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पुत्रवधु व उस के बच्चों ने मकान पर कब्जा कर लिया है और मेरे साथ गाली-गलौच व मारपीट करते हैं

समस्या-

मेरी उम्र 75 साल है। मेरे पति की मौत 2008 में हो गई है। मेरा एक लड़का और एक लड़की है। लड़की की शादी हो चुकी है और लड़के की शादी 17 साल पहले हुई थी, उसके भी दो बच्चे हैं।  मेरे पति ने कुछ पैसे अर्जित कर यहाँ एक मकान बनाया था और हम सब लोग अभी तक उसी मकान में रह रहे हैं। मेरे पति की मौत के बाद मेंने अदालत से रजिस्टर्ड डिग्री मकान की मेरे नाम करवा ली है। जिसमें मेरे लड़का और लड़की ने अदालत में जाकर मकान मेरे नाम करने के बयान भी दिए हैं। लेकिन अब मेरी बहू और बेटे के बीच कई सालों से झगडा चल रहा है और दोनों ने एक दूसरे पर कोर्ट केस कर रखे हैं। मेरा लड़का करीब चार सालों से मेरे घर में नहीं रह रहा है। लेकिन बहू और बच्चे अभी भी मकान में ही रह रहे हैं। मुझे मेरी बहू शुरु से ही नहीं चाहती है। अब तो उसने मेरा जीना ही दुश्वार कर दिया है। बात बात पर मुझे गाली देती है, मारती पीटती है,और मुझे कहती है कि मेरे घर से निकल जा। इस सभी से तंग आकर मैंने अपने बेटा और बहू को अपनी चल अचल सम्पत्ती से बेदखल कर दिया है। लेकिन वो लोग मेरे ही घर में रहकर मुझे ही मारते पीटते हैं और बहू कहती है कि मकान पर मेरा हक़ है। तू यहाँ से निकल जा।  इसलिए मैं आपसे जानना चाहती की इस पर कानून क्या है? क्यों कि मेरी जिन्दगी अब नरक बन चुकी है। क्या कानून में उनलोगों का कोई हिस्सा बनता है या नहीं। जबकि ये मेरी पूर्वजों की जायदाद नहीं है। पूर्वजों की जायदाद गाँव में है।

-राधा, रोहतक, हरियाणा

समाधान-

प के द्वारा दिए गए विवरण से पता लगता है कि जिस मकान (जायदाद) की आप बात कर रही हैं वह आप के पति ने स्वअर्जित आय से निर्मित किया था। आप के पति की मृत्यु के उपरान्त आप के पुत्र और पुत्री ने अपना हिस्सा आप के हक में त्याग कर आप को उस मकान का पूर्ण स्वामी बना दिया है। इस तरह वह मकान आप की स्वअर्जित संपत्ति हो गया है। उक्त मकान में आप के जीते जी किसी भी व्यक्ति का कोई हक नहीं है। आप चाहें तो उक्त मकान की किसी भी व्यक्ति के नाम वसीयत कर सकती हैं, उसे दान कर सकती हैं या उसे बेच सकती हैं।

प की समस्या यह है कि आप के उस मकान में ही आप की पुत्रवधु व उस के बच्चे निवास कर रहे हैं जो आप के साथ गाली-गलौच करते हैं और मारपीट करते हैं। अब तक उन्होंने आप के साथ जो कुछ भी किया है आप ने उस के बारे में संभवतः कोई कार्यवाही नहीं की है। लेकिन आप की पुत्रवधु और उस की संतानों द्वारा आप के साथ गाली-गलौच करना और मारपीट करना अपराधिक कृत्य हैं। आप को उन के इस कृत्य के लिए पुलिस को सूचित करना चाहिए कि वह उन के विरुद्धसमुचित कार्यवाही करे। इस पर पुलिस उनके विरुद्ध कार्यवाही करेगी। यदि वे लोग दुबारा आप के साथ ऐसा करते हैं तो आप दुबारा शिकायत कीजिए। पुलिस फिर से दुबारा उन के विरुद्ध कार्यवाही करेगी।आप पुलिस को उन से अपनी सुरक्षा के लिए भी कह सकते हैं। पुलिस इस संबंध में भी कार्यवाही कर सकती है।

प की पुत्रवधु और उस की संतानें जो आप के मकान में निवास कर रहे हैं। वे आप की इच्छा से ही वहाँ निवास कर रहे हैं। आप उन्हें नोटिस दे सकती हैं या किसी वकील के माध्यम से दिलवा सकती हैं कि मकान आप का है और आप अब उन्हें मकान में नहीं रखना चाहती हैं। यदि वे इस नोटिस के उत्तर में मकान खाली कर देते हैं तो ठीक है अन्यथा मकान के जिस भाग में वे निवास कर रहे हैं उसे खाली कर उस का कब्जा आप को दिलवाने के लिए आप न्यायालय में कब्जे तथा नोटिस देने से ले कर मकान खाली करने तक मकान के उपयोग-उपभोग के खर्चे का दावा दाखिल करवा सकती हैं। इस में कुछ समय तो लग सकता है। लेकिन उन्हें मकान खाली कर कब्जा आप को देना पड़ेगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो न्यायालय आप को अपना मकान खाली करवा कर उस का कब्जा दिलवा सकता है। इसी दावे में आप आवेदन कर के न्यायालय से अंतरिम निषेधाज्ञा इस आशय की जारी करवा सकती हैं कि वे मकान के उस हिस्से तक ही सीमित रहें जिस में वे निवास कर रहे हैं और आप के हिस्से में प्रवेश नहीं करें तथा आप के साथ गाली-गलौच व मारपीट आदि न करें। यदि वे फिर भी ऐसा कुछ करते हैं तो आप न्यायालय के आदेश की पालना न करने के मामले में उन के विरुद्ध कार्यवाही कर सकती हैं।

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