पत्नी से संवाद स्थापित करने का प्रयत्न करें …
|भरत प्रजापत ने पाली, राजस्थान से पूछा है-
मेरी शादी 5 साल पहले हुई थी। हमारे समाज में प्रचलित आँटा-साटा प्रथा (पत्नी के भाई से बहन की शादी)के अनुसार यह शादी हुई थी। मेरी बहन जाना चाहती थी। अतः मेरी पत्नी मायके गई तब वहाँ 6 महीने तक रही। बाद में वो आना भी चाहती थी लेकिन उसके घर वालों ने उसे मिस करदिया तो उस ने भी मुझे आने से इनकार कर दिया। समाज की रीति से विवाह विच्छेद हो गया।मेरी एक बच्ची है मैं उसे लाना चाहता हूँ। मै ओबीसी वर्ग से हूँ। मैं उसे कोर्ट के जरिए लाना चाहता हूँ क्यों कि एक माँ माँ होती है और सौतेलीसौतेली। क्या वो मुझे वापस मिल सकती है मैंने उसे कभी परेशान नहीं किया।उस केघरवालों ने पहले मुझ पर व मेरे घरवालो पर केस (मुकदमा) करने को कहा तोउसने मना कर दिया। मैं दूसरी औरत नहीं लाना चाहता। आप मुझेसलाह दें किक्या कोर्ट के जरिए वो मुझे मिल सकती है?क्या मैं नहीं चाहूँ तो तलाक नहीं होसकता? क्या एक की सहमति से तलाक हो सकता है?क्या वो मुझ पर दहेज …. वअन्य मुकदमे कर सकती है? क्या ऐसी कोई कानून प्रणाली है जिस में मेरा दाम्पत्यजीवन वापस बन सकता है।
समाधान-
दाम्पत्य ऐसी चीज है जो कि दो पहियों पर चलती है। पति पत्नी दोनों की इच्छा, सहमति और साथ से दाम्पत्य चलता है। आप के मामले में विवरण से लगता है कि आप की पत्नी भी आप के साथ रहना चाहती है लेकिन उस पर अपने परिजनों का बहुत अधिक दबाव है और उस का कारण समाज में प्रचलित प्रथाएँ और स्त्री-पुरुष की असमान स्थिति है। आप की पत्नी उस के माता-पिता और भाई के दबाव के कारण आप के साथ न आई। हो सकता है उस की समझ ही ऐसी हो कि आँटा-साँटा के विवाह में यदि एक जोड़ा बिछड़ गया तो दूसरा भी अनिवार्य रूप से बिछड़ेगा।
आप का समाज के माध्यम से जो विवाह विच्छेद होना आप ने बताया है उस का कानून के समक्ष कोई महत्व नहीं है। आप की पत्नी आज भी कानूनन आप की पत्नी ही है और आप उसे अपने साथ रखने के लिए धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन इस धारा के अन्तर्गत न्यायालय पत्नी को आप के साथ रहने के लिए आदेश तो पारित कर सकता है लेकिन फिर भी वह न आए तो उसे जबरन साथ लाने का कोई प्रावधान कानून के पास नहीं है। फिर आप कानूनन तलाक ही ले सकते हैं।
यदि आप अपनी पत्नी को बेटी सहित ला कर अपने साथ रखना चाहते हैं तो आप को किसी न किसी रूप में अपनी पत्नी से सम्पर्क साधना होगा और उसे मनाना होगा कि यदि उसे अदालत में बुला कर पूछा जाए कि वह आप के साथ रहना चाहती है क्या तो वह जज के सामने हाँ कर दे। और यदि जज उसे अदालत से आप के साथ भेजना चाहे तो वह बेटी के साथ अदालत से ही आप के साथ चल दे। यदि आप अपनी पत्नी के साथ संपर्क कर के इतना कर लें तो आप की राह अत्यन्त आसान हो जाएगी। तब आप धारा-9 का आवेदन प्रस्तुत कर उसे अदालत से नोटिस निकवाएँ और अदालत में उस के आने पर अदालत के माध्यम से उसे घर ले आएँ।
बिना दोनों की सहमति के विवाह विच्छेद नहीं होता है। लेकिन यदि कोई एक पक्ष किसी मजबूत कानूनी आधार को न्यायालय के समक्ष प्रमाणित कर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकता है। जो आप दोनों के बीच संभव नहीं लग रहा है।
आप की पत्नी आप के विरुद्ध मुकदमे कर सकती है। लेकिन आप के बताए तथ्यों से पता लगता है कि वह ऐसा नहीं चाहती। यदि वह दबाव में आ कर कोई मुकदमा करेगी भी तो वह न्यायालय में असफल हो जाएंगे।
मेरी राय में आप अपनी पत्नी से संवाद की स्थिति बनाने की कोशिश करेंगे तो आप को दाम्पत्य जीवन बन सकता है।