भूखंड के विक्रय पत्र में जिस का नाम है कानून के समक्ष वही उस का स्वामी है।
|समस्या-
पवन भटनागर ने दिल्ली से पूछा है-
मेरे पिताजी ने 15/10/1981में मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर छतरपुर मे मकान बनाने हेतु 40 X 60 वर्ग फुट की एक जमीन खरीदी। जिस की रजिस्ट्री के समय मेरे पिताजी ने अपने भाई का नाम अपने साथ विक्रय पत्र में दर्ज करवा दिया था। रजिस्ट्री विक्रय पत्र में जो लिखा है वे इस प्रकार हैं। विक्रय पत्र मूल्य-1000-00 रूपये – मुद्रांक शुल्क 60-00 रूपये वर्तमान समय वाजार भाव – ब्लॉक ड्यूटी 10-00 रूपये सही मूल्य – 1000-00 रूपये – स्टाम्प ड्यूटी————–यॊग 80-20 रूपये ब्लॉक छतरपुर यदि कम हो तो क्रेता जिम्मेदार हैं। विक्रेता – महेश कुमार वर्मा उमर 25 साल पुत्र श्री नरेश कुमार वर्मा निवासी छतरपुर तहसील ब जिला मध्यप्रदेश क्रेता — 1 – विनय कुमार उमर 25 साल पुत्र श्री विक्रम भटनागर, 2 – रमेश कुमार उमर 10 साल नावालिग पुत्र श्री विक्रम भटनागर जरिये भाव वासते संरक्षक विनय कुमार पुत्र श्री विक्रम भटनागर निवासी छतरपुर तहसील ब जिला मध्यप्रदेश। प्रति फल प्राप्त करने का विवरण – मु . 1000 रू एक हजार रुपये केवल जो पूर्व रजिस्ट्री क्रेता से नगद प्राप्त कर लिये थे। तब से अभी तक मेरे पिताजी उसी मकान में रहते हैं तथा पिताजी के भाई अलग दूसरी जगह पर रहते हैं। ओरिजनल रजिस्टर्ड विक्रय पत्र पिताजी के पास है। मकान टैक्स पिताजी जमा करते हैं। बिजली का बिल ,पानी का बिल, राशन कार्ड ,वोटर आईडी ,आधार कार्ड , सभी पिताजी के नाम हैं। अब पिताजी के भाई मकान खाली करवाने की धमकी दे रहे हैं। मकान पिताजी ने बनवाया है। क्या इस स्थिति में मकान पिताजी के नाम हो सकता है?
समाधान-
जमीन आप के पिताजी और आप के चाचा जी दोनों के नाम से खरीदी गई थी। रजिस्टर्ड विक्रय पत्र में दोनों के नाम हैं इस कारण से कानून के समक्ष उक्त भूमि पर आप के पिता और चाचा दोनों का स्वामित्व है। तदनुसार उस पर निर्मित मकान भी दोनों की ही सम्पत्ति है।
चूँकि मकान पर आप के पिता जी का कब्जा है इस कारण आप के चाचा को मकान खाली कराने के लिए मकान का विभाजन कराने तथा अपने हिस्से का पृथक कब्जा करने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा। इस के अतिरिक्त अन्य सभी तरीके गैर कानूनी माने जाएंगे। यदि आप के चाचा ऐसा कोई दावा करते हैं और आप के पिता उस के उत्तर में ये कथन प्रस्तुत करें और साबित करें कि उस भूमि पर जो मकान बनाया गया था तथा जो टैक्स आदि दिया गया था वह सभी आप के पिता ने अपनी निजी आय से खर्च किया है तो वे उस पर निर्मित मकान पर अपना दावा कर सकते हैं। लेकिन भूखंड तो दोनों भाइयों की ही संपत्ति माना जाएगा। वैसी स्थिति में न्यायालय आप के पिता के दावे को उचित मानते हुए दो तरह के निर्णय कर सकता है। पहला तो ये कि आप के पिता उक्त भूखंड की वर्तमान कीमत की आधी राशि आप के भाई को भुगतान करें और मकान की रजिस्ट्री अपने नाम करवा लें। दूसरा ये कि आप के चाचा आप के पिता को भूखंड पर निर्मित मकान की वर्तमान कीमत का आधी राशि आप के पिता को भुगतान करें और मकान व भूखंड दोनों आधे आधे दोनों भाइयों में बाँट दिए जाएँ।
यह उपाय एक सुझाव मात्र है। बहुत कुछ आप के पिता जी के द्वारा मुकदमे में ली गई प्रतिरक्षा और उसे साबित करने पर निर्भर करेगा।