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न्यायिक कार्यवाही में कूटकरण के अपराध का परिवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करें।

Havel handcuffसमस्या-

ए के शुक्ला ने इन्दौर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे ससुराल पक्ष ने मेरे खिलाफ जो घरेलू हिंसा का वाद लगाया था उसे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने संभावना के आधार पर कहकर मेंटेनेंस बाँध दिया था। मैं ने कोई अपील नहीं लगाई। लेकिन मेरे ससुराल पक्ष ने फैसले के खिलाफ अपील लगाई। जिसपर मेरी पत्नी के फर्जी हस्ताक्षर थे। मैं ने हस्तलिपि विशेषज्ञ से जांच करवाकर उसी अदालत में उनकी अपील इस आधार पर खारिज करने का आवेदन मय हस्तिलिपि विशेषज्ञ के प्रमाण पत्रों के लगाया। हस्ताक्षर विशेषज्ञ ने स्थापित किया कि अपील मेमो पर हस्ताक्षर नकली हैं। वो मेरी पत्नी के द्वारा बनाये गये नहीं हैं उसी के साथ ही साले के भी हस्ताक्षर उसी आदेशिका पर मेंटेनेंस के चेक और पेशी की तारीखों पर थे। जिस से विशेषज्ञ द्वारा पाया गया कि अपील मेमो पर उक्त नकली हस्ताक्षर मेरे साले द्वारा ही बनाए गये हैं। लेकिन जज ने अचानक फैसला देने की जिद की। जब कि हम ने जवाब पेश ही नहीं किया था ना ही नकली साईन के आवेदन पर कोई फैसला ही हुआ था। जज ने प्राथमिता मेरे उस नकली हस्ताक्षर वाले आवेदन को देना था, लेकिन पिछले महीने इस फैसले में जज ने मेरे इस नये आवेदन का मात्र जिक्र भर किया। और पूर्ववर्ती मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले की समीक्षा करते हुए पत्नी की ओर से उक्त मेरे खिलाफ लगाई गयी अपील को खारिज कर दिया। अब में पशोपेश मे हूँ कि क्या करूं? वकील साहब से भी कोई सही मार्गदर्शन मिल नहीं रहा है। मैं परेशान हूँ जबलपुर में मुकदमा होने से अच्छे वकील को ढूंढ़ना मेरे लिये मुश्किल है। मुझे लगा था ससुराल पक्ष इस आवेदन के कारण फंसने से अपनी कुचक्र और कुत्सित हरकतें बंद कर देगा। लेकिन मौका हाथ से निकल गया। पत्नी से भी किसी तरह संपर्क होने नहीं देते और उनके दबाव मे वो कुछ कह नहीं पाती। मेरे एक छोटी चोटी बच्ची जो 9 महीने की थी अब 7 वर्ष की हो गयी। मैं देख नहीं पाया आज तक। कृपया उचित परामर्श दें। मेरे सामने अब क्या रास्ता है ?? क्योंकि यही एक तरीका है जिससे ससुराल पक्ष को निष्प्रभावी करके ही मैं अपने परिवार को बचा सकता हूँ। मुझे किस न्यायालय में इसे प्रस्तुत करना चाहिये अथवा पुलिस की सहायता लेनी होगी?

समाधान-

प की पत्नी के भाई ने जो कुछ किया और जिस में आप की पत्नी की मौन सहमति रही वह सब भारतीय दंड संहिता की धारा 465, 466, 471 व 474 के अन्तर्गत गंभीर अपराध है। इस संबंध में संबंधित पुलिस थाना को रिपोर्ट भी दर्ज कराई जा सकती है और यदि पुलिस थाना रिपोर्ट दर्ज करने से इन्कार करे तो संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद भी दर्ज कराया जा सकता है।

पील न्यायालय को अपील सुनना था। अपील में दम नहीं था इस कारण उसे मेरिट पर निरस्त कर दिया गया। एक अपील के मेमो पर कूटकृत हस्ताक्षर बनाए गए यह केवल एक अपराधिक मामला है जिसे अपराधिक न्यायालय में ही साबित किया जा सकता था। अधिक से अधिक अपील न्यायालय यह कर सकता था कि कूटकरण की शिकायत को पुलिस या किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष जाँच के लिए भेज देता। उस ने वह उचित नहीं समझा। किसी कूटकरण की शिकायत को संबंधित मजिस्ट्रेट या थाने को भेजना उस अदालत का ऐच्छिक कार्य था जो उस ने नहीं किया। इस काम का कोई क्रेडिट अपील अदालत को नहीं मिलता। आज कल अदालतों के समक्ष वैसे ही काम की कमी नहीं है। वे अपने काम को बढ़ाना नहीं चाहते। इस से हतोत्साहित होने का आवश्यकता नहीं है।

प को चाहिए कि आप संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आप की पत्नी और उस के भाई दोनों के विरुद्ध इस कूटकरण और उस के उपयोग के संबंध में परिवाद प्रस्तुत करें। आप के पास सबूत हैं आप इस मामले को दर्ज करवा पाएंगे। जबलपुर में आप को वकील तलाशने में परेशानी हो तो आप वहाँ श्री राजेन्द्र जैन एडवोकेट से मिल सकते हैं शायद वे आप की मदद कर सकें।

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