल करने की शिकायत आवेदन हरिजन थाने में दे दिया। जिस पर लड़की ने मेरे पक्ष में बयान दिया। मैं ने वहाँ उन के घर वालों से कहा कि मैं अंजलि से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं रखूँगा इस बात पर समझौता हुआ, बात यहीं ख़त्म हो गयी। ३-४ दिन बाद हम फिर से मिलने जुलने लगे क्योंकि अंजलि हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई भोपाल में कर रही थी। मैं अपने शहर राजगढ़ से उस से मिलने जाता और वो भी मुझ से हॉस्टल से घर जाने का झूट बोल कर मिलने आया करती। २०१४ तक इसी तरह चलता रहा। फिर उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मेरे शहर में ही विधि पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया। क्योंकि हम आस पास के शहर के निवासी थे। अब हमारा सप्ताह में ३ से चार दिन मिलना जुलना होने लगा। फिर १ मई २०१४ को मेरे छोटे भाई की शादी हुई। मेरे घर में अब मैं ही अविवाहित रह गया था। मेरा एक भाई और दो बहिने हैं जिनका विवाह हो चुका है और अंजलि भी अपने घर में अकेली अविवाहित रह गयी थी। मेरे छोटे भाई की शादी के बाद मेरे ऊपर शादी का दवाब बढ़ने लगा। मैंने अब अंजलि के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा जिस को उसने २८ जून को ठुकरा दिया कहा मैं घर वालों के विरुद्ध जाकर विवाह नहीं कर पाऊँगी। फिर मैं ने उस से दूरिया बढ़ानी शुरू की और बातचीत भी खत्म की। इस के बाद मैं ने ५ जुलाई २०१४ को अपने समाज यानी की स्वर्णकार में घरवालों की इच्छा के अनुसार सगाई कर ली। जब इस बात का अंजलि को पता चला कि मेरी सगाई हो चुकी है तो वो टूट सी गयी और अगस्त में उसने मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। अब मैं क्या करता कहने लगी कि मैं मर जाउंगी, अगर आप से दूर हुई तो, किसी तरह से मुझसे दूर मत हो जाना। आप एक सप्ताह के अंदर ही मुझ से शादी करलो। मैं आपके साथ ही जीवन बिताना चाहती हूँ। मैं भी उससे बहुत प्यार करता था इसलिए मैं राजी हुआ और उस से दिनांक १ सितम्बर २०१४ आर्य समाज मंदिर में शादी करली और उसका हम दोनों ने विवाह पंजीयन भी करवा लिया। अब अंजलि ने मुझे विश्वास दिलाया कि वह अपने घर वालों को १ से २ महीने में इस विवाह के लिए राजी कर लेगी। पर इस समय अवधि में वह ऐसा नहीं कर सकी। जो सगाई समाज में हुई थी उसको भी मैं ने तोड़ दिया। क्यूंकि शादी की तारीख नजदीक आने लग रही थी। एक दिन मैं ने अंजलि के चाचा को सारी बात बता डाली कि हम ने इस तरह से घर वालों से छुपा कर शादी कर ली है। इस बात से दोनों परिवार वालो तनाव चिंता की स्थिति बन गयी। अंजलि के चाचा भी राजगढ़ पुलिस में हैड के पद पर हैं और काफी समझदार भी रहे उन्होंने अंजलि के परिवार वालों को इस शादी के लिए राज़ी कर लिया। उन्होंने दिनाक १ दिसम्बर २०१४ राजगढ़ स्थित जालपा माता मंदिर से अंजलि को मेरे साथ विदा कर दिया। जिस में मेरे कुछ मित्र और अंजलि की माता जी और चाचा चाची उपस्थित रहे। अब मेरे घर वाले अंजलि को अपनाने के लिए राजी नहीं थे। और वह मुझसे २०० किलोमीटर दूर इंदौर में निवास करते थे मैने भी ठान लिया कि हम जीवन खुद जिएंगे। उन्होंने मुझे मौखिकः रूप से अपने सम्पति और जायदाद से बेदखल कर सब रिश्ते तोड़ दिए। अब हम अच्छे से प्रेम से राजगढ़ में मेरे एक घर जो कि मेरी माता जी के नाम है उसमे निवास कर रहे थे। मैं ने अंन्जलि को उसके घर वालों से कभी भी मिलने से नहीं रोका, उसका फोन से भी उसके माता पिता से संपर्क होता रहा और महीने में ४ से ५ बार मिलती रही। सब अच्छा चल रहा था। एक रिश्तेदार के शादी में २७ जनवरी को इंदौर जाना हुआ वहाँ मेरे घर वालों का भी मिलना हुआ और उन्होंने अंजलि के बारे में अपशब्द कहे। जिस से गुस्से में आकर उनसे विवाद हो गया। फिर अंजलि और मैं निज निवास राजगढ़ १ फरवरी रात को १२ बजे लौट आये। अगले दिन अंजलि का पेट दर्द हुआ तो मैं