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बाल विवाह कैसे रुकवाएँ?

समस्या-

प्रेम प्रजापत ने करौली, राजस्थान से पूछा है-

सर हमारे परिवार में लड़की का विवाह 15-16 कि उम्र में कर दिया जाता है, सर ऐसे विवाह को रोकने के लिए क्या किया जाए?

समाधान-

बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। जिस के अनेक कारणों में से अशिक्षा एक महत्वपूर्ण कारण है। हो सकता है आप के परिवार में बाल विवाह एक प्रथा के रूप में जकड़न बनाए हुए हो। तो इस का कारण यह भी हो सकता है कि आप के परिवार में शिक्षा कम हो और बच्चों को अधिक न पढ़ाया जाता हो। इस के लिए आप परिवार में यह संघर्ष छेड़ सकते हैं कि बच्चे हायर सैकण्डरी तक जरूर पढ़ेंगे और तब तक विवाह न होगा। हायर सैकण्डरी पास होने तक आम तौर पर उम्र 18 वर्ष हो जाती है। आप यदि थोड़े भी पढ़े लिखे हैं तो आप अपने परिजनों को समझा सकते हैं कि बाल विवाह से कितनी बुराइयाँ हैं? जितने वे लोग इस में लाभ देखते हैं उस से अधिक उन्हें बुराइयाँ बताई जा सकती हैं। इस तरह आप परिवार में एक माहौल बना सकते हैं। एक व्यक्ति भी बाल विवाह के विरुद्ध परिवार में तन कर खड़ा हो जाए तो ये करना असंभव हो सकता है। आप कोशिश करें।
आप की तमाम कोशिशों के बाद भी यदि परिवार को बाल विवाह करने से रोका जाना संभव नहीं हो तो आप कानून का सहारा ले सकते हैं। इस के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 की धारा 13 व 14 निम्न प्रकार हैं-

13. बाल-विवाहों को प्रतिषिद्ध करने वाला व्यादेश जारी करने की न्यायालय की शक्ति- 
(1) इस अधिनियम में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, यदि प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी के आवेदन पर, या किसी व्यक्ति से परिवाद के माध्यम से या अन्यथा सूचना प्राप्त होने पर यह समाधान हो जाता है कि इस अधिनियम के उल्लंघन में बाल-विवाह तय किया गया है या उसका अनुष्ठान किया जाने वाला है, तो ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसे किसी व्यक्ति के, जिसके अंतर्गत किसी संगठन का सदस्य या कोई व्यक्ति संगम भी है, विरुद्ध ऐसे विवाह को प्रतिषिद्ध करने वाला व्यादेश निकालेगा।
(2) उपधारा (1) के अधीन कोई परिवाद, बाल-विवाह या बाल-विवाहों का अनुष्ठापन होने की संभाव्यता से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी या विश्वास का कारण रखने वाले किसी व्यक्ति द्वारा और युक्तियुक्त जानकारी रखने वाले किसी गैर-सरकारी संगठन द्वारा किया जा सकेगा।
(3) प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का न्यायालय किसी विश्वसनीय रिपोर्ट या सूचना के आधार पर स्वप्ररेणा से भी संज्ञान कर सकेगा।
(4) अक्षय तृतीया जैसे कतिपय दिनों पर, सामूहिक बाल-विवाहों के अनुष्ठापन का निवारण करने के प्रयोजन के लिए, जिला मजिस्ट्रेट उन सभी शक्तियों के साथ, जो इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी को प्रदत्त हैं, बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी समझा जाएगा।
(5) जिला मजिस्ट्रेट को बाल-विवाहों के अनुष्ठापन को रोकने या उनका निवारण करने की अतिरिक्त शक्तियां भी होंगी और इस प्रयोजन के लिए, वह सभी समुचित उपाय कर सकेगा और अपेक्षित न्यूनतम बल का प्रयोग कर सकेगा।
(6) उपधारा (1) के अधीन कोई व्यादेश किसी व्यक्ति या किसी संगठन के सदस्य या व्यक्ति संगम के विरुद्ध तब तक नहीं निकाला जाएगा जब तक कि न्यायालय ने, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति, संगठन के सदस्यों या व्यक्ति संगम को पूर्व सूचना न दे दी हो और उसे/या उनको व्यादेश निकाले जाने के विरुद्ध हेतुक दर्शित करने का अवसर न दे दिया हो :
परंतु किसी अत्यावश्यकता की दशा में, न्यायालय को, इस धारा के अधीन कोई सूचना दिए बिना, अंतरिम व्यादेश निकालने की शक्ति होगी।
(7) उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए किसी व्यादेश की, ऐसे पक्षकार को, जिसके विरुद्ध व्यादेश जारी किया गया था, सूचना देने और सुनने के पश्चात् पुष्टि की जा सकेगी या उसे निष्प्रभाव किया जा सकेगा।
(8) न्यायालय, उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए किसी व्यादेश को या तो स्वप्रेरणा पर या किसी व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर विखण्डित या परिवर्तित कर सकेगा।
(9) जहां कोई आवेदन उपधारा (1) के अधीन प्राप्त होता है, वहां न्यायालय आवेदक को, या तो स्वयं या अधिवक्ता द्वारा, अपने समक्ष उपस्थित होने का शीघ्र अवसर देगा, और यदि न्यायालय आवेदक को सुनने के पश्चात् आवेदन को पूर्णतः या भागतः नामंजूर करता है तो वह ऐसा करने के अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा।
(10) जो कोई, यह जानते हुए कि उसके विरुद्ध उपधारा (1) के अधीन व्यादेश जारी किया गया है, उस व्यादेश की अवज्ञा करेगा, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी अथवा जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा :
परंतु कोई स्त्री कारावास से दंडनीय नहीं होगी।

