बैंक का ऋण चुकाने से बचने का कोई कानूनी मार्ग नहीं
|विनोद कुमार ओझा पूछते हैं –
मैं ने कारपोरेशन बैंक की आसनसोल शाखा से 2004 में एक लाख रुपए का सीसी लोन लिया था। 2005 तक सब कुछ ठीक था, लेकिन एक पारिवारिक दुर्घटना के बाद व्यापार से मेरा मन टूट गया। मेरे एक मात्र 20 वर्षीय पुत्र के निधन से हम पूरी तरह जीने की तमन्ना तोड़ दिए। 2009 अगस्त तक मैं किसी तरह खाते में ब्याज जमा कराता रहा। पर अब ये भी संभव नहीं हो पा रहा है। बैंक से एक नोटिस मिला है, जिस में मेरे खाते को एनपीए घोषित कर दिया है। बैंक मैनेजर भी सहयोगी नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर –
आप की समस्या कानूनी नहीं है। आप ने बैंक से ऋण लिया है और ब्याज भर चुकाते रहे हैं। आप को मूल तो चुकाना ही पड़ेगा। बैंक से ऋण की शर्तों में यह लिखा होता है कि आप ब्याज न चुकाएंगे तो वह हर तिमाही या छमाही पर मूल में जुड़ता रहेगा। यानी तब आप को ब्याज जुड़े हुए मूल पर ब्याज देना होगा। जो अगली तिमाही या छमाही पर उस में जुड़ जाएगा। जब आप अपने बैंक खाते में एक निश्चित अवधि तक कोई लेन-देन नहीं करते और न ही ब्याज जमा कराते हैं तो वह एन.पी.ए. अर्थात नॉन परफोरमेंस एसेट घोषित कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में बैंक वसूली की कार्यवाही आरंभ कर देता है। आप का व्यापार से दिल हट गया है। लेकिन बैंक तो एक वित्तीय संस्था है जिस के दिल बिलकुल नहीं होता। कोई भी वित्तीय पूंजी साहुकार से भी अधिक क्रूर होती है। अच्छा यह है कि आप किसी भी तरह से बैंक का ऋण जल्दी से जल्दी चुका दें। यदि उस के लिए अपनी मौजूदा संपत्ति को विक्रय भी करना पड़े तो भी। क्यों कि हर माह बैंक का ब्याज लग लग कर आप की कुल संपत्ति तो घट ही रही है।
आप ने बैंक का ऋण नहीं चुकाया तो बैंक मुकदमा कर के वह राशि आप की संपत्ति से वसूल कर लेगा। आप के पास उस से बचने का कोई मार्ग शेष नहीं है।
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8 Comments
हम तो एक सामान्य सी नैतिकता जानते हैं कि उधार तो चुकाना ही पड़ता है।
बहुत सुंदर सुझाव
@ P.N. Subramanian
सुब्रह्मण्यम जी, बहुत बहुत धन्यवाद!
एनपीए का विस्तार सही करने के लिए। मैं तो उपाय नहीं बता पाया था। आप ने फिर भी सूराख सुझा ही दिया है।
बिलकुल सही सलाह दी आपने. बैंक के लिए एन.पी .ये नॉन परफोर्मिंग एस्सेट होता है. किसी ऋण खाते में में तीन माह से अधिक यदि कोई राशि जमा न हो तो रिज़र्व बैंक द्वारा पोषित आधुनिक लेखा प्रणाली के तहत ऐसे खातों को एन.पी.ये. करार कर दिए जाने की व्यवस्था है.यहाँ उन बैंकों को अपने कमाए हुए लाभ से खाते की पूरी राशि के लिए प्रावधान करना होता है. शाखा प्रबंधक किसी प्रकार से मदद नहीं कर सकता. हाँ डूबन खाते में जाने के बाद जरूर कुछ गुन्जायिश बन सकती है. परन्तु क्या कोई शाखा प्रबंधक ऐसा चाहेगा?
इस अच्छी सी जानकारी के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत अच्छी अच्छी जानकारियाँ मिल रही हैं आपसे धन्यवाद नवरात्र पर्व की शुभकाम्नायें
इस प्रकरण में उचित सलाह . नवरात्र की हार्दिक शुभकामना
kanoon se sambhandhit Jnyan vardhak baten…badhayi..