ने उसे शासकीय अस्पताल में एडमिट कराया और उसका उपचार कराया सोनोग्राफी करवाई और उसी दिन रात को छुट्टी करवा कर घर ले आया। २ दिन ठीक से रहे फिर उसको पेट दर्द की शिकायत हुई तो मैं ने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी। मैं अकेला उसे संभाल नहीं पा रहा था इस लिए मैंने अंजलि को ३००० रूपये दिए और उसकी बड़ी बहिन के यहाँ जो हमारे शहर में ही रहती है एक दिन छोड़ने का फैसला लिया। अंजलि अक्सर उनसे मिलती रहती थी मेरा सोचना था की ०७ फ़रवरी को रविवार है और उनकी बहिन की छुट्टी भी रहेगी तो बहिन से बात कर मैं ने दिनाक ०६ शनिवार शाम को उनको उनके पास छोड़ दिया। संडे उन्होंने अंजलि को दिखाया और सोमवार को मेरे पास छोड़ दिया। अब उसी दिन ०९ फरवरी सोमवार को मैं व अंजू जनपद में किसी काम से जाना हुआ और काम करने के बाद हम रवाना ही होने वाले थे की उसके चाचा जी जनपद में पहुंच गए और मुझसे और अंजलि से उनके घर चलने को कहा और खाने पर बुलाया। मैं ने कहा मैं १५ मिनिट में आता हूँ आप अंजलि को ले जाओ। दोपहर के ४ बजे अंजलि का कॉल आया आप आ जाओ फिर घर चलते हैं। मैं आधे घंटे बाद अंजलि को लेने पहुंचा और जब चलने को कहा तो उनकी चाची ने बोला आपकी बहुत शिकायतें आ रही हैं। मैं ने कहा बात क्या है, कौन सी शिकायत? उन्होंने मुझसे बोला कि आप अंजलि के साथ लात घूसों से मारपीट करते हैं और उसे अक्सर बेल्टों से मारपीट करते हैं। मुझे सब बातें सुनकर धक्का सा लगा। हम दो महीने से अच्छे से रह रहे थे कोई झगड़ा हमारा हुआ नहीं, ना ही कोई मनमुटाव हुआ। फिर एक दम से क्या हुआ इतने में अंन्जलि यही सब बातें कहने लगी। कि मेरे साथ इन्होने मारपीट की है और १५ से २० मिनिट में वही अंजलि के माता पिता भी पहुंच गए। जो कि हमारे शहर से ७० किलोमीटर दूर रहते हैं और उन लोगों ने भी मेरे साथ गाली गलौच और अपशब्द कहे। मैं समझ चुका था कि मेरे विरुद्ध कुछ तो साजिश हुई है। मैं उन लोगों से अपने रिश्ते को बनाये रखने के लिए मेरे से जाने अनजाने में हुई गलती की माफ़ी भी मांगी। पर वो अंजलि को मेरे साथ भेजने के लिए तैयार नहीं हुए और ना ही अंजलि आने के लिए तैयार हुई। उन लोगों ने मेरी पत्नी से मुझे आज दिनाक २० फ़रवरी तक कोई बात भी नहीं होने दी। उसका मोबाइल भी बंद है और दिनांक ०९ फरवरी २०१४ को रात्रि में ही महिला थाना राजगढ और हरिजन कल्याण थाना राजगढ़ में मेरे विरुद्ध, मेरे माता पिता, दोनों बहिनो के विरुद्ध अंन्जलि ने घरेलू हिंसा, शराब पीकर मारपीट और दहेज़ के लिए मांग की शिकायत कर दी है। अभी आवेदन दिया है मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। मैं सभी तरह के माध्यमों से बातचीत का प्रयास कर चुका हूँ पर कोई हल नहीं निकला है। अंजलि ने मेरे माता पिता भाई बहिन को भी इसमें आरोपी बनाया है जब कि उन से हमारे कोई सम्बन्ध नहीं हैं। न वो हमारे साथ निवास करते हैं। उनकी कोई गलती भी नहीं है। अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ मैं ने उसके साथ कोई मारपीट नहीं की, न कोई बुरा व्यवहार किया और न ही मेरे किसी घरवाले ने। अब तक मैं ने उसके पढ़ाई के सारे खर्चे विवाह पूर्व के उठाये हैं। जिस का भुगतान मेरे अकउंट से हुआ। उस ने अपने पिता के इलाज के लिए मुझ से ३ लाख रूपये भी लिए थे २०१३ में जो कि उस ने स्वयं चेक द्वारा भुनाए थे। जब दिनांक ९ रात्रि में घर पर लौटा तो अलमारी के लॉकर में २ लाख कीमत की जो रकम थी और बीस हजार नगद थे वो मेरी पत्नी ले जा चुकी थी। अब मैं अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा हूँ। आत्महत्या जैसे विचार मन में आ रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ। शिकायत उस ने जो मेरी की है मेरे परिवार वालों की क्यों की है? ऐसा क्यों किया? न कोई बात हुई है न उसके घर वाले होने दे रहे हैं। क्या मेरे माता पिता पर जो अलग शहर में रहते हैं वो भी इस प्रेम विवाह में दहेज़ प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं। मुझे अब क्या करना चाहिये? मुझे लगता है कि अंजलि के माँ बाप ने उस की कहीं और शादी करने का विचार बना लिया है और मेरा इस्तेमाल सिर्फ पैसों के लिए किया गया था।
