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राजीनामा मुकदमे के सभी पक्षकारों की सहमति और उपस्थिति में ही संभव है।

handshakeसमस्या-
मांगीलाल चौहान ने सिरोही राजस्थान से पूछा है-

मैं ने अपनी पत्नी से उस की क्रूरता के कारण न्यायालय में विवाह विच्छेद के लिए आवेदन किया है। इस आवेदन पर उस ने मुझ पर दहेज और स्त्री-धन का मुकदमा कर दिया था। जिस में चार पेशियाँ हो चुकी हैं। लेकिन वह एक बार भी अदालत में नहीं आयी। अब अदालत ने गवाहों के लिए नोटिस निकाल दिया है। 6 फरवरी 2014 को उस में सुनवाई है। दिनांक 21.01.2014 को मेरे ससुर जी का देहान्त हो गया है। मेरी पत्नी ने कोर्ट में आने से मना कर दिया है और राजीनामा करने को तैयार हो गई है लेकिन अदालत में आने से मना कर दिया है। मैं विवाह विच्छेद के मामले में राजीनामा देना चाहता हूँ और उसे अपनाना चाहता हूँ। इस के लिए मुझे क्या करना होगा? क्या मैं अदालत में लिखित में आवेदन दे सकता हूँ? मेरी पत्नी अदालत में नहीं आएगी। तो क्या उस के बिना कोर्ट में आए आवेदन दे कर राजीनामा हो सकता है? यदि हाँ तो कैसै? विवाह विच्छेद की पेशी 27.01.2014 तथा दहेज की पेशी 06.02.2014 है।

समाधान-

प की दिनांक 27.04.2014 की पेशी तो निकल गई है। आप को स्वयं ही पता लग गया होगा कि अदालत ने क्या कहा है। राजीनामा हमेशा पक्षकारों के बीच ही होता है। इस कारण से राजीनामे के लिए तो दोनों पक्षों का न्यायालय के समक्ष होना आवश्यक है। आप की समस्या मुकदमों को समाप्त कराना है। वह अन्य रीति से भी हो सकता है। विवाह विच्छेद का आवेदन आप ने दिया है। आप आवेदन में कह सकते हैं कि आप की पत्नी और आप के बीच राजीनामा हो चुका है और वह आप के साथ आ कर रहने को तैयार है इस कारण से आप अब ये मुकदमा नहीं चलाना चाहते हैं और उसे वापस लेते हैं। आप के इस आवेदन पर आप का मुकदमा इस कारण से बन्द कर दिया जाएगा कि आप स्वयं उसे चलाना नहीं चाहते।

दूसरा मुकदमा जो कि आप की पत्नी ने किया है वह एक अपराधिक मुकदमा है जो आप की पत्नी ने आप के विरुद्ध चलाया है। वह केवल आप की उपस्थिति से समाप्त नहीं हो सकता। वह आप की पत्नी के न्यायालय में उपस्थित हो कर राजीनामा कर लेने से भी समाप्त नहीं होगा। क्यों कि धारा 498-ए राजीनामे के काबिल धारा नहीं है। उस मुकदमे को खत्म कराने के लिए आप की पत्नी को न्यायालय में आकर राजीनामा पेश करना होगा उस के साथ उस के बयान होंगे कि आप के बीच गलतफहमी हो गई थी जिस के कारण उस ने यह शिकायत की थी। अब वह गलफहमी दूर हो गई है और आप दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है। इस के बाद आप को उच्च न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर वहाँ से आदेश कराना पड़ेगा। उस आवेदन के आधार पर ही यह मुकदमा समाप्त हो सकेगा।  एक रास्ता यह है कि मुकदमा चलने दिया जाए। जब कोई भी गवाह आप की पत्नी की शिकायत के पक्ष में गवाही नहीं देगा तो आप के विरुद्ध सबूत के अभाव में मुकदमा समाप्त हो जाएगा।

मारा सुझाव है कि मुकदमों को चलने दीजिए। आप पत्नी को साथ लेकर आइए और अपने साथ रखिए। जब वह आप के साथ रहने लगे तो दोनों साथ अदालत जा कर कहिए कि आप दोनों छह माह से साथ रह रहे हैं और कोई विवाद नहीं है, मुकदमे खत्म किए जाएँ। उस में बहुत आसानी हो जाएगी।

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