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संयुक्त स्वामियों का हिस्सा बिना हक त्याग, दान या विक्रय विलेख के समाप्त नहीं होता।

समस्या-

राकेश कुमार ने लालगंज रायबरेली से पूछा है –

मेरा मकान मेरे परबाबा के नाम रजिस्टर्ड है तथा नगर पंचायत में मेरे बाबा के नाम दर्ज है। हाउस टैक्स मेरे बाबाजी के नाम से जमा होता है। वाटर कनेक्शन मेरे बाबाजी के नाम तथा दूसरा कनेक्शन मेरे पिता जी के नाम है। इस मकान पर मेरे बाबाजी उसके बाद मेरे पिता जी व अब हम तीन भाइयों का कब्जा है। अब यह मकान हम तीनों भाइयों के नाम कैसे दर्ज हो सकता है। इस मकान पर अन्य किसी का दखल व कब्जा पिछले 70 सालों से नहीं है।

समाधान-

आपने यह नहीं बताया है कि आप तीन भाइयों के सिवा आप के परबाबा, बाबा और पिता के अन्य उत्तराधिकारी कौन हैं, हैं भी या नहीं।

मकान  आपके परबाबा के नाम पंजीकृत है। इसका अर्थ है कि वे उस मकान के स्वामी थे। उनके देहान्त के बाद उनके सभी उत्तराधिकारी उक्त मकान के स्वामी हुए। यदि उनका देहान्त 17 जून 1956 के पहले हो गया था तो यह मकान एक सहदायिक सम्पत्ति है। यदि उसके बाद हुआ है तो उनके पुत्र, पुत्रियाँ और पत्नी को मकान में बराबर का हिस्सा प्राप्त हुआ होगा। उसमें से आपके बाबाजी को जो हिस्सा है वह उनके देहान्त के उपरान्त उनके उत्तराधिकारियों को प्राप्त हुआ है। उसमें से जो हिस्सा आपके पिता का था वह आपको उत्तराधिकार में प्राप्त होगा। इस तरह आपके परबाबा के देहान्त के उपरान्त से यह सम्पत्ति एक संयुक्त हिन्दू परिवार की सम्पत्ति है या फिर सहदायिक सम्पत्ति है।

संयुक्त सम्पत्ति के मामले में कानून यह है कि उसके हिस्सेदारों में से एक या एकाधिक का उस पर आधिपत्य (कब्जा) सभी संयुक्त स्वामियों का कब्जा माना जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि ऐसी सम्पत्ति कितने भी वर्ष से कब्जा न होने पर भी उसके तमाम संयुक्त स्वामियों का उसमें अधिकार बना रहता है और वे कभी भी विभाजन करवा कर अपना हिस्सा प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।

नगर पंचायत में सम्पत्ति के स्वामित्व का रिकार्ड केवल उसके टैक्स, भवन निर्माण आदि के उद्देश्य से होता है। सम्पत्ति के स्वामी की मृत्यु के उपरान्त वहाँ नामान्तरण हो कर उसके उत्तराधिकारियों के नाम दर्ज हो जाते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि नामान्तरण का रिकार्ड स्वामित्व का सबूत है। यह नामान्तरण केवल टैक्स, भवन निर्माण आदि के लिए ही होता है। इस रिकार्ड में नाम दर्ज न होने पर भी एक उत्तराधिकारी जिसे उत्तराधिकार में सम्पत्ति प्राप्त हुई है वह उसका संयुक्त स्वामी बना रहता है।

आपका प्रश्न है कि मकान तीनों भाइयों के नाम कैसे हो सकता है? तो नामान्तरण तो आप कब्जे के आधार पर तीनों भाइयों के नाम करवा सकते हैं। इसके लिए हर नगर पंचायत के नियम अलग हो सकते हैं। आप उसकी जानकारी नगर पंचायत के कार्यालय से कर सकते हैं। लेकिन यदि आप चाहते हैं कि संपत्ति केवल आप तीनों भाइयों के स्वामित्व में आ जाए और शेष सभी संयुक्त स्वामियों का अधिकार समाप्त हो जाए तो आपको उत्तराधिकार के माध्यम से बने उक्त मकान के संयुक्त स्वामियों से उनके हक को हकत्याग विलेख, दान-पत्र अथवा विक्रय विलेख निष्पादित और पंजीकृत करवा कर ही करवाना पड़ेगा। अन्यथा वे कभी भी उक्त संपत्ति में अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए विभाजन की मांग कर सकते हैं और उसके लिए न्यायालय में वाद संस्थित कर विभाजन करवा सकते हैं।


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