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परेशान न हों, दुकान खाली कराने का मुकदमा करें और मकान का निर्माण कराएँ, दुकान तो खाली हो जाएगी।

Jhola doctorसमस्या-

शुक्लागंज, उन्नाव, उत्तर प्रदेश से राजा सिंह ने पूछा है –

मेरे पिता जी ने फरवरी 2012 में कस्बे की व्यवसायिक सड़क पर एक मकान खरीदा जिस की चौड़ाई 13 फुट है जिसमे 10 फुट दुकान 3 फुट की गॅलरी है। दुकान की लंबाई 12 फुट है और पीछे 37 फुट में कुछ भी नहीं बना था। दुकान में 25 साल से एक डॉक्टर बीएएमएस डिग्री से सेल्फ़ प्रॅक्टिस करता है। उस ने जब हम लोग मकान ले रहे थे तो कहा था कि हम मकान छोड़ देंगे क्यों कि हम बूढ़े हो गये हैं। हम अपने घर वाली दुकान मे सेल्फ़ प्रॅक्टिस कर लेंगे। हम लोग उसकी बातों में आ गये। मकान लेने के बाद जब हम लोग उसके पास गये तो उस ने कहा कि हमें 5-6 महीने का समय दो तो हम लोगो ने सीधा समझ के दे दिया।  जब हम लोग नवम्बर 2012 में उसके पास गये तो वो हम लोगों को धमकी देते हुए बोला कि उसे 2 लाख रुपये चाहिए नहीं तो क़ानून भी कभी दुकान खाली नही करा पाएगा। हम लोग बहुत चिंतित हुए हम लोगों ने कुछ पैसों का इंतज़ाम कर के मई 2013 में उस के पास गये तो वो कहने लगा कि मैं 2 लाख से एक भी कम नहीं लूंगा।  पिताजी मायूस होकर आ गये। फिर पिताजी 21 अगस्त को उस के पास हाथ पैर जोड़ कर उसे मनाने के लिए गये। क्यों की वो दुकान की दीवार गिरने की हालत में थी और वो उसे बनवाने जा रहा था। तो वो एक सरिया ले के पिताजी की तरफ दौड़ा। पिताजी पुलिस के पास गये तो पुलिस ने काम बंद करा दिया। पुलिस ने 2 घंटे उसे बिठा कर छोड़ दिया। फिर पुलिस हम ही लोगों को धमका कर कहती है कि अगर यह दुकान हल्की भी टूटी तो तुम (पिताजी) पर इतनी दफ़ा लगाउंगा कि तुम्हारी सरकारी नौकरी भी चली जाएगी। यथा स्थिति बनाए रखो। फिर 5 सितम्बर को 2 वकील दुकान की फोटो खींच कर ले गये और पता चला है की उसने केस कर दिया है स्टे के लिए। उस ने हम लोगों को आज तक एक रुपया किराया नहीं दिया है और हमें ही धमकाता है। उस के 2 लड़के 30-35 साल के हम को धमकाते हैं और कहते हैं कि तुम्हारे वकील भी हमारे हो जाएंगे। तुम तो गये काम से। हमारे पास कोई मकान नहीं है उस के पास उसी रोड पर मकान और दुकान है वो एक प्राइवेट डाक्टर है। 15 रुपये में दवाई देता है। हम लोग पागल हुए जा रहे हैं। क्या हम लोग कभी मकान में कब्जा नहीं ले पाएँगे हमारे पिताजी 2017 मे रिटायर हो रहे हैं मेरी उम्र 20 साल और 3 बहनें हैं।  उस डाक्टर को) को गुण्डों का संरक्षण प्राप्त है।  हम लोग को मजबूरी मारे डाल रही है।  कोई सार्थक उपाय बताएँ।  हमारे पास ज़्यादा बैंक बैलेन्स भी नहीं है।  हमें दीदी की शादी भी करनी है। हम लोग किराए के मकान में रहते हैं।