14. व्यादेशों के उल्लंघन में बाल-विवाहों का शून्य होना–
धारा 13 के अधीन जारी किए गए व्यादेशों के उल्लंघन में, चाहे वह अंतरिम हो या अंतिम, अनुष्ठापित किया गया कोई बाल-विवाह प्रारंभ से ही शून्य होगा।

आप के परिवार में जिस का विवाह होने वाला हो उसके शिक्षा का प्रमाण पत्र जिस में उस की जन्मतिथि हो, या फिर उस का जन्म प्रमाण पत्र, या आधार कार्ड आदि की प्रतिलिपि आप आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इस के साथ ही विवाह के लिए छपा निमंत्रण पत्र या फिर पोस्ट कार्ड आदि पर परिवार के लोगों दवारा भेजा गया कोई पोस्टकार्ड आदि मूल या उस की प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं। ये दोनों दस्तावेज प्रथम दृष्टया ये साबित कर देते हैं कि बाल विवाह आयोजित किया जा रहा है। इन दोनों दस्तावेजों के साथ आप क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट को धारा 13 (2) के अंतर्गत परिवाद (शिकायत) प्रस्तुत कर सकते हैं कि बालविवाह को रुकवाया जाए। आप की शिकायत पर बाल विवाह करा रहे लोगों को समन जारी कर जवाब देने के लिए बुलाया जा सकता है, साथ ही बाल विवाह रोकने के लिए अन्तरिम रूप से निषेधादेश जारी कराया जा सकता है। इस के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जो कि हर जिले का कलेक्टर भी होता है उसे बाल विवाह रुकवाने के विशेष अधिकार प्राप्त हैं, वे भी बाल विवाह को रुकवा सकते हैं। आप दोनों स्थानों पर एक साथ शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं। या न्यायिक मजिस्ट्रेट से अस्थायी निषेधादेश जारी करवा कर उस की प्रतिलिपि देते हुए जिला मजिस्ट्रेट से आवेदन दे सकते हैं इस आदेश की पालना में विवाह रुकवाया जाए।

धारा -14 में यह प्रावधान है कि निषेधादेश जारी होने के बाद यदि कोई विवाह संपन्न भी हो जाए तो वह बाल विवाह प्रारंभ सै ही शून्य होगा। इस तरह एक बार आपने यदि प्रयत्न कर के परिवार में बाल विवाह रुकवा दिया तो फिर हमेशा के लिए यह प्रथा समाप्त हो जााएगी। लेकिन पहले व्यक्तिगत रूप से पूरे परिवार को समझाने का अभियान चलाना पड़ेगा। जिस से परिवार के सदस्यचों में आपसी वैमनस्य न पैदा हो।