बड़े चारसौबीस हो जी!
|श्री विजय धाकड़ जानना चाहते थे कि धारा-420 क्या है? पिछले आलेख में चारसौबीस को जानने के लिए हमने जाना कि छल क्या है? जो धारा-415 भा.द.संहिता में वर्णित है। आज जानते हैं कि धारा-420 भा.दं.संहिता क्या है?
धारा-420
छल करना और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना
जो कोई छल करेगा और उस के द्वारा उस व्यक्ति को जिसे प्रवंचित किया गया है, बेईमानी से उत्प्रेरित करेगा कि वह कोई संपत्ति किसी व्यक्ति को परिदत्त कर दे, या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को, या किसी चीज को जो हस्ताक्षरित या मुद्रांकित है, और जो मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किए जाने योग्य है, पूर्णतः या अंशतः रच दे, परिवर्तित कर दे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिस की अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा।
हम ने विगत आलेख में छल को जाना था, जिस में कपट पूर्वक या बेईमानी से प्रवंचना से उत्प्रेरित कर किसी व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, सांपत्तिक या ख्याति संबंधी क्षति पहुँचाना सम्मिलित था। लेकिन जब यही छल किसी संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को परिदत्त कर देने के लिए या मूल्यवान प्रतिभूति या किसी अन्य हस्ताक्षरित या मुद्रांकित वस्तु जिसे मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सकता हो की रचना करने के लिए किया जाता है तो वह और गंभीर अपराध हो जाता है जो कि इस धारा-420 के अंतर्गत दण्डनीय है।
इसे हम इस तरह समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति छल कर के किसी व्यक्ति को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है जिस से वह व्यक्ति अपनी किसी संपत्ति या उस के अंश को किसी अन्य व्यक्ति को परिदत्त कर दे तो यह धारा-420 के अंतर्गत दंडनीय अपराध का दोषी होगा।
यदि कोई व्यक्ति किसी कागज पर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर बना कर उस के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति से कोई संपत्ति प्राप्त करता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दंडनीय अपराध करेगा।
कोई व्यक्ति एक सही दस्तावेज हासिल करता है जिस के माध्यम से कोई संपत्ति हस्तांतरित होनी है। यदि वह व्यक्ति उस दस्तावेज को आंशिक रूप से बदल देता है कि उसे संपत्ति का अधिक भाग प्राप्त हो जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दंडनीय अपराध करता है।
इस तरह छल कर के बेईमानी से संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित होने वाली हस्ताक्षरित या मुद्रांकित कोई वस्तु प्राप्त करने या किसी अन्य व्यक्ति को प्राप्त कराने के लिए किया गया हर कृत्य धारा-420 के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आ जाता है। इस धारा का बहुत व्यापक प्रभाव है। इस कारण से इस का उपयोग बहुत होता है। यही कारण है कि बेईमानी करने वाले हर व्यक्ति को चारसौबीस कहा जाने लगा है। यहाँ तक कि मजाक करने पर भी यह तमगा मिल सकता है कि चारसौबीस है। कभी तो प्रेमिका या पत्नी भी किसी बहाने से उस के साथ शरारत करने पर कह सकती है कि -बड़े चारसौबीस हो जी!
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10 Comments
जानकारी देने के लिए धन्यवाद असल में एक दुष्ट आदमी हमको कार दिलवाने के लिए ४ लाख रूपये ऐंठ चूका है और ९ माह से हमको मुर्ख बना रहा है अगर इसके लिए आप हमारी कोई मदद कर सकें तो कृपया मुझे मेल करिए…
चारसो बीसी पर आपका ये आलेख वाकई पठनीय और मननीय है ।
धन्यवाद इस अच्छी ओर सुंदर जान्कारी के लिये
जी धन्यवाद सर मैं ही देख नहीं पाया था …काम के जानकारी दी है आपने
बाकी सब तो ठीक है गुरुदेव, लेकिन सार्वजनिक राहगुजर पर प्रेममग्न दंपति का चार सौ बीसी से क्या संबंध..? अभी तक समझ नहीं पाया..
🙂
@ अजय कुमार झा
अजय जी, निम्न पंक्ति आलेख के पहले चरण में ही पहले से मौजूद है।
….वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिस की अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा।…
@ पं.डी.के.शर्मा"वत्स"
पंडित जी, आप का कहना सही है, यह धारा-420 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से खाली स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर करवा लेता है और बाद में उस के जरिए उस व्यक्ति की किसी सम्पति को अपने नाम हस्तांतरित कर लेता है तो क्या इस प्रकार की धोखाघडी भी धारा 420 के अन्तर्गत आती है ?
सर चार सौ बीसी की सजा के बारे में तो बताया ही नहीं आपने ..
बहुत सटीक और बेहतरीन जानकारी मिली.
रामराम.
ये बात ताऊ ने सबसे उपर वाले चित्र के लिये कही है …
बहुत सटीक और बेहतरीन जानकारी मिली.
रामराम.