समाधान-

प का परिवार एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार है जिस के पास कस्बे में अपना आवास तक नहीं है और वह किराए के मकान में निवास करता है। परिवार में माता पिता के सिवा तीन बहनें भी हैं। पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं और दीदी का विवाह करना है। आप के पिता ने जैसे तैसे कुछ बचत कर के अपने मकान और रिटायरमेंट के बाद कुछ आय का जुगाड़ करने के लिए व्यावसायिक सड़क पर एक दुकान और उस के पीछे का खाली प्लाट खरीदा है। अब दुकान का किरायेदार दुकान खाली नहीं कर रहा है जब कि दुकान खरीदने के पहले उस ने वायदा किया था कि वह दुकान खाली कर देगा। आप के पिता से उस ने झगड़ा किया और वे पुलिस के पास गए। पुलिस ने कार्यवाही तो की लेकिन आप के पिता को भी धमका दिया। अब दुकानदार अदालत में स्टे के लिए गया है और उस के लड़के आप को धमका रहे हैं। आप ने अपने मकान का सुखद सपना देखा था लेकिन वह अब खटाई में पड़ गया है और मुसीबतें सामने है। लगता है दुकान खरीदने में जो पैसा लगाया था वह सब बेकार चला गया है और संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन यह सब स्वाभाविक है और उस से घबराने की तनिक भी जरूरत नहीं है। वह किराएदार डाक्टर, उस के लड़के और पुलिस ने अपने अपने चरित्र के मुताबिक ही भूमिकाएँ अदा की हैं।

प का डाक्टर किराएदार भी उसी मध्यवर्ग का हिस्सा हैं, जिस के आप हैं। उस ने भी पन्द्रह रुपए में दवाई बेच बेच कर केवल जीवन यापन ही किया है और हो सकता है उस के लड़के अभी तक अपने पैरों पर खड़े भी न हो पाए हों, रहने को मकान बना लिया हो जिस में प्रेक्टिस करने लायक दुकान भी हो लेकिन 25 साल से जिस दुकान में वह किराएदार था उस दुकान को खाली करने मात्र से लाख दो लाख रुपए की कमाई होने की गुंजाइश दिखने पर वह इस मौके को नहीं छोड़ना चाहता हो। किराएदार का व्यवहार एक सामान्य मध्यवर्गीय व्यक्ति की तरह है। आप को मकान की आवश्यकता है।  बिना किसी बड़ी मुसीबत के उस का कब्जा हासिल करने के लिए आप के पिता ने कुछ धन की व्यवस्था कर लेना इसी बात का द्योतक है।

पुलिस किसी किराएदार से मकान खाली नहीं करा सकती यह उस के अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है। आप के पिताजी मकान की गिरने वाली दीवार के मामले में किराएदार से बात की उस ने झगड़ा करने का प्रयत्न किया। शान्ति भंग होने की स्थिति बनी वैसी स्थिति में पुलिस ने डाक्टर को दो घंटे थाने में बिठा लिया। इस से अधिक पुलिस अधिक से अधिक यह कर सकती थी कि डाक्टर और आप के पिता के विरुद्ध शान्ति भंग न करने के पाबंद करने हेतु एक शिकायत किसी कार्यपालक दंडनायक की अदालत में दाखिल कर देती। हो सकता है उस ने ऐसा किया भी हो। उस ने आप के पिता को धमकाया भी कि वे डाक्टर से न उलझें यह भी सही किया। क्यों कि किसी मकान दुकान को खाली कराने के लिए ताकत का प्रयोग करना उचित और कानूनी नहीं है। इस के लिए आप के पिताजी को दीवानी न्यायालय में कार्यवाही करनी चाहिए। जिस में कुछ समय तो लगेगा लेकिन किराएदार को दुकान खाली करना पड़ेगी।

जिस उम्र में आज आप हैं जब मैं उस उम्र में था तब मेरे पिता जी ने भी एक मकान खरीदा था जिस के एक हिस्से में किराएदार रहता था। उस समय उस किराएदार ने भी यही कहा था कि वह मकान खाली कर देगा। लेकिन उस ने नहीं किया। हम ने उस से कोई झगड़ा न किया। केवल कुछ समय बाद जब वह मकान के शौचालय का नवनिर्माण कराने लगा तो हमने मकान खाली कराने का मुकदमा कर के शौचालय के निर्माण पर स्टे ले लिया। बाद में कुछ समय तो लगा लेकिन मकान खाली हो गया। इस तरह आप को और आप के पिता जी को भी थोड़ा धीरज रखना पड़ेगा। दुकान निश्चित रूप से खाली हो जाएगी।

