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भाई हिस्सा न दे तो बंटवारे और हिस्से पर पृथक कब्जा दिलाने का वाद संस्थित करें।

समस्या-

श्रीमती तबस्सुम रिज़वी ने बाटला हाउस, जामिया नगर, नई दिल्ली से पूछा है-

मेरी शादी 1996 में हुई थी, मेरे चार भाई, और हम दो बहने हैं। मेरे पिताजी का एक मकान 200 गज़ का यहीं कालिन्दी कुंज, नई दिल्ली में है। मेरे पिता मुझे मेरी शादी में कुछ भी समान नहीं दे पाए थे जिसका उन्हें हमेशा दुख रहता था। जिसका ज़िक्र वो बार बार मेरे भाइयों और मेरी मां के सामने करते हुए कहते थे, जिस दिन मैं इस मकान को बेचूँगा या लड़कों को हिस्सा दूँगा तो अपनी बेटी को भी बराबर का हिस्सा दूँगा। साल 2017 मैं हार्ट अटॅक की वजह से मेरे पिता की मौत हो गयी। जिसके बाद मेरे चारों भाइयों ने हम बहनों की अपने पर्मनेंट अड्रेस ग्राम लोहिया तहसील सारधना मीरूत और शाहीन बाघ न्यू देल्ही के घर मैं हमारी मां से मिलने या जाने के लिए एंट्री बंद कर दी और मेरे भाई मेरी मां को भी मेरे पास मिलने नहीं आने देते। मैं अब किस तरह अपने घर में से कितने हिस्से के मालिकाना हक़ ले सकती हूँ या मुझे मेरा हिस्सा मुस्लिम लॉ के हिसाब से कितना मिलना चाहिए।

समाधान-

आप के भाई आपको हिस्सा नहीं देना चाहते इस लिए आप की एन्ट्री उन्हों ने अपने घर में बंद कर दी है। कहीँ आप से मिल कर आप की माँ भी अलग हिस्सा न मांग ले इस कारण वे माँ को भी आप से नहीं मिलने देते हैं।

मुस्लिम लॉ के मुताबिक यदि आप के बताए लोगों के सिवा आप के पिता का कोई अन्य वारिस नहीं है तो जो भी जायदाद आप के पिता ने छोड़ी है उस में आप की माँ का 1/8 हिस्सा है। उस के बाद जो भी बचेगा उस में से दस हिस्से होंगे। एक एक हिस्सा आप बहनों के हक का है और दो दो हिस्से आप के भाइयों के हिस्से के हैं।

आप को चाहिए कि जिस क्षेत्र में आप के पिता की संपत्ति स्थित है उस क्षेत्र के जिला न्यायालय के समक्ष आप बंटवारे का वाद संस्थित करें और बंटवारा करते हुए अपने हिस्से पर अलग से कब्जा दिलाने की प्रार्थना करें। इस के साथ ही अस्थायी निषेधाज्ञा का एक आवेदन प्रस्तुत कर तुरन्त यह आदेश पारित करने की प्रार्थना करें कि बंटवारे के दावे का निर्णय होने तक आप के भाई उस जायदाद को किसी को हस्तान्तरित न करें उस का कब्जा किसी अन्य को हस्तान्तरित न करें।