पुश्तैेनी संपत्ति की आय से खरीदी गई संपत्ति भी पुश्तैनी है।
|परी चौहान ने अंबाला, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-
मेरे पिता के पास करोड़ोँ की संपत्ति है जो उन्होंने पुश्तैनी जमीन (जो सरकार ने अधिग्रहण कर ली थी) का मुआवजा मिलने के बाद उसी पैसे से अर्जित की है। उन्होंने बाकी बची जमीन और पुश्तैनी घर भी बेच दिया। पिता के दुर्व्यव्हारी और बुरी संगत में होने के कारन होने कारण कोई भी संतान माता पिता के पास रहने को तैयार नहीं है। हम 3 भाई बहन हैं और विवाहित हैं। पिता किसी भी परिस्थिति में किसी को कुछ नहीं देना चाहते। सारी सम्पत्ति उन्ही के नाम है पर उनके द्वारा कमा के इकट्ठी नहीँ की गई। पुश्तैनी जमीन उत्तर प्रदेश मेरठ में थी जो 80 के दशक में सरकार ने अधिग्रहण की थी जिसका मुकदमा लंबा चला और पूरा मुआवजा ब्याज सहित सन्2000 के आस पास मिला। फ़िलहाल पिता ने काफ़ी संपत्ति हरियाणा अम्बाला में ली है और यही रहते हैं। दो साल पहले अपनी सभी संतानो को 1-1 प्लाट दिया परंतु अपनी बदमिज़ाज़ी क चलते सभी से प्रॉपर्टी ट्रान्सफर करा ली। प्रश्न 1- प्रॉपर्टी ट्रान्सफर क्या है और उसकी कितनी वैधता है? 2- क्या पिता के ना चाहने पर भी उनकी नाम की संपत्ति में हम भाई बहनों का कानूनी हक़ है या नहीँ?
समाधान-
पुश्तैनी संपत्ति क्या है इसे हम पिछले आलेखों में अच्छी तरह बता चुके हैं। यदि पुश्तैनी संपत्ति को बेच कर या उस से होने वाली आय से नई संपत्ति बनाई गयी है तो वह भी पुश्तैनी ही है। इस कारण आप के द्वारा बताई गई संपत्ति पुश्तैनी और सहदायिक ही प्रतीत होती है। पुश्तैनी संपत्ति में आप भाई बहनों का अधिकार है। इस कारण से उस से होने वाली आय में भी आप सब के अधिकार हैं। आप के पिता उस संपत्ति को आप की अनुमति तथा हस्ताक्षरों के बिना विक्रय नहीं कर सकते। यदि उन्हों ने कोई संपत्ति विक्रय कर दी है तो भी वह विक्रय गलत और अवैध है।
आप के पिताजी ने पुरानी संपत्ति को विक्रय कर के अपने नाम से संपत्तियाँ बना ली हैं। जिस से किसी को भी लग सकता है कि यह पुश्तैनी न हो कर उन की स्वअर्जित संपत्ति है। इस स्थिति का लाभ उठा कर वे किसी को भी संपत्ति बेच सकते हैं। इस कारण आप को चाहिए कि आप तीनों अथवा तीनों में से कोई एक तुरन्त दीवानी न्यायालय में दीवानी वाद संपत्ति के विभाजन हेतु प्रस्तुत करें और साथ ही अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन भी इस आशय का प्रस्तुत करें कि वे आप की संपत्ति बेचें या बेचने का इकरार न करें, उसे खुर्द बुर्द न करें। आप चाहें तो संपूर्ण संपत्ति पर रिसीवर नियुक्त करने के लिए भी आवेदन कर सकते हैं जिस से सारी संपत्ति रिसीवर के कब्जे में आ जाए और उस से होने वाली आय को विभाजन तक वह सुरक्षित रखे। इस संबंध में आप का किसी अच्छे स्थानीय वकील से राय कर कार्यवाही करना उचित रहेगा।