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रास्ते सार्वजनिक होते हैं।

समस्या-

हमारे आमने सामने दो प्लॉट हैं वो एक ही खसरा नं. में हैं और खसरा की सीमा में हैं जिसके साइड से दूसरा खसरा नं. चालू होता है। उसमे बने हुए मकान के मालिक ने हमारे रास्ते पर जो हमारे मकानों के बीच में है और उस अलग खसरा नं. वाले मकान पर ख़तम हो जाता है। उस दूसरे खसरा नं. वाले ने हमारी तरफ रास्ता निकाल लिया है। वो रास्ता हमारे खसरा नं. में ख़तम होता है। जबकी उसका रास्ता उसके दूसरे खसरा नं. में है जो कि उसके फ्रंट में है और हमारी तरफ उसने अपने मकान के बैक में कमरे में से गेट निकाला है मुझे कुछ सलाह दे हमारा वकील भी दम नहीं दिखा रहा जब कि दोनों खसरा नं. अलग खाते नं. के मलिक अलग अलग हैं।

– बलराम शर्मा, जसवंत नगर भरतपुर राजस्थान 321001

 

समाधान-

ऐसा लगता है कि खेती की जमीन के मालिकों ने आप को प्लाट बेच दिए हैं और आप ने उस पर मकान बना लिए हैं। किसी भी खेती की जमीन पर बिना तहसीलदार (सरकार) की अनुमति के बिना निर्माण नहीं किया जा सकता। अभी आप के प्लाटों का भू-परिवर्तन भी नहीं हुआ है और आप लोगों को पट्टे भी नहीं बने हैं।


किसी खातेदार कृषक द्वारा अपने खाते की कृषि भूमि में भूखंड़ काट कर बेच देना और खरीददार द्वारा उस पर मकान बना लेना कानून द्वारा अनुमत नहीं है। आप को जब तक किसी नगर निकाय या ग्राम पंचायत द्वारा आपके प्लाट का पट्टा जारी नहीं कर दिया जाता तब तक आप उस प्लाट पर अवैध रूप से काबिज हैं।


जब एक खातेदार कृषक अपनी कृषि भूमि में प्लाट काट कर बेच देता है तो आम रास्ते के लिए जो जमीन छोड़ता है उस पर किसी का अधिकार नहीं होता और वह सार्वजनिक हो जाती है। इस कारण रास्ते किसी खसरे के मालिक के नहीं रह जाते हैं। रास्ते सदैव सार्वजनिक होते हैं। किसी भी भूखंड के स्वामी को उस के भूखंड से जिस तरफ भी रास्ता है अपना दरवाजा निकालने और उस से आने जाने का अधिकार है क्यों कि जिस रास्ते पर वह निकल रहा है वह सार्वजनिक है। आप अपने मामले में रास्ते को इस या उस खसरे का बता रहे हैं। यह पुरानी स्थिति है। एक बार जब उस पर रास्ता बन गया तो वह सभी का हो गया है। आप उस रास्ते पर किसी को दरवाजा निकालने और आने जाने से नहीं रोक सकते।