मेरे जन्मदिन पर मैं जितने वर्ष का हो रहा हूँ, क्या मुझे उस से अधिक आयु का माना जा सकता है?
| भाई जलालुद्दीन खान पूछते हैं …….
मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। 2002 में मेरे वार्ड में शिक्षामिंत्र की भर्ती के लिए रिक्तियों के लिए आवेदन मांगे गए थे। मैं ने उस के लिए आवेदन किया। उस के लिए योग्यता इंटर पास थी बी.एड. डिग्री धारकों को प्राथमिकता दी गई थी। आवेदकों में केवल मैं ही बी.एड. था इसलिए मेरा चयन सुनिश्चित था। लेकिन मुझे अपेक्षित अधिकतम आयु 30 वर्ष से एक दिन अधिक का बता कर मुझे छाँट दिया गया और अन्य व्यक्ति को नौकरी दे दी गई। मैं संबंधित अधिकारियों से मिला। जब वहाँ बात नहीं बनी तो मैं जिला कलेक्टर से मिला। लेकिन जिला कलेक्टर ने भी मेरे तर्कों को मानने से इन्कार कर दिया कि मेरी जन्म दिनांक 01.07.1972 को हुआ है मुझे 01.07.2002 को 30 वर्ष से अधिक का होना नहीं माना जा सकता।
कुछ लोगों ने अदालत में जाने की सलाह दी लेकिन मैं आर्थिक तंगी की वजह से अदालत में दावा नहीं कर सका। में आज भी बेरोजगार हूँ। यह सदमा तब और भी बढ़ जाता है जब सभी शिक्षामित्रों को शिक्षक नियुक्त किया जा रहा है।
मैं जानना चाहता हूँ कि क्या मुझे 01.07.2002 को 30 वर्ष से अधिक का मान कर सेवा में रहने के अयोग्य समझा जाना उचित था? यदि नहीं तो क्या मुझे अब भी कोर्ट से राहत मिल सकती है ? यदि मिल सकती है तो किन आधारों पर मिल सकती है?
कुछ लोगों ने अदालत में जाने की सलाह दी लेकिन मैं आर्थिक तंगी की वजह से अदालत में दावा नहीं कर सका। में आज भी बेरोजगार हूँ। यह सदमा तब और भी बढ़ जाता है जब सभी शिक्षामित्रों को शिक्षक नियुक्त किया जा रहा है।
मैं जानना चाहता हूँ कि क्या मुझे 01.07.2002 को 30 वर्ष से अधिक का मान कर सेवा में रहने के अयोग्य समझा जाना उचित था? यदि नहीं तो क्या मुझे अब भी कोर्ट से राहत मिल सकती है ? यदि मिल सकती है तो किन आधारों पर मिल सकती है?
उत्तर —
जलालुद्दीन जी,
आप ने बहुत ही उपयोगी प्रश्न पूछा है। अक्सर ही ऐसी परिस्थिति तब उत्पन्न हो जाती है जब किसी भी मामले में उम्र की गणना आवश्यक हो, और जिस दिन यह गणना की जानी हो उसी दिन व्यक्ति की जन्मतिथि पड़ रही हो। जैसे आप के मामले में हुआ है। दिनांक 01.07.2002 को उम्र की गणना की जानी थी और उसी दिन आप पूरे तीस वर्ष के हो रहे थे। आप उस दिन तीस वर्ष के नहीं भी थे और हो भी रहे थे।
अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि नियुक्ति के लिए जो पात्रता निर्धारित की गई थी उस में क्या अंकित किया गया था। यदि उस में यह अंकित था कि नियत दिनांक जो आप के मामले में 01.07.2002 थी, को आवेदक की आयु 30 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए। तो ऐसे मामले में यह माना जाएगा कि आप की आयु दिनांक 01.07.2002 को 30 वर्ष से अधिक नहीं थी। