पैतृक संपत्ति के विक्रय मूल्य की राशि से निर्मित संपत्ति भी पैतृक है
| वेद प्रकाश शर्मा पूछते हैं –
हम दो भाई और दो बहनें हैं, सब की शादी हो चुकी है। हम जिस घर में रहते हैं वह पिताजी ने हमारे पुश्तैनी को बेच कर उस से मिली धनराशि से बनाया है। मकान के दो स्पष्ट हिस्से हैं जिन के नगर निगम ने अलग अलग नंबर दे रखे हैं। मकान के दोनों भागों के मुख्य द्वार अलग अलग हैं। मकान बिजली के मीटर भी दो लगे हैं। एक पिता जी के नाम और एक मेरे नाम है। हमें पिताजी इस मकान से निकालना चाहते हैं। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम कोई दूसरा मकान ले सकें और ना ही कोर्ट में जाने की हैसियत है। क्या ऐसा कोई कानून नहीं है कि जिस में बेटों को पिता जी की संपत्ति में से सिर्फ सिर छुपाने को जगह मिल जाए? आप बताएँ हम दोनों भाई क्या करें?
उत्तर –
वेदप्रकाश जी,
आप के प्रश्न से यह नहीं स्पष्ट है कि आप के पिता जी आप को मकान से क्यों निकालना चाहते हैं। हो सकता है कि वे आप दोनों की कम कमाई से और आप के कमाई करने के प्रयासों से निराश हों। निश्चित रूप से वे वृद्धावस्था में होंगे उन्हें भी अपने और लड़कियों के लिए समारोह आदि में होने वाली खर्च आदि के लिए राशि चाहिए। शायद वे यह सोचते हों कि आप दोनों को घर मिला हुआ है और आराम से जीवन बिता रहे हैं। यदि आप लोग थोड़ा कष्ट में आ जाएँ तो फिर शायद कमाई करने के रास्ते भी तलाश करने लगें। इस से यह भी होगा कि आप दोनों के द्वारा मकान खाली कर देने पर वे उसे किराए पर दे कर अपना खर्च निकाल सकेंगे। यदि उन की सोच के पीछे यही कारण है तो फिर आप को चाहिए कि आप अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का प्रयत्न करें और कुछ न कुछ मदद अपने माता-पिता की अवश्य करें। आप उन्हें समझा भी सकते हैं कि आप के प्रयत्न करने के बाद भी आप कमाई बढ़ा नहीं पा रहे हैं। लेकिन आप की यह बात वे तभी समझ सकेंगे जब कि आप अपनी कमाई के जरिए बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील दिखाई देंगे। ऐसा करने पर हो सकता है आप के पिताजी आप को मकान खाली करने के लिए कहना छोड़ दें।
अब आप के प्रश्न का कानूनी उत्तर। यदि आप के पिता ने ये मकान पुश्तैनी मकान को बेच कर उस के विक्रय की राशि से बनाए हैं तो इन मकानों का चरित्र भी पुश्तैनी ही है। इस मकान में आप दोनों भाइयों का भी हिस्सा है। आप के पास मकान का कब्जा भी है। इस कारण से आप के पिता इस मकान से आप को नहीं निकाल सकते। उस के लिए उन्हें आप के विरुद्ध मकान खाली करने का वाद अदालत में संस्थित करना होगा। यदि वे ऐसा करें तो आप अपना बचाव यह कह कर कर सकते हैं कि मकान पुश्तैनी जायदाद है और उस में आप का हिस्सा है। फिलहाल आप को कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है, सिवाय इस के कि अपने माता-पिता को प्रसन्न रखने का प्रयत्न करते रहें।
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5 Comments
सुंदर सलाह ओर बढिया जानकारी, धन्यवाद
्बढिया जानकारी।
बहुत बढ़िया और शानदार पोस्ट! पढ़कर बहुत अच्छा लगा!
गुरुवर जी, अस्पष्ट प्रश्न का बहुत स्पष्ट उत्तर देकर प्रश्नकर्त्ता को अपना पक्ष ठीक से बताने के लिए कहकर यह संदेश भी दिया. अपना पक्ष छुपाकर आप अच्छी सलाह प्राप्त नहीं कर सकते हैं. वैसे हमारे बहुत दूर के एक रिश्तेदार ने अपने मंझले बेटे को इसी तरह से घर निकल दिया. उसमें मेरी नज़र एक सबसे बड़ा एब(अवगुण)था.कमाने का प्रयत्न न करना और अन्य किसी प्रकार का कोई अवगुण नहीं था.जैसे-तम्बाकू, गुटका,शराब आदि. बहुत ही आलसी प्रवृति का व्यक्ति था. आज भी अपने सुसराल वालों की रहमों-कर्म पर निर्भर है. उन बेचारों की मज़बूरी की उनकी एक ही इकलौती बहन कहे या लड़की है. बहुत से पैसे देकर कई बार काम करवा चुके है, मगर थोड़े ही दिनों में "पूंजी" को खत्म कर देता है. पता नहीं कैसे-कैसे व्यक्तियों से भरी पड़ी है यह अजीबों-गरीब दुनियां.
पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव अगर आपने भी अपने आस-पास देखा हो या आप या आपने अपने किसी रिश्तेदार को महिलाओं के हितों में बनाये कानूनों के दुरूपयोग पर परेशान देखकर कोई मन में इन कानून लेकर बदलाव हेतु कोई सुझाव आया हो तब आप भी बताये.
अच्छे कानूनी पहलू से रुबरु कराते हो आप, ऐसे ही कुछ नये/पुराने कानून आम लोगों को पता नहीं होते है।