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बेहतर है आप न्यायालय में शिकायत दर्ज कराएँ!

husband wife
समस्या-
गुड़गाँव, हरियाणा से ममता ने पूछा है –

मेरा विवाह 14 जुलाई 2013 को संपन्न हुआ था। विवाह के दस दिन बाद ही मेरे पति और सास ने मुझे दहेज कम लाने के लिए कहना आरंभ कर दिया, मेरा पूरा वेतन उन्हें देने के लिए कहने लगे। मुझे खर्चों के लिए धन देने से मना कर दिया। इस के बाद पति ने गाली गलौच करना आरम्भ कर दिया। कुछ माह बाद मुझे पता लगा कि पति रोज शराब पीता है। शराब पीने के बाद मुझे गालियाँ देता है। कभी कभी मुझे पीटता भी है। इन तथ्यों की जानकारी मिलने पर मेरे पिता मुझे अपने घर ले जाने के लिए आए। उस समय भी ससुराल वालों ने गाली गलौच किया और बहुत नाटक किया। तब मेरे भाई ने 100 नंबर पर फोन किया। पुलिस ने आने के बाद परिस्थितियों पर नियंत्रण किया। पति के परिवार के साथ बहुत बहस के बाद भी वे मुझे अपने घर रखने को तैयार नहीं हुए तब मैं ने महिला शाखा में शिकायत की। वहाँ महिला थानेदार ने 3 सुनवाई तक मेरा पक्ष लिया लेकिन चौथी सुनवाई से ही वह यह कहने लगी कि आप पति पक्ष से 3 लाख रुपए तथा उपहार, फर्नीचर व अन्य दहेज का सामान ले लें। लेकिन मैं ने कहा कि हम विवाह में 9 लाख रुपया खर्च कर चुके हैं। जिस की पूरी विगत भी दे दी गई थी।  लेकिन वह 3 लाख से अधिक दिलाने को तैयार नहीं हुई और कहा कि आप को इतना पैसा लेने के लिए तो अदालत जाना होगा। मेरा परिवार पहले ही बहुत धन खर्च कर चुका है और पिताजी ने अपने रिटायरमेंट का सारा धन शादी में लगा दिया था। कृपया सुझाव दें कि मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

ति और सास के दुर्व्यवहार के कारण तथा दहेज की मांग को लेकर गाली गलौच करने व मारपीट करने का ज्ञान होने पर आप के पिता आप को अपने घर ले जाने को आए थे। जिस पर आप के ससुराल वालों ने नाटक किया और पुलिस बुलानी पड़ी। उस के बाद आप ने स्वयं किन परिस्थितियों में वापस अपनी ससुराल जाने का निर्णय किया यह बाद हमारी समझ से परे है। इतना कुछ हो जाने के बाद उन्हीं परिस्थितियों में पुनः लौटने का निर्णय तो एक तरह से पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। आप खुद नौकरी करती हैं और आत्मनिर्भर हैं। वैसी परिस्थिति में एक क्रूरतापूर्ण वैवाहिक जीवन का तो कोई अर्थ नहीं है। हाँ यदि परिस्थितियाँ सुधरने की कोई संभावना हो तो ऐसा सोचा जा सकता है।

विवाह के 10 दिन बाद दहेज कम लाने की शिकायत करना और दहेज की मांग को लेकर गाली गलौज व मारपीट करना तो धारा 498-ए भा.दं.संहिता के अन्तर्गत अपराध है और आप का स्त्री-धन न लौटाना धारा 406 भा.दं.संहिता में अपराध है। लेकिन आप ने इस की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई है या फिर पुलिस ने नहीं की है। पुलिस महिला सहायता केन्द्र ने आप की शिकायत को एक अपराध के रूप में दर्ज नहीं किया अपितु यह कोशिश की कि किसी तरह आप दोनों में समझौता हो जाए। उस के लिए भी शिकायत आप ने ही की थी।

ब आप के पति और सास आप को नहीं रखना चाहते हैं तो इस का सीधा अर्थ यही है कि उन की नीयत पहले से ही अच्छी नहीं थी। वे चाहते थे कि आप कमाती रहें, उन्हें देती रहें और घर में भी काम करती रहें। उन्हें लगा है कि उन की यह मंशा कभी पूरी नहीं होगी इस कारण से वे अब आप के साथ विवाह को जारी नहीं रखना चाहते हैं। आप के लिए भी वैसी परिस्थिति में उन के साथ विवाह को जारी रखना उचित नहीं है।

ब तक महिला थानेदार को लगा कि वह दोनों पक्षों में कोई समझौता करवा सकती है वह आप को उधर से मिला अधिकतम प्रस्ताव आप को बताती रही। लेकिन इस से अधिक संभव नहीं होने पर उस ने आप के सीधे यह कहा कि इस के लिए आप को न्यायालय जाना पड़ेगा। उस का सुझाव सही है। महिला सहायता केन्द्र इस से अधिक कुछ नहीं कर सकता। अब आप या तो संबंधित पुलिस थाने में उक्त दोनों अपराधों के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाएँ, या फिर न्यायालय में शिकायत करें। पुलिस आप को न्यायालय में शिकायत करने का सुझाव इस कारण दे रही है कि इस से आप को एक प्रोफेशन वकील की सहायता मिलेगी तो आप अपने मामले को ठीक से लड़ सकेंगी।

मारी राय में आप को न्यायालय में उक्त धाराओं के अन्तर्गत शिकायत प्रस्तुत कर देनी चाहिए। यह शिकायत न्यायालय द्वारा अन्वेषण हेतु पुलिस थाने को भेज दी जाएगी। तब आप के इस मामले में वकील की भूमिका समाप्त हो जाएगी। आ जाएगी और अन्वेषण के बाद उस पर पुलिस आप की सास व पति के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर देगी। तब आप को केवल अपने बयान देने के लिए ही न्यायालय में जाना पड़ेगा।

प चूंकि खुद कमाती हैं इस कारण भरण पोषण प्राप्त करने के लिए कोई आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप के विवाह को एक  वर्ष पूरा  होने तो आप विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत नहीं कर सकतीं। एक वर्ष हो जाने पर आप विवाह विच्छेद के लिए आवेदन कर सकती हैं। आप के स्त्री-धन का एक हिस्सा तो पुलिस उन से बरामद कर लेगी जो आप को न्यायालय से सुपूर्दगी पर वापस मिल जाएगा। बाकी राशि को आप जब विवाह विच्छेद का आवेदन करें तो स्थाई पुनर्भरण के रूप में मांग कर सकती हैं।

ह भी हो सकता है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आप का ससुराल पक्ष कुछ अधिक धन दे कर समझौता करने को तैयार हो जाए। तब बहुत सारी परेशानियों से बचने के लिए किसी ठीक ठाक समझौते पर पहुँचा जा सकता है।

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