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पुलिस आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं कर रही, क्या किया जाए?

समस्या-

पुलिस थाना में एक फोजदारी मुकदमा दिनांक 20.11.2010 को क्रमांक 120/2010 पर दर्ज हुआ था। इस मुकदमे में दिनांक 15.06.2011 को धारा 161 दं.प्र.संहिता का बयान भी हो चुका है। लेकिन आज दिनांक 30.05.2012 तक भी न्यायालय में कोई आरोप पत्र पुलिस ने प्रस्तुत नहीं किया है। मुझे क्या करना चाहिए जिस से आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत हो जाए।

-विजय कुमार, पटना, बिहार

समाधान-

प के प्रश्न से यह पता नहीं लग रहा है कि उक्त प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट सीधे पुलिस ने दर्ज कर ली थी अथवा न्यायालय में प्रस्तुत की गई शिकायत पर न्यायालय द्वारा धारा 156 (3) में दिए गए आदेश पर दर्ज हुई थी। यदि न्यायालय के आदेश पर उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई थी तो आप न्यायालय को आवेदन कर सकते हैं जिस पर न्यायालय उक्त मामले में प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए पुलिस थाने को निर्देश जारी कर सकता है।आम तौर पर पुलिस इस तरह के मामलों में इतना समय नहीं लगाती है। यह भी हो सकता है कि पुलिस ने आप की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज ही न की हो और केवल रोजनामचे में आप की रिपोर्ट दर्ज कर ली हो और उस पर जाँच कर के यह नतीजा निकाला हो कि कोई अपराध घटित होना नहीं पाया जाता है। इस का पता संबंधित न्यायालय में उक्त नंबर की प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतिलिपि के लिए आवेदन करने से चल जाएगा। यदि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई होगी तो उस की प्रमाणित प्रतिलिपि मिल जाएगी। अन्यथा आप को इस नंबर पर दर्ज दूसरी प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि प्राप्त होगी।

दि पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट सीधे आप की शिकायत पर ही दर्ज कर ली थी  या न भी की थी तो आप वैसी ही शिकायत जो आप ने पुलिस थाना में प्रस्तुत की थी धारा 200 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें और न्यायालय को यह भी बताएँ कि पुलिस ने आप की रिपोर्ट पर आप के बयान भी लिए थे लेकिन आगे कोई कार्यवाही नहीं की। इस पर न्यायालय धारा 210 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत यह ज्ञान होने पर कि पुलिस के पास भी उक्त मामले में अन्वेषण चल रहा है आप की शिकायत पर कार्यवाही रोक देगा और पुलिस से उस के द्वारा दर्ज किए गए मामले की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए पुलिस को निर्देश जारी कर देगा।  यदि न्यायालय को यह पता लगता है कि आप की शिकायत पर कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी थी और कोई अन्वेषण पुलिस द्वारा नहीं किया गया था तो न्यायालय आप के बयान ले कर आप की शिकायत पर स्वयं प्रसंज्ञान ले सकता है अथवा पुलिस को अन्वेषण करने का आदेश दे सकता है।