पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा लेने के लिए क्या करें?
17/07/2011 | Legal Remedies, Partition, Property, Succession, उत्तराधिकार, कानूनी उपाय, संपत्ति | 8 Comments
| श्रीमती नाथीदेवी ने पूछा है –
मेरे पिता मांगीलाल जी का स्वर्गवास 1965 में हो गया था। हम अपने पिता की तीन संतानें हैं, दो पुत्र और एक पुत्री। लेकिन मेरे पिता की संपंत्ति में मेरा हिस्सा बिलकुल नहीं छोड़ा गया है। मैं क्या कर सकती हूँ?
उत्तर –
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 17 जून 1956 को लागू हो गया था। उस के बाद से ही पिता की संपत्ति में पुत्री को प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों में सम्मिलित किया गया है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उस की निर्वसीयती संपत्ति में उस की पत्नी, पुत्र और पुत्रियाँ समान भाग की अधिकारी हैं। आप के द्वारा बताए गए तथ्यों के अनुसार यदि आप की माता जी जीवित नहीं हैं और आप के दो भाई जीवित हैं तो आप के पिता की संपत्ति के तीन भाग होने चाहिए जिस में से एक भाग की आप स्वामिनी होंगी। किसी भी व्यक्ति का देहान्त होते ही उस की संपत्ति उस के उत्तराधिकारियों की संयुक्त संपत्ति में परिवर्तित हो जाती है। इस तरह आप के पिता के देहान्त के उपरान्त आप के पिता की संपत्ति भी उन के उत्तराधिकारियों की संयुक्त संपत्ति में परिवर्तित हो गयी है। इस संयुक्त संपत्ति में आप का भी हिस्सा सम्मिलित है।
हो सकता है कि इस संयुक्त संपत्ति पर आप के भाइयों का कब्जा रहा हो और यह भी हो सकता है कि उन्हों ने उपयोग की दृष्टि से उस संपत्ति को दो भागों में विभाजित कर दोनों उस पर काबिज हो गए हों। लेकिन स्वामित्व के लिहाज से वह संपत्ति आज भी संयुक्त संपत्ति ही है और उस में आप का हिस्सा मौजूद है, जब तक कि उस संपत्ति का विभाजन नहीं हो जाता है। संपत्ति का विभाजन उस संपत्ति के सभी भागीदार आपसी सहमति से कर सकते हैं और इस विभाजन को पंजीकृत करवा सकते हैं। लेकिन आपसी सहमति संभव नहीं हो तो समस्त संपत्ति का विभाजन करने और अपने हिस्से का कब्जा दिलाए जाने के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जा सकता है।
आप को करना, यह चाहिए कि आप अपने भाइयों से कहें कि तीनों बहन-भाई आपस में बैठ कर संपत्ति का बँटवारा कर लें और उसे पंजीकृत करवा लें। यदि भाई सहमत नहीं होते हैं तो आप को अपने क्षेत्र के किसी अच्छे और विश्वसनीय वकील से मिल कर उस के माध्यम से पिता की संपत्ति के विभाजन के लिए वाद न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए।
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8 Comments
मेरे हिस्से का जमीन मेरे बारे भई ने बेच लिया और वो जमीन मेरे पिता जी के नाम पे था पर वो मेरे हिस्से में आया था और मेरे पिता जी पढ़े लिखे नई हे जिसके वजह से मेरे बारे भाई ने उन से धोके से जमीन लिख व लिया। और में अब उन से पैसा मांगता हु तो वो देने से माना कर रहे हे तो में अब क्या करू। क्या में उन पे क़ानूनी करवाई कर सकता हु?
मे रे पिता की संपत्ति पर मेरे बडेभाई का कब्जा है और वह संपत्ति का बेचा नामा किसी सोनार काे पिता ने कर दिया था जिसका मुकदमा चल रहा है और अब मुझे अपना हिला चाहिए कृपा काेई हल बताये.
मेरा नाम सुमन है हम सब भाई बहन मिलकर पाँच है चार लोगो की शादी हो चुकी है मेरे पिता अभी जीवित है मेरे पिता नेमेरे ससुर जी से 200000/- रूपये लिए और मैने अपने सासुर जी से बात करके दिला दिया मेरे ससुर ने कहा बाहू तुम्हे`जानकारदे रहा हूँ, सो तुम्ही निकलना सो मैने दिला दिया अब 2-3 शाल हो चुके है ओर आब देने से मना कर रहे है तो मेरे पिता के पास ज़मीन है काफ़ी है और मेरे पिता जीवित है और मारे नही है तो क्या हम बटवारे के लिए आवेदन करसकते है ? और ये कितने दीनो मे हो सकता है और इस्केलिए क्या करना होगा ? कृपया उचीत स्लाह दे! रुपये लेनदेन का कोई लिखित दस्तावेज़ नही है !और परिवार मे सुख शांति के लिए अपने पिता की संपाति लेना ही पड़ेगा !
जैसे जैसे जमीन की कीमते आसमान छू रही है | लड़कियों ने भी अपना हिस्सा मांगना शुरू कर दिया है |
इस जानकारी के लिए आभार।
——
ब्लॉगसमीक्षा की 23वीं कड़ी।
अल्पना वर्मा सुना रही हैं समाचार..।
@ डॉ. दराल
यह अधिनियम 1956 में अस्तित्व में आ चुका था। उसे आधी शती से अधिक समय गुजर चुका है।
दरार तो तब आती है जब बहिन का अधिकार देने से इंन्कार किया जाता है। भाई क्यों नहीं बहन का अधिकार खुशी खुशी दे देते? बहन को क्यों अदालत जाना पड़े? यदि पहले से ही ऐसा माहौल हो कि कानून के अनुसार बँटवारा करने में किसी को कोई आपत्ति न हो तो ऐसा माहौल भी बन सकता है कि सभी उत्तराधिकारी कानून से नहीं जरूरत के आधार पर संपत्ति का बँटवारा करने लगेंगे। लेकिन लालच इस में हर बार टांग अड़ाता है।
द्विवेदी जी , इस अधिनियम से परिवारों में दरारें नहीं आ रही हैं ? बहन भाई या मां के विरुद्ध अदालत में खड़ी होती है . कैसा लगता होगा ?
यह जानकारियां कई लोगों के लिए उपयोगी साबित होंगी। कई बार लोग अनभिज्ञता के कारण या जानकारियों के अभाव में अकारण परेशानी का सामना करते हैं। आपकी कानूनी मसलों पर दी गई जानकारियां आम लोगों के लिए काफी उपयोगी हैं। इस कार्य के लिए आपका धन्यवाद।