पिताजी के मकान का बँटवारा कैसे हो?
| मथुरा (उ.प्र.) से बृजेन्द्र कुमार दुबे ने पूछा है –
मेरे पिताजी का देहान्त हुए 9 साल हो गये हैं, पिताजी ने एक मकान लिया था, रजिस्ट्री में केवल उन का ही नाम है, मम्मी का नहीं है। हम 4 भाई, 4 बहन हैं। हमारा मकान गिरने की कगार पर है। बड़ा भाई अपना हिस्सा मुझे देने को तैयार है। लेकिन एक भाई न तो हिस्सा ले रहा है और न ही मकान बनाने देता है और न ही अपने हिस्से का रुपया ले रहा है। क्या मम्मी इस मकान का हिस्सा नहीं कर सकतीं? इस मकान का हिस्सा कैसे होगा? मैं अपना हिस्सा कैसे बनवा सकता हूँ। कृपया कोई सुझाव दीजिये। मैं प्राईवेट नौकरी करता हूँ। कम्प्यूटर टाइपिस्ट हूँ।
उत्तर –
दुबे जी,
आप के पिता जी के देहान्त के तुरंत बाद उन के उत्तराधिकारी उस मकान के संयुक्त रूप से स्वामी हो गए हैं। इन में आप की माता जी और आप भाई-बहिन सम्मिलित हैं। आप लोग आपस में समझौता कर के इस मकान का बँटवारा कर सकते हैं। बँटवारे का जो दस्तावेज लिखा जाए उसे उप रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत कराया जा सकता है। इस तरह बँटवारा करने के लिए सभी की सहमति और बँटवारानामा पर सभी के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। इतना ही नहीं बँटवारानामा के पंजीयन के लिए भी सभी को उपपंजीयक के यहाँ उपस्थित होना पड़ेगा।
इस तरह के मामलों में एक दस्तावेज और है जो लिखा जा सकता है जिस पर स्टाम्प ड्यूटी भी कम लगती है। आप चाहें तो इस सम्पत्ति के अन्य सहभागीदारों (माता, भाई और बहिन) में से जो भी अपना हिस्सा आप के पक्ष में छोड़ना चाहते हों उन से हक-त्याग विलेख (Relese Deed) उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवा सकते हैं। इस से आप को उस सहभागीदार का हिस्सा आप को प्राप्त हो जाएगा। जितने हिस्से की रिलीज-डीड आप के नाम पंजीकृत हो जाएगी उतने हिस्सों के आप स्वामी हो जाएंगे। बँटवारा फिर भी नहीं होगा। उस के लिए तो रिलीज-डीड के बाद शेष बचे भागीदारों के बीच सहमति से बँटवारा ही अच्छा उपाय है। आप चाहें तो माता जी के हस्तक्षेप से सहमति से बँटवारा कर सकते हैं।
लेकिन किसी भी हालत में सहमति से बँटवारा नहीं हो तो आप रिलीज-डीड निष्पादित करने के उपरांत या उन के होने की संभावना न हो तो उस के पहले और तुरंत भी सीधे न्यायालय में बँटवारे के लिए दीवानी वाद संस्थित कर सकते हैं। इस में आप को उस संपत्ति के सभी भागीदारों को पक्षकार बनाना पड़ेगा। न्यायालय से वाद डिक्री हो जाने पर उस के अनुसार बँटवारा कर कब्जे लोगों को दिए जा सकते हैं, यदि भौतिक रूप से बँटवारा संभव नहीं हो तो मकान को विक्रय कर सब को उन के हिस्से के अनुसार नकद राशि का भुगतान किया जा सकता है। मेरे विचार में आप को तुरंत किसी स्थानीय वकील से सलाह कर के बँटवारे के लिए वाद संस्थित कर देना चाहिए।
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9 Comments
काफी अच्छी जानकारी
…such a knowledge full and informative post.
काफ़ी बढिया जानकारी……………आभार्।
आपने काफी अच्छी जानकारी दी है और साथ में आपकी राय आपसी सहमति से किया बंटवारा सबसे उचित होता है व उसको पंजीकृत करवाना.
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये……"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
अच्छी जानकारी,
acchee jaanakaaree| dhanyavaad|
mahatavpurna jaankari
aapka aabhar
अच्छी जानकारी,आभार.