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मामले (M. Khamar Pasha vs Commissioner And Director Of School Education, Andhra Pradesh, Hyderabad And Anothe) के अनुसार दिनांक 01.07.2002 के आरंभ के समय अर्थात दिनांक 30.06.2002 और 01.07.2002 की मध्यरात्रि को आप की आयु 30 वर्ष से अधिक नहीं थी। आयु के संबंध में जहाँ भी अधिक शब्द का प्रयोग किया जाता है वहाँ कम से कम एक दिन अधिक होना चाहिए। क्यों कि उम्र के संबंध में तिथि की ही गणना की जा सकती है जो कि पूरा एक दिन होता है। इस तरह दिनांक 01.07.2002 और 02.07.2002 के मध्य की मध्यरात्रि को भी आप की उम्र 30 वर्ष से एक दिन अधिक नहीं हुई थी। इस मामले में व्याख्या का नियम भी यह है कि न्यायिक व्याख्या इस तरह की जानी चाहिए जिस से किसी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो।
इस तरह आप को शिक्षामित्र की भर्ती से उम्र के आधार पर वंचित करना गलत था। जिला कलेक्टर ने नियम की जो व्याख्या की वह गलत थी और उस से आप के साथ अन्याय हुआ। लेकिन कानून यह भी कहता है कि जिस के साथ
अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि नियुक्ति के लिए जो पात्रता निर्धारित की गई थी उस में क्या अंकित किया गया था। यदि उस में यह अंकित था कि नियत दिनांक जो आप के मामले में 01.07.2002 थी, को आवेदक की आयु 30 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए। तो ऐसे मामले में यह माना जाएगा कि आप की आयु दिनांक 01.07.2002 को 30 वर्ष से अधिक नहीं थी। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मामले (M. Khamar Pasha vs Commissioner And Director Of School Education, Andhra Pradesh, Hyderabad And Anothe) के अनुसार दिनांक 01.07.2002 के आरंभ के समय अर्थात दिनांक 30.06.2002 और 01.07.2002 की मध्यरात्रि को आप की आयु 30 वर्ष से अधिक नहीं थी। आयु के संबंध में जहाँ भी अधिक शब्द का प्रयोग किया जाता है वहाँ कम से कम एक दिन अधिक होना चाहिए। क्यों कि उम्र के संबंध में तिथि की ही गणना की जा सकती है जो कि पूरा एक दिन होता है। इस तरह दिनांक 01.07.2002 और 02.07.2002 के मध्य की मध्यरात्रि को भी आप की उम्र 30 वर्ष से एक दिन अधिक नहीं हुई थी। इस मामले में व्याख्या का नियम भी यह है कि न्यायिक व्याख्या इस तरह की जानी चाहिए जिस से किसी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो।
इस तरह आप को शिक्षामित्र की भर्ती से उम्र के आधार पर वंचित करना गलत था। जिला कलेक्टर ने नियम की जो व्याख्या की वह गलत थी और उस से आप के साथ अन्याय हुआ। लेकिन कानून यह भी कहता है कि जिस के साथ
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7 Comments
जानकारी बहुत काम की और नवीन है | इस प्रकार के मामले यदा कदा ही देखने में मिलते है. हमें देश के कानून की जानकारी रखनी चाहिए. जो यहाँ आकr mil rahi hai. vese aksar hota hi hai ki anayay garib ke saath hota hai or insaf ki pukar ke liye uske paas itne paise nahi hote hai.
बिलकुल सही जानकारी दी आप ने, धन्यवाद
बहुत बढ़िया जानकारी.हमें देश के कानून की जानकारी रखनी चाहिए. जो यहाँ आकार मिली.
आभार.
जानकारी बहुत काम की और नवीन है | इस प्रकार के मामले यदा कदा ही देखने में मिलते है |
यह तो बहुत काम की और जनोपयोगी जानकारी दी है जी, हार्दिक आभार
interesting and informative…
You’ve captured this petyfcrle. Thanks for taking the time!