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बिना आवेदन किए तो तलाक नहीं होगा, डरने से तो समस्या बनी ही रहेगी।

rp_divorce.jpgसमस्या-

नन्द किशोर ने बरेली उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरा विवाह 2008 में हुई थी। जून 2009 में मेरा एक्सीडेण्ट हुआ और सितम्बर 2009 में पत्नी मुझे छोड़ कर चली गयी। उस ने मुझ पर  498ए, 125 का केस कर दिया 498ए में सब की जमानत हो चुकी है ओर मुझ लगभग 3 दिन जेल में रहना पड़ा। 125 का केस डिसमिस हो चुका है। उस के चार माह बाद पत्नी ने  125 वा 125 (6) का केस फाइल कर दिया जिसमे 125(6) में अंतरिम मैंटीनेंस 1000 प्रति माह देना पड़ रहा है ओर मैं बेरोज़गार हूँ। शादी के टायर पंचर सुधारने का काम करता था उसी दौरान मेरा एक्सीडेंट हुआ था जिस में मेरा दायाँ पैर फ्रेक्चर हुआ था और रॉड डालनी पड़ी थी। अब भारी काम नहीं कर सकता और पिताजी पर पूरी तरह से निर्भर हूँ। इसी मार्च में पत्नी ने घरेलू हिंसा। फेमिली जज ने कुछ नहीं सुना और भरणपोषण की राशि तय कर दी।  अब पता चला है कि पत्नी किसी दूसरे पुरुष के साथ लिव इन रिलेशन में रह रही है और  हर माह 4000-5000 कमा रही है। वह सरकार से अखिलेश पेंशन योजना में भी 500 रुपया प्रतिमाह ले रही है इस का सबूत मेरे पास है लेकिन नौकरी ओर दूसरे के साथ रहने का सबूत नहीं है। मैं ने प्रयत्न किया ता पर शायद पत्नी को पता चल गया और उस ने 498ए की बहस के दिन अपने पिता और ब्वाय फ्रेंड के साथ मुझे घेर लिया  और  जान से मरने की धमकी दी और दस लाख रुपए की मांग की। ओर इसकी सूचना मैंने ई मैल व रजि. डाक से एसएसपी, डीआईजी को दी। दो सप्ताह बाद एसएसपी के यहाँ से फोन आया और मुझे बुलाया पर विवेचना अधिकार का ट्रांसफर हो गया। फिर कोई फोन नहीं आया। वकील ने थाने जाने से मना कर दिया। कह रहा था कि तुम से रुपए ले लेंगे और चुपचाप बैठ जाएंगे। क्या मैं तलाक ले सकता हूँ। मेरा वकील कहता है कि तुम तलाक के लिए आवेदन दोगे तो वह धारा 24 का आवेदन कर देगी और तुम्हें मुकदमे का खर्च उठाना पड़ेगा।

समाधान-

प साधारण टायर पंचर का काम करते थे, एक्सीडेंट के बाद वह भी बंद हो गया। भारी काम न कर पाने के कारण भविष्य की संभावनाएँ समाप्त हो गयीं। पत्नी ने अपना भविष्य देखा और आप को छोड़ कर चली गयी। आप को उसी समय धारा 9 हिन्दू अधिनियम का आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए था। वह आप के साथ आ कर अब नहीं रहेगी। विवाह को समाप्त कराने के लिए आप को तलाक तो लेना होगा। इस के लिए जितनी जल्दी हो आप मुकदमा कर दें बेहतर है। धारा 24 के आवेदन की परवाह न करें। वह तो हर केस में लगता ही है। उस से डर कर मुकदमा न करेंगे तो फँसे ही रह जाएंगे।आप की समस्या का हल कभी न निकलेगा।

आप को प्रयत्न करना चाहिए और हर हालत में अपनी पत्नी के लिव-इन रिलेशन और कमाई करने के सबूत इकट्ठे करने चाहिए. यदि दोनों बातें सही हैं तो सबूत अवश्य मिलेंगे। इन सबूतों से ही आप को राहत मिलेगी। आप क्रूरता, स्वेच्छा से आप का घर छोड़ कर चले जाने और वापस नहीं आने और जार कर्म के आधार पर तलाक का मुकदमा कर सकते हैं और तलाक मिल सकता है। इन सबूतों के आधार पर ही उसे मेंटीनेंस मिलना भी रुक सकता है। आप को घेर कर धमकी देने के मामले आप को स्वयं पुलिस को सहयोग करना पड़ेगा। आप पुलिस को रुपया न दें लेकिन लगातार दबाव बनाएँ तो पुलिस कार्यवाही करेगी। यदि पुलिस कार्यवाही न करे तो उस मामले में सीधे न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है।