बँटवारे का वाद संस्थित कर रिसीवर नियुक्त करने हेतु आवेदन करें।
|बी. पी. गोयल ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-
हमारे नाना का देहांत जून 2012 में व हमारे नानी का देहांत जून 2014 हो गया है जिन के मात्र दो संतान मेरी माँ और मौसी है। मेरे मौसी नानी के घर रहती है। नानी ने देहांत के समय स्टाम पेपर पर गांव के प्रमुख लोगो के सामने वसीयत लिखी। मेरे नानी और नाना के नाम पर साढ़े चार एकड़ जमीन है। मेरी माँ को दो एकड़ भूमि व मेरी मौसी को दो एकड़ भूमि एवं आधा एकड़ भूमि अपने सेवा करने के लिए मेरे मौसी को दिया है। लेकिन वह वसीयत रजिस्टर्ड नहीं है हमारी समस्या यह है कि हम ने न्यायलय में फौती के लिए आवेदन दिए है। माननीय न्यायलय में सभी को उपस्थित होने को कहा गया किन्तु वह न्यायलय में उपस्थित नहीं हो रहे है और उक्त जमीन (खेत) में अभी भी वह फसल लगा रहे हैं। हम यह चाहते हैं कि जब तक जमीन का निराकरण न हो जाये उस जमीन (खेत) में रोक लग जाये, क्या ऐसा हो सकता है?
समाधान-
अभी तक भूमि के खाते में नामान्तरण नहीं हुआ है। यदि वसीयत किसी प्रकार से नहीं मानी जाती है तब भी उत्तराधिकार के अनुसार आप की माँ का आधा हिस्सा है। इस तरह आप को सवा दो एकड़ जमीन मिल जाएगी। लेकिन यह तो होगा तब होगा। वर्तमान में तो जिस का उस जमीन पर कब्जा है वह तो फसल करेगा। यदि आप की मौसी के पास कब्जा पहले से है तो वह तो फसल करेगा। जमीन को परती नहीं छोड़ा जा सकता।
यदि नामान्तरण में कोई समस्या है तो आप की माता जी सीधे जमीन के बंटवारे तथा अपने हक की जमीन का पृथक कब्जा प्राप्त करने के लिए वाद राजस्व न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकती हैं और अदालत से जमीन पर रिसीवर नियुक्त करने की प्रार्थना कर सकती हैं। यदि रिसीवर नियुक्त हो जाता है तो जमीन हर साल बंटाई पर दी जा सकती है और बंटाई से प्राप्त धन रिसीवर के पास जमा हो जाएगा जो कि बंटवारे का निर्णय होने के उपरान्त निर्णय के अनुरूप दोनों को मिल जाएगा।
इस मामले में आप को स्थानीय वकील से राय करनी चाहिए क्यों कि राजस्व विधियाँ प्रत्येक राज्य की भिन्न भिन्न हैं। इस कारण इस तरह के मामलों में कोई निश्चित राय दे पाना हमारे लिए संभव नहीं होता।