प्रथम सूचना रिपोर्ट पर अन्वेषण में प्रगति दिखाई न देने पर क्या करें?
समस्या-
अल्मोड़ा, उत्तराखंड से मनोज ने पूछा है –
मेरे एक रिश्तेदार की फास्ट फूड सेंटर में जहरीली चाउमीन खाने से मृत्यु हो गयी थी इस सम्बन्ध में उसके कंपनी मालिक द्वारा एफआईआर लिखायी गई थी। जिस पर पुलिस ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। साथ ही फास्ट फूड सेंटर के मालिक ने उच्च न्यायालय में एफआइआर रद्द करने की कार्यवाही की है। हमारे पास फास्ट फूड सेंटर के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है और ना ही मृतक का कोई मृत्यु पूर्व का बयान है। इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन करने की कृपा करें कि दोषी को सजा दिलाने के लिए हम क्या कर सकते हैं।
समाधान-
जब एफआईआर दर्ज कराई गई है तो निश्चित ही पुलिस ने उसे दर्ज किया है। किसी भी रिपोर्ट का एफआईआर के रूप में दर्ज होने का अर्थ ही है कि पुलिस ने यह माना है कि कोई अपराध घटित हुआ है। इसी कारण से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई है। आगे अपराध का अन्वेषण करना पुलिस का काम है। इस कारण से आप यह तो नहीं कह सकते कि पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की है।
फूड सेंटर के स्वामी ने इस प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द कराने के लिए कार्यवाही उच्च न्यायालय में की है इस का अर्थ भी यही है कि फूड सेंटर का स्वामी इस प्रथम सूचना रिपोर्ट को स्वयं के लिए घातक मानता है।
यदि जहरीली चाऊमिन खाने से आप के संबंधी की मृत्यु हुई है तो यह केवल आप के संबंधी के पोस्ट मार्टम किए जाने और उस की रिपोर्ट आने से ही साबित किया जा सकता है। यदि आप के संबंधी का पोस्ट मार्टम हुआ है और उस की रिपोर्ट यह कहती है कि किसी तरह के जहर के खाने से उस की मृत्यु हुई है। तो वह जहर उस चाऊमिन में था यह साबित किया जाना जरूरी है। यदि पुलिस अन्वेषण करती है तो यह सच सामने आ जाएगा। इस स्थिति में निश्चित रूप से आप के संबंधी कि मृत्यु के संबंध में आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत होगा।
निश्चित रूप से उच्च न्यायालय ने फूड सेंटर के स्वामी की याचिका पर इस तरह का कोई स्थगन आदेश तो जारी नहीं किया होगा कि पुलिस इस प्रथम सूचना रिपोर्ट पर अन्वेषण न करे। इस कारण से पुलिस को अन्वेषण जारी रहना चाहिए। यदि पुलिस अन्वेषण नहीं कर रही है या रोक दिया गया है तो आप पुलिस उच्चाधिकारियों को आवेदन कर सकते हैं कि पुलिस उक्त मामले में शीघ्र अन्वेषण करे। इस के अतिरिक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट की मूल प्रति 24 घंटों की अवधि में संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पहुँच जाती है और आप उस मजिस्ट्रेट के न्यायालय से उस की प्रमाणित प्रति प्राप्त कर सकते हैं। आप उसी मजिस्ट्रेट के न्यायालय को यह आवेदन भी प्रस्तुत कर सकते हैं कि प्रथम सूचना रिपोर्ट को काफी समय हो चुका है और पुलिस द्वारा कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है इस कारण से न्यायालय पुलिस से यह रिपोर्ट मंगाए कि पुलिस ने अब तक उक्त मामले के अन्वेषण में क्या प्रगति की है। न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई पुलिस रिपोर्ट से आप को जानकारी हो जाएगी कि क्या प्रगति हो चुकी है और आगे क्या किया जाना चाहिए।