ह तो सही है कि आप के पिता जी ने वह संपत्ति रहने के लिए खरीदी है। लेकिन उस संपत्ति में कोई रहने लायक मकान नहीं है, दुकान के अतिरिक्त केवल एक खाली प्लाट है। निश्चित रूप से आप के पिता जी की योजना इस खाली प्लाट पर आवासीय मकान बनाने की रही होगी। तो आप के पिता जी खाली प्लाट पर मकान बनाएँ तो कोई उन्हें रोक नहीं सकता।

प ने मकान फरवरी 2012 में खरीदा था। इस तरह उसे खरीदे लगभग डेढ़ वर्ष हो चुका है और तब से किराएदार ने मकान का किराया नहीं दिया है। इस तरह किराएदार ने अठारह माह का किराया न दे कर किराया अदायगी में चूक की है। यह दुकान खाली कराने के लिए एक मजबूत आधार है।  इस के अतिरिक्त एक आधार यह भी हो सकता है कि उन का पुत्र वयस्क हो चुका है और वे उसे उस दुकान में व्यवसाय कराना चाहते हैं जिस के लिए उन्हें उस दुकान की निजि आवश्यकता है। इस तरह आप के पिता जी इन दो मजबूत आधारों पर दुकान खाली करने का दावा कर डाक्टर पर कर सकते हैं। कुछ समय तो लगेगा लेकिन दुकान खाली हो जाएगी। उस के लिए किसी भी तरह झगड़ा वगैरह करने या डाक्टर से संबंध खराब करने की कोई जरूरत नहीं है। डाक्टर इसी लिए आप के पिता से रुपया मांग रहा है कि आप दुकान को जल्दबाजी में खाली कराना चाहते हैं और न्यायालय की प्रक्रिया से डरते हैं। यदि वह रुपया आप के पिताजी उसे दे दें तो वह तुरन्त खाली कर देगा वर्ना जानबूझ कर मुकदमे को लंबा करेगा। पर मेरे विचार में अदालत की कार्यवाही से दुकान खाली कराना उचित है।

प के पिताजी जब मकान खाली कराने का मुकदमा करें तो इस बात की अस्थाई निषेधाज्ञा के लिए भी आवेदन करें कि मुकदमा चलने के दौरान दुकाने के पीछे के खाली प्लाट और दुकान के ऊपर मकान का निर्माण करने में वह किराएदार बाधा उत्पन्न न करे। इस से आप के पिता प्लाट पर निर्माण कर के मकान बना सकते हैं और उस में जा कर निवास कर सकते हैं। दुकान मुकदमा निपटेगा तब खाली हो जाएगी। डाक्टर ने जो मुकदमा किया है उस में इस के अतिरिक्त और कोई आदेश न होगा कि आप उस से केवल न्यायिक प्रक्रिया अपना कर ही दुकान खाली कराएँ जबरन न कराएँ और यह आदेश उचित है।

प शान्तिपूर्वक अपनी पढ़ाई आदि जारी रखें। आप के पिताजी दुकान खाली करने का मुकदमा करें और मकान का निर्माण करवा कर उस में रहने जाएँ। दुकान तो कभी न कभी खाली हो ही जानी है। आखिर किराएदार हमेशा किराएदार ही रहता है वह कभी उस का मालिक नहीं बन सकता। इस के लिए आप के पिता जी को नगर के अच्छे दीवानी मामलों के वकील से सम्पर्क करना चाहिए। किराएदार के पुत्रों की इस धमकी में कोई वजन नहीं है कि जो भी वकील करेंगे वह उन का हो जाएगा। इस दुनिया में लोग बिकते हैं लेकिन सब फिर भी नहीं बिकते। जिस वकील की प्रतिष्ठा ईमानदारी से काम करने की हो उसे वकील करें। आप के परिवार को कुछ परेशानी तो होगी लेकिन कुछ समय बाद हल भी हो जाएगी। यदि आप के पिताजी ऐसी संपत्ति खरीदते जिस में कोई किराएदार न होता तो यह समस्या नहीं होती। निश्चित रूप से किराएदार होने के कारण वह संपत्ति आप के पिताजी को बाजार दर से कुछ कम कीमत पर ही मिली होगी। अब उस के कारण यह समस्या तो झेलनी पड़ेगी। संपत्ति सदैव कुछ न कुछ झगड़ा साथ ले कर बनती है, यह मौजूदा दुनिया का नियम है।  संपत्ति बनानी है तो इस से समझदारी से निपटना पड़ेगा।

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