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मोटर वाहन चोरी हो जाने पर बिना कोई देरी किए पुलिस को रिपोर्ट कराएँ

समस्या-

अरुणा ने शाहदरा, उत्तर-पूर्व दिल्ली से पूछा है-

मेरे मित्र की मोटर साईकिल चोरी हो गयी थी उसकी एफ आई आर तो कर दी गई है। तो उसकी untrace report लेनी भी जरुरी है? क्या उसे ना लेने पर, अगर वाहन से कोई दुर्घटना हो जाती है। तो कोई समस्या तो नहीं होगी मेरे मित्र को।

समाधान-

मोटर वाहन चोरी होने के बाद तुरन्त पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए। आम तौर पर पुलिस वाले रिपोर्ट लेने पर तुरन्त एफआईआर दर्ज नहीं करते हैं, उसे कई कई दिनों तक टालते रहते हैं और कहते हैं कि तुम भी तलाश करो हम भी तलाश करते हैं। यदि वाहन मिल जाता है तो उन के यहाँ एक अपराध कम दर्ज होता है और इस तरह वे अपराधों में कमी होना प्रदर्शित करते हैं। लेकिन यदि आप का वाहन बीमित है और प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) एक दो दिन की देरी से दर्ज होती है तो बीमा कंपनी ऐसे मामलों में बीमा क्लेम से मना कर देती है। क्यों कि देरी से रिपोर्ट दर्ज होने से मोटरवाहन का पता लगाना असंभव हो जाता है। इस मामले में अदालतें भी बीमा कंपनी का समर्थन करती हैं।

अब समस्या यह है कि पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरन्त दर्ज न करे तो क्या करें? आप को चाहिए कि आप पुलिस से उसी वक्त कहें कि आप एफआईआर जब चाहें दर्ज करें लेकिन थाने के रोजनामचे में आपकी रिपोर्ट तुरन्त दर्ज करें और उसकी एक प्रतिलिपि आप को दे दें। इस से आप यह साबित कर सकेंगे कि आप ने पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करने में कोई देरी नहीं की। एक और उपाय यह है कि पुलिस थाना जाने के पहले ही आप संबंधित पुलिस थाना के ई-मेल पते पर अपनी रिपोर्ट अपने ई-मेल पते से तुरन्त भेज दें और उसके तुरन्त बाद थाने चले जाएँ। पुलिस थाने को भेजे गए ई-मेल को संबंधित सर्किल ऑफीसर और एस.पी. को भी जरूर फॉरवर्ड करें। इन भेजे गए ई-मेल की कापी प्रिंट कर लें। इस से आपके पास सबूत हो जाएगा कि आप ने पुलिस को तुरन्त वाहन चोरी जाने की सूचना दे दी थी।

अब आप की समस्या जो यहाँ आपने प्रकट की है उस पर बात करें। यदि आप ने बिना कोई देरी किए एफआईआर करवा दी है और मोटर वाहन से कोई दुर्घटना हो जाती है तो उस स्थिति में मोटर वाहन के स्वामी पर किसी तरह का कोई दायित्व नहीं आएगा। क्यों कि यह साबित रहेगा कि मोटर वाहन पर उस के स्वामी का कोई नियंत्रण नहीं रह गया था। लेकिन यदि आप को बीमा क्लेम भी लेना है तो एफआईआर पर अन्वेषण के उपरान्त आप को पुलिस द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत अंतिम प्रतिवेदन जिसे सामान्य भाषा में एफ आर कहा जाता है उस की प्रमाणित प्रतिलिपि न्यायालय से प्राप्त करनी होगी और उस के साथ ही उस एफआर की अदालत द्वारा मंजूरी के आदेश की प्रमाणित प्रति भी प्राप्त करनी होगी। क्यों कि जब तक पुलिस की एफआर को जिस में यह कहा जाता है कि तलाश करने पर भी चुराने वाले व्यक्ति और चुराए गए मोटर वाहन का कोई पता नहीं चला, अदालत द्वारा मंजूर कर लेने के पहले बीमा कंपनी आप को बीमा क्लेम नहीं देती है। तो आप के मित्र ने यदि बीमा क्लेम पेश किया है तो उसे एफआर और अदालत द्वारा उस की मंजरी का आदेश दोनों की प्रमाणित प्रतियाँ अदालत से प्राप्त कर के बीमा कंपनी को प्रस्तुत करनी होंगी।