समाधान-
आप की कहानी पढ़ी। ऐसी ही अनेक कहानियाँ हमें प्रत्यक्ष भी देखने को मिलती हैं। आप दोनों में प्रेम भी था और आप ने अपना घर भी बसा लिया था। लेकिन आप दोनों के परिवार इस के लिए तैयार नहीं थे। अंजलि के चाचा के दबाव में आ कर उन्हों ने अंजलि को आप के साथ भेज दिया। क्यों कि तब अंजलि किसी भी कीमत पर आप के साथ रहना चाहती थी। वह पुलिस थाने में बयान दे चुकी थी और उस के परिवार वालों को एक हार का सामना करना पड़ा था। वे अंजलि को आप के साथ भेजने के बाद भी उस हार को पचा नहीं पा रहे थे। वे लगातार इस बात से दुखी रहे। चाहते रहे कि अंजलि किसी भी तरह आप से नाता तोड़ कर वापस लौट आए। अंजलि के समाज में एक विवाह टूटने पर दूसरा विवाह होना एक सामान्य बात रही होगी। इस कारण वे इस के लिए प्रयास भी करते रहे। वे लगातार अंजलि की काउंसलिंग करते रहे। जो धीरे धीरे उस पर असर करती रही। विवाह में आप के परिवार वालों ने उस के साथ जो दुर्व्यवहार किया उस ने उस असर को कई गुना बढ़ा दिया। उधर उस के परिवार वालों का उस के साथ संपर्क केवल अंजलि की काउंसलिंग के लिए था। इधर आप के परिवार वाले भी उस को अपना नहीं पा रहे थे। अंजलि दोनों तरफ से परिवार विहीन हो गई थी।
उस के बीमार होने पर आप उस की खुद देखभाल नहीं कर सके। उस के लिए उस की बहिन की मदद आप को लेनी पड़ी। इस बात ने अंजलि को अन्दर तक दहला दिया। एक औरत के जीवन में अनेक अवसर होते हैं जब पति से इतर परिवार की उसे आवश्यकता होती है। जब वह एक दिन उस की बहिन के यहाँ रही तो उस के परिवार वालों ने उस की काउंसलिंग की और उसे आप से अलग होने को तैयार कर लिया। दूसरी बार उसे जो पेट दर्द हुआ वह फर्जी भी हो सकता है। हो सकता है बहिन के यहाँ दुबारा डाक्टर को बहिन के द्वारा दिखाने का सुझाव भी आप को अंजलि ने ही दिया हो। वह पूरी तैयारी से बहिन के यहाँ गयी और योजनाबद्ध तरीके से नकद और जेवर आदि साथ ले गई। अब वह उसी नक्शे पर काम कर रही है। उसे आप से प्रेम था और आप से मिलने के बाद उस का इस फर्जी नक्शे को छोड़ आप के साथ आ सकने की संभावना थी। इसी कारण उस का परिवार उसे आप से मिलने नहीं दे रहा है। अब खेल बदल गया है। इसे फिर से बदलना तभी संभव है जब आप और अंजलि मिलें और गिले शिकवे दूर करें। यह अवसर आप को अब शायद परिवार न्यायालय में होने वाली अनिवार्य काउंसलिंग में ही मिल सकता है। उस से पहले नहीं।
आप के परिवार वालों ने कुछ नहीं किया है इस कारण उन के विरुद्ध शिकायत रद्द हो सकती है यदि आप प्रयत्न करें। प्रथम सूचना दर्ज हो जाए तो उसे निरस्त कराने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष निगरानी याचिका दाखिल की जा सकती है। लेकिन आप के विरुद्ध मामला दर्ज हो सकता है और चल सकता है। अंजलि का दूसरा विवाह करने के लिए आप से तलाक होना जरूरी है। वे चाहते हैं कि आप दबाव में आप कर खुद इस की पहल करें।
आप आत्महत्या की सोच रहे हैं, वह पूरी तरह गलत है। ऐसे जीवन नहीं हारा जाता। मुझे नहीं लगता कि अब अंजलि को आप वापस ला सकते हैं। यदि वापस ले भी आएँ तो फर्जी मुकदमा दर्ज कराने की जो गांठ उस के और आप के बीच पड़ गयी है वह कभी नहीं निकलेगी। बेहतर है कि आप उस के परिवार से बात कर के इस रिश्ते को अब भी त्याग दें। जो लड़की कमजोर हो कर अपने माता पिता का गलत काम में सहयोग कर रही है उस के साथ जीवन ठीक नहीं निभेगा। जो चला गया है वह चला गया है। आप सहमति से विवाह विच्छेद का मार्ग निकालें और अपना जीवन नए सिरे जीने का विचार बनाएँ।
क्या वो जो नगदी और रकम ले गयी हे उसके लिए में कोई कारवाही कर सकता हु