पत्नी सही प्रतीत होती है, अपना मामला उस के साथ मिल बैठ कर या काउंसलर के माध्यम से निपटाएँ।
|समस्या-
सांगरिया, जिला हनुमानगढ़, राजस्थान से लोनाराम ने पूछा है –
मेरी शादी 1998 में हुई थी। हमारे दो संताने हैं। जून 2007 से पत्नी बच्चों के साथ घर छोड़ कर सुनाम चली गई जहाँ वह सरकारी नौकरी करती है। उस का वेतन 40,000/- रुपए प्रतिमाह है। 2007 के बाद हम कभी भी नहीं मिले न ही वे लोग मुझे बच्चों से मिलने देते हैं। मैं ने 2009 से सुनाम कोर्ट में बच्चों की कस्टडी के लिए मुकदमा कर रखा है पर न्यायालय में मेरी कोई बात नहीं बनी। न ही मुझे बच्चों से मिलवाया गया है। न्यायालय ने मेरे से 3000/- रुपए प्रतिमाह का खर्च पत्नी को देने को बोला है। मैं अब पत्नी से तलाक लेना चाहता हूँ। पत्नी और उस के माता-पिता और वह और रुपए की मांग कर रहे हैं मुझे पत्नी से तलाक और बच्चे कैसे मिल सकते हैं?
समाधान-
आप ने अपनी पत्नी के बारे में मामूली सूचनाएँ यहाँ दी हैं। अपने और अपने बच्चों के बारे में कोई सूचना नहीं दी है। बिना किन्हीं तथ्यों के तलाक और बच्चों की कस्टडी के बारे में क्या कोई किसी को राय दे सकता है?
आप ने अपने बारे में कुछ नहीं बताया। आप क्या करते हैं? क्या कमाते हैं? परिवार में कौन कौन साथ रहता है। आप की पत्नी की शिकायत क्या है? वह आप को छोड़ कर जाने की बात क्यों करती है? बच्चों से न मिलने देने के कारण क्या बताती है? और आप बच्चों को माँ के पास रखने के स्थान पर अपने पास क्यों रखना चाहते हैं?
आप की पत्नी 40,000/- रुपए प्रतिमाह वेतन पाती है, सरकारी सेवा में है जिस में सामाजिक सुरक्षा अधिकतम है। वह क्यों अपना रोजगार छोड़ेगी? अदालत को भी बच्चों का भविष्य उसी के पास नजर आएगा। इस कारण से आप को बच्चों की कस्टडी मिलने का मार्ग तो न्यायालय से नहीं ही खुलेगा। आप तलाक लेना चाहते हैं और आप की पत्नी व उस के माता-पिता इस के लिए धन चाहते हैं तो गलत क्या है? आखिर आप की संतानें आप की और आप की पत्नी की हैं और यदि बालिग होने तक उन की परवरिश के खर्चे में आप के योगदान के रूप में वे कुछ धनराशि चाहते हैं तो यह तो आप को देना होगा। वर्तमान में जो 3000 रुपया प्रतिमाह खर्च अदालत ने निर्धारित किया है वह भी बच्चों के लिए है। उसे देने में आप को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यदि इसी राशि को किसी राशि का ब्याज मानें तो भी वह राशि भी चार लाख रुपया होती है। बच्चों की उम्र् बढ़ने के साथ उन का खर्च भी बढ़ेगा।
आप तलाक ही चाहते हैं तो अपनी पत्नी और उस के माता-पिता से बात करें। जरूरत हो तो किसी काउंसलर की मदद लें या अदालत को ही बीच में डालें और समझौते व सहमति से विवाह विच्छेद प्राप्त कर लें।
लूनाराम में अपनी माँ के साथ रहता हु २००७ से पहले मेरा खुद का अनाज का कम था मेरे पत्नी मेरे से १९९९-२००७ कई बार में तक़रीबन ५०००००/- लेकर अपने माँ बाप को दे चुकी थी २००७ में मेरी दुकान में सेल टैक्स की गलत रिकवरी निकली उस वकत तक वो कोई कम नही करती थी जब २००७ म उस पता चला तो उसने घर मे लड़ाई सुरु कर दी मेरी दुकान मेरे भाई की साद सजे में ह में टैक्स का केस भी हाईकोर्ट से मेरे हक़ में हुआ ह पत्नी का भाई कोई कम नहीं करता ह पतनी की बहन की शादी २००० मी हुई थी पर उसकी कोई बच्चा नहीं ह अब वो लोग मेरे बेटे को उनको देना चाहते ह २००८ में मेरी बहन की शादी में बही उन लोगो ने बचो को नहीं बेजा २०११ म मेरे पिता की अंतिम किर्या म भी बच्चो को नही भेज जबकि सुनाम की पंचायत ने व संगरिया ने बार बार कहा उन लोगो का मकसद सिर्फ मेरा रूपया कने तक ह पत्नी के शादी से पहले किसी और से समंद थी जो हमें अब पता चला ह वो बच्चो को वक्त नहीं दे पति ह मेरे पास अपनी व बच्चो की अव्सकता अनुसार अमदन ह जह उसे पता ह पर अगर म कोर्ट म बताता हु तो मुझे वो कमाए उसे देनी पड़गी उसके माँ बाप मेरे १ बच्चा उसकी बहन को और मेरी सम्पति में से ३ हिसे की मग पंचयत में कर रहे ह वो पंचयत