पैतृक संपत्ति में हिस्से के लिए पुत्री बँटवारे का वाद प्रस्तुत करे
रीतेश कुमार शर्मा ने सागर, मध्य प्रदेश से पूछा है-
मेरा विवाह सागर (म0प्र0) के कस्बा गौरझामर तहसील देवरी में हुआ। मेरेससुर की दो पुत्री है तथा पुत्र एक भी नही है। । मेरे ससुर को पैतिकसम्पत्ति मिली है। जिस का अधिकार उन की दोनों बेटियों को हैं तथा जिसकी कीमतलगभग एक करोड़ रूपये की है। लेकिन मेरे ससुर के भाई एवं भतीजों द्वाराकानून का दुरूपयोग कर जमीन का नम्बर अपने नाम कराने का प्रयास किया जा रहाहै साथ ही एक चचेरे भाई ने कुछ जमीन अपने नाम करा ली। आपसे से निवेदन है किकिस प्रकार उस सम्पत्ति को वापस लिया जा सकता है।
समाधान-
आप ने अपने प्रश्न में यह नही बताया कि आप के ससुर जीवित हैं या नहीं। किसी भी पिता की संपत्ति पर उस की संतानों का अधिकार तभी प्राप्त होता है जब कि पिता का देहान्त हो जाए। आप ने बताया कि आप के ससुर को जो संपत्ति प्राप्त हुई है वह पैतृक है। यदि वह संपत्ति पैतृक है तो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में 2005 में हुए संशोधन के कारण उन की पुत्रियों को उन के जीते जी भी संपत्ति में अधिकार प्राप्त हो चुका है।
इस तरह यदि आप के ससुर जीवित भी हैं तो भी और नहीं हैं तो भी आप की पत्नी उस संपत्ति में अपने अधिकार के लिए न्यायालय में मुकदमा चला सकती है। आप की पत्नी को संपत्ति के बँटवारे का वाद सक्षम न्यायालय में करना चाहिए तथा उसी वाद में एक आवेदन दे कर उक्त संपत्ति को किसी के भी द्वारा हस्तांतरित करने, स्वामित्व परिवर्तन करने आदि पर रोक लगाने की प्रार्थना देनी चाहिए।
उस संपत्ति के जिस हिस्से को किसी ने अपने नाम करा लिया है उस नाम परिवर्तन के आदेश को चुनौती देते हुए उस की अपील करनी चाहिए। इस संबंध में आप को अपने क्षेत्र के दीवानी और राजस्व मामलों के किसी अच्छे वकील से संपर्क कर के राय लेनी चाहिए और उन की सहायता से आवश्यक मुकदमे करने चाहिए।
। िकसी भी िपता क संप पर उस क संतान का अधकार तभी ा होता है जब िक िपता का देहात हो जाए। आप ने बताया िक आप के ससुर को जो संप ा हई है वह पैतृक है। यिद वह संप पैतृक है तो िहदू उराधकार अधिनयम म 2005 म हए संशोधन के कारण उन क पुिय को उन के जीते जी भी संप म अधकार ा हो चुका है। कृपा करके बताए की पैतृक संपत्ति किसे कहते है