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मीडिएशन में अपनी बात सचाई से रखें और ध्यान रखें कि वहाँ धन पर बारगेनिंग होगी।

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फाल्गुन ने पोरबन्दर, गुजरात से समस्या भेजी है कि-

मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ, जुलाई 2014 में मेरी शादी मेरे ही शहर पोरबंन्दर में हुई थी। लेकिन शादी के तुरंत बाद उसके घर वाले शहर छोड़ कर चले गये और सब अहमदाबाद शिफ्ट हो गये। मेरे ससुर और साला कबूतर बाजी के और अन्य केसों में फंसे हुए थे। ये बात मेरे को शादी के बाद पता चली। फिर भी मैं ने मेरी बीवी से कभी कोई ऐसी बात नहीं की। क्यों कि मैं उसे प्यार करता था, लेकिन वो मुझे हमेशा शादी के बाद से अलग बर्ताव करने लगी। मुझे लगा कि उसे कुछ वक्त चाहिए होगा। मैं उसको जो पसंद था वो सब करता था, लेकिन उसने मुझे हमेशा शारीरिक समबन्ध नहीं बनाने दिए। फिर एक दिन मेरी बीवी ने अधूरी पढाई पूरी पढ़ने और घरेलू काम काज सीखने अपने घर १ महीना जाने की इजाजत मांगी। मैं ने उसको मेरे और मेरे परिवार के लोगो की परमिशन लेके जाने भी दिया। लेकिन मैं नहीं जानता था कि वो और उसके घर वालों की साजिश थी। वो अपने घर गयी और उसके बाद उसने वहाँ के सब डॉक्युमेंट बनवाए। मैं ने उसको कई बार फ़ोन किये, लेकिन वो कभी बात न करती और कभी उसके घर वाले बहाना बता के बात नहीं करवाते थे। फिर मैं ने उसके सगे सम्बन्धियों को भी बोला और वापस आने की भी बात की। बाद में मेरे और मेरे परिवार के ऊपर फरवरी 2015 में 125 मेंटेनेंस का फैमिली कोर्ट में केस किया। उसके बाद मेट्रोपालिटन में डोमिस्टिक वायलेंस का भी केस किया। पिछले हफ्ते मुझे पुलिस का भी फ़ोन आया और उन्होंने बयान देने को बुलाया है। उसके बाद अब जब हमने उस केस को मिडिएशन में लाया तो वह ५ लाख की मांग और सब उसका कपडे सामान की डिमांड की। जब कि मेरी शादी बिना दहेज़ और आर्य समाज के नियम से की गई थी। मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूँ कि मीडिएशन में मुझे क्या करना चाहिए? जिस से में इनसे छुटकारा पा सकूँ। मेरे माँ बाप की शारीरिक और मानसिक हालत नाजुक है। क्या मीडिएशन में सीनियर अधिकारी ओन पेपर में उनकी डिमांड पूरी करने के बाद मुझे मेरे केस से छुड़वा सकते है? मुझे क्या क्या लिखना चाहिए, मेरे स्टाम्प पेपर पे, जिस से में इन सब से छूट सकूँ।

समाधान

प के साथ जो भी हुआ सो हुआ। आप के कथनों से ऐसा लगता है कि आप इस विवाह से निकलना चाहते हैं। उस के लिए यह आवश्यक है कि विवाह विच्छेद की डिक्री पारित हो और आप के विरुद्ध धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता, घरेलू हिंसा व अन्य कोई और भी मुकदमा किया हो तो वह निरस्त हो।

प को मीडिएशन में अपने पक्ष को पूरी सचाई और ईमानदारी के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। वहाँ कहना चाहिए कि आप इस विवाह को बचाना चाहते थे लेकिन पत्नी ने विवाह को कंज्यूम न होने दिया और अब ये सब मिथ्या कार्यवाहियाँ कर रही है। आप साफ कह सकते हैं कि वैसे तो विवाह की जैसी स्थिति है इस के लिए आप की पत्नी को कुछ भी लेने का कोई अधिकार नहीं रहा है। फिर भी इस सारी मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए आप दो-तीन लाख रुपए उसे दे सकते हैं।

मीडिएशन के दौरान और मामला वहाँ हल न हुआ तो उस के बाद भी सारा जोर इसी बात पर रहेगा कि आप की पत्नी आप से अधिक से अधिक धन प्राप्त कर सके। इस वक्त आप को बारगेनिंग करनी पड़ेगी। आप की खर्च करने की सीमा तक वह इस सब के लिए सहमत हो जाए तो आप मीडिएशन में बाकायदा एग्रीमेंट कर लीजिए कि आप दोनों सहमति से तलाक के लिए अर्जी दाखिल करेंगे। पत्नी सारे मुकदमे वापस लेगी और सब मुकदमे वापस लेने के बाद जब सहमति से तलाक की अर्जी पर निर्णय होगा उस दिन उन्हें वह राशि जो आप दोनों के बीच तय हो नकद स्थाई भरण पोषण राशि के रूप में दे दी जाएगी। मीडिएशन के दौरान कुछ भी ऐसा लिखित में स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है जिस से आप पर किसी तरह का अपराधिक या आर्थिक दायित्व आता हो। यदि साफ सुथरा समझौता होता है तो वह सब से अच्छा है। इस से भी अच्छा यह है कि समझौता पुलिस मीडिएशन में होने के स्थान पर विधिक सेवा प्राधिकरण में अथवा लोक अदालत के दौरान हो।

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