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बालिग होने के 29 साल बाद नाबालिग अवस्था में हुए पंजीकृत विलेख को निरस्त करने का वाद चलने योग्य नहीं।

ऊसरसमस्या-

आस्तिक शुक्ला ने लक्षमनपुर , प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश से उत्तर प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

न् 1979 में विधवा,नाम जसना देवी द्वारा 5 विस्वा जमीन का स्वेच्छा से बैनामा किया गया था। उस समय विधवा जसना देवी का एक मात्र पुत्र नाबालिग था,जिसकी उम्र लगभग 10 वर्ष थी। बैनामे के बाद (सन् 1979) से ही बैनामेदार उक्त जमीन पर काबिज है। उस जमीन पर वृक्ष आदि लगे हैं। जमीन की खारिज दाखिल एवं खतौनी आदि दुरुस्त है। खतौनी में बैनामेदार का नाम भी है। अब विधवा जसना देवी का एक मात्र पुत्र जो बालिग हो गया है, जिसकी उम्र लगभग 47 वर्ष है। क्या वह अपनी सगी विधवा माँ के द्वारा किये गए इस बैनामे पर कोई दावा पेश कर सकता है, जो 36 वर्ष पूर्व की गयी थी? क्या यह बैनामा अब निरस्त हो सकता है? इस विषय पर हाइकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट का कोई फैसला हो तो कृपया शीघ्र स्पष्ट करें।

समाधान

नाबालिग को बालिग हुए 29 वर्ष हो चुके हैं। यदि उसे उस बैनामे पर आपत्ति थी तो उसे बालिग होने के तीन वर्ष के भीतर बैनामा निरस्त कराने का दावा करना चाहिए था। अब उस का दावा नहीं चल सकता। 10-11 वर्ष के बच्चे को यह पता होता है कि उन के पास जमीन थी जो माँ ने बेच दी है। यदि कब्जा नहीं दिया होता तो भी वह व्यक्ति गफलत में रहने की बात कर सकता था। लेकिन जब जमीन पर कब्जा है और खरीदने वाला जमीन पर खेती कर रहा है वैसी स्थिति में यह हो ही नहीं सकता कि 29 वर्ष तक उसे इस बैनामे का पता ही न चले।

किसी को दावा करने से रोका नहीं जा सकता। लेकिन यह दावा मात्र मियाद के आधार पर चलने योग्य नहीं है। आप अभी से सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग रख कर क्या करेंगे? यदि वह व्यक्ति दावा करे, उस का समन दावे की प्रति के साथ मिले तो दावे की प्रति दे कर सक्षम वकील किया जा सकता है। तीसरा खंबा को भी तभी आप फिर से दावे की प्रति के साथ अपनी समस्या प्रेषित कर सकते हैं।

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