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मानहानि का मुकदमा कहाँ होगा और उसमें कितनी सजा दिलाई जा सकती है।

समस्या-

रमाकांत तिवारी ने ग्राम व पोस्ट- सुरहुरपुर, मुहम्मदाबाद गोहना, जिला- मऊ उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे मित्र रोशन के दादाजी चार भाई थे। उसके दूसरे नंबर वाले दादाजी का लड़का (रोशन का चाचा), रोशन को बार- बार, जब भी झगडा होता है या किसी अन्य अवसर पर कई बार पंचायत में बोल चुका है कि तुम अपने बाप के लड़के नहीं हो, तुम मेरे लड़के हो। वह अपनी और रोशन की माताजी का फोटो दिखाता है कि देखो ये फोटो है जो कि तुम्हारी मां ने मेरे साथ खिचवाईं थी। वो फोटो बिल्कुल सामान्य है। उसे देख के ऐसा कुछ भी नहीं लगता है। वो केवल रोशन को गांव वालो के सामने अपमानित करता है।
इस बारे में कुछ कानूनी मशविरा दें जिसकी मदद से वो शर्मिंदा होने से बच सके। क्या उस पे मानहानि का मुकदमा किया जा सकतेा है? रोशन के पास सबूत के तौर पर एक वीडियो है, जिसमें रोशन का चाचा बोल रहा है कि तुम मेरे बेटे हो, अपने बाप के नहीं। अगर मानहानि का मुकदमा होता है तो उसे कितने साल तक की सजा दिलाई जा सकती है और यह मुकदमा कहाँ दायर किया जा सकता है?

समाधान-

प के मित्र रोशन का चाचा इस तरह की हरकत करते हुए न केवल रोशन को अपमानित करता है अपितु वह रोशन की माताजी को भी अपमानित करता है। जो वीडियो रोशन के पास है उसे किस प्रकार किस ने रिकार्ड किया था और उस की प्रतिलिपियाँ कितनी, कैसे और किसने बनाई इस बात को वीडियो रिकार्ड करने वाले व्यक्ति और उस की प्रतिलिपियाँ बनाने वाले व्यक्ति की मौखिक साक्ष्य से प्रमाणित करना पड़ेगा। इस के अतिरिक्त खुद रोशन का व उन व्यक्तियों के बयान कराने पड़ेंगे जिन के सामने ऐसा कहा गया है। जितनी बार के बारे में रोशन ऐसा कहना साबित करना चाहता है उतनी बार के संबंध में उपस्थित व्यक्तियों की गवाही से साबित करना पड़ेगा कि ऐसा कहा गया है और इस से रोशन की बदनामी हुई है और समाज में उस की प्रतिष्ठा कम हुई है।

मानहानि के लिए दो तरह के मुकदमे किए जा सकते हैं। एक मुकदमा तो दीवानी अदालत में मानहानि के लिए हर्जाने का किया जा सकता है जिस में हर्जाने की राशि मांगी जा सकती है। दूसरी तरह का मुकदमा अपराधिक न्यायालय में परिवाद के माध्यम से धारा 500 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत संस्थित किया जा सकता है। अपराधिक मुकदमे में अधिकतम दो वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का दंड दिया जा सकता है।

दूसरी तरह के धारा 500 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराधिक मुकदमे के लिए रोशन को वकील की मदद लेनी होगी। इस के लिए उसे पहले किसी अच्छे वकील से मिलना चाहिए और रोशन को एक नोटिस दिलाना चाहिए कि वह सार्वजनिक रूप से अपने किए की माफी मांगे और रोशन को हर्जाना अदा करे। नोटिस की अवधि निकल जाने पर परिवाद संस्थित किया जा सकता है। यह परिवाद जिस पुलिस थाना क्षेत्र में रोशन निवास करता है उस थाना क्षेत्र पर अधिकारिता रखने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में संस्थित करना होगा। परिवाद प्रस्तुत होने पर मजिस्ट्रेट रोशन और एक दो गवाहों के बयान ले कर उसे लगता है कि मामला चलने योग्य है तो उस पर संज्ञान ले कर रोशन के चाचा के नाम न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए समन जारी करेगा। इस के बाद मुकदमा वैसे ही चलेगा जैसे सभी फौजदारी मुकदमे चलते हैं। रोशन इस मुकदमे के साथ साथ चाहे तो हर्जाने के लिए दीवानी वाद भी संस्थित कर सकता है।