फाइनेंसर का ऋण चुकाए बिना वाहन न बेचें और बेचने पर क्रेता के साथ जा कर पंजीयन हस्तातंरण का आवेदन प्रस्तुत कर रसीद प्राप्त करें
|कमलेश गोस्वामी पूछते हैं –
मैं ने मेरी एक कार बेची, वह एक प्राइवेट कंपनी से फाइनेंस थी। जिस को बेची उस को फाइनेंसर की बकाया रकम की जिम्मेदारी दे कर बाकी केश ले लिया और स्टाम्प लिख कर एक खाली चैक फाइनेंस की सुरक्षा के लिए ले लिया था। उक्त क्रेता को कंपनी को मासिक किस्त देनी थी पर क्रेता ने किस्तें समय पर नहीं दीं, जिस से कंपनी ने चार्जेज जोड़ दिए। क्रेता किस्तें अभी भी नहीं दे रहा है और गाड़ी सोंपने के समय हमने बीमा करा कर दिया था। क्रेता उस के बाद दो साल से कार बिना बीमा के चला रहा है और संबंध भी नहीं रख रहा है। कंपनी को जब से काफी भुगतान कर चुके हैं। क्या हम खाली चैक से अपना पैसा वसूल कर सकते हैं?
उत्तर –
कमलेश जी,
आप ने अपनी वह कार बेची है जिस पर आप ने वित्तीय सहायता ली हुई थी और वित्तदाता का ऋण चुकाया जाना शेष था। प्रत्येक वित्तदाता जब भी किसी वाहन को वित्तीय सहायता प्रदान करता है तो वह उस के पंजीयन प्रमाण पत्र में यह अंकित करवाता है कि वह वित्तीय सहायता प्राप्त है। इस तरह जब तक वित्तदाता का ऋण पूरा अदा किया जा कर उस से भारमुक्ति का प्रमाण पत्र तथा हस्तांतरण प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर लिया जाता है तब तक वाहन के पंजीयन प्रमाण-पत्र में वाहन के स्वामी का नाम नहीं बदला जा सकता है। यदि यही स्थिति है तो आज तक भी आप के द्वारा बेची गई कार के पंजीयन के अभिलेख में जो कि पंजीयन अधिकारी के कार्याल य में रखा जाता है तथा वाहन के पंजीयन प्रमाण-पत्र के अनुसार आप ही उस कार के पंजीकृत स्वामी हैं।
ऐसी स्थिति में यदि वाहन से कोई दुर्घटना होती है और उस से हुई क्षतियों का कोई दायित्व कार के स्वामी पर उत्पन्न होता है तो वह आप पर ही उत्पन्न होगा, अर्थात जिस व्यक्ति को क्षतियाँ हुई हैं वह क्षतियों की पूर्ति के लिए कोई दावा न्यायालय में प्रस्तुत करता है तो वह वाहन के पंजीकृत स्वामी के विरुद्ध ही प्रस्तुत करेगा। आप ने कार को बेचते समय वाहन का बीमा कराया था। लेकिन वह बीमा भी आप के नाम पर ही रहा होगा। उस के बाद तो आप स्वयं ही बता रहे हैं कि वाहन का बीमा क्रेता करवा ही नहीं रहा है। यदि ऐसी स्थिति में कोई दायित्व कार के स्वामी पर उत्पन्न होता है तो उस का दायित्व आप पर ही आएगा। कभी भी इस तरह की गलती नहीं करनी चाहिए कि आप एक वाहन को विक्रय करें और उस का पंजीयन प्रमाण-पत्र हस्तांतरित न कराएँ। वास्तव में वाहन का कब्जा देने के साथ ही विक्रेता को क्रेता के साथ जा कर पंजीयन अधिकारी के यहाँ हस्तांतरण का आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए और उस की शुल्क जमा करवा कर आवेदन शुल्क की रसीद की फोटो प्रति अपने पास रखनी चाहिए। जिस से किसी तरह का कोई दायित्व आने पर विक्रेता यह कह सके कि उस ने न केवल वाहन विक्रय कर दिया था, साथ ही उस के पंजीकृत स्वामी का नाम बदलने के लिए भी आवेदन कर दिया था।
आप की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। फाइनेंसर से ऋण आप ने लिया है, वह तो उस की वसूली आप से ही करेगा। आप का कार विक्रय का केवल अनुबंध हुआ है, उस का पूर्णतः विक्रय नहीं हुआ है, आप आज भी उस कार के स्वामी हैं। फाइनेंसर को जो भी राशि दी जानी है उस का दायित्व भले ही क्रेता ने ले लिया हो लेकिन उसे न चुकाए जाने के कारण क्रेता चूक कर चुका है। आप के पास जो चैक है, जो भी दायित्व क्रेता के हैं उस के बराबर राशि भर कर उसे बैंक में प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन यदि उस के खाते में धन न हुआ तो वह बिना भुगतान के वापस लौट जाएगा, तब आप को धारा 138-परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करनी होगी, जो बरसों तक चलती रह सकती है। इस बीच कार से कोई दुर्घटना हो गई तो क्षतियों का दायित्व आप के ऊपर आ जाएगा। आप अभी यह निर्धारित नहीं कर सकते कि क्रेता का अंतिम दायित्व क्या हो सकता है, जिस के कारण कितनी राशि का चैक आप बैंक में प्रस्तुत करेंगे यह भी निर्धारित नहीं किया जा सकता। वैसी स्थिति में यह उपाय उचित नहीं है। वैसे भी आप को इस चैक को केवल अंतिम अस्त्र के रूप में ही उपयोग में लेना चाहिए।
वर्तमान में आप के पास यह उपाय उपलब्ध है कि आप क्रेता को कहें कि वह एक-दो सप्ताह में ही फाइनेंसर का ऋण चुकता कर के कार को अपने नाम हस्तांतरित कराए, अन्यथा आप कार का कब्जा वापस प्राप्त कर लेंगे। कार का कब्जा फाइनेंसर भी प्राप्त कर सकता है। यदि क्रेता इस के लिए तैयार न हो तो आप कार को अपने कब्जे में ले लें। यदि वह कार को जबरन ले जाता है तो आप कार की चोरी की रपट पुलिस को दे सकते हैं। एक बार कार जब्त हो जाने के उपरांत उस के पंजीकृत स्वामी होने के कारण अदालत उसे केवल आप की सुपूर्दगी में ही दे सकती है। लेकिन यदि आप ने कार क्रेता के कब्जे में रहने और न्यायालय आदि से उस की सुपूर्दगी प्राप्त करने का अधिकार किसी मुख्तारनामे के माध्यम से क्रेता या उस के किसी अभिकर्ता को प्रदान किया हो तो पहले उस मुख्तारनामे को निरस्त कर दें और उस की सूचना पंजीकृत डाक से क्रेता को दे दें, उस के उपरांत ही सारी कार्यवाही करें। यह सभी कदम उठाने के पहले आप द्वारा अपने नगर के किसी वकील से सलाह कर लेना बेहतर होगा। इस से आप को सारी कार्यवाही करने में आसानी होगी।
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