रिसीवर नियुक्त होने पर कृषिभूमि खाली नहीं रह सकती
|विजय कुमार पूछते हैं —–
मेरे पिताजी चार भाई हैं, चारों भाइयों में जमीनी विवाद चल रहा है। विवाद के चलते मेरे पिताजी ने एसडीएम से प्रार्थना कर के धारा 145/146 दं.प्र.संहिता की कार्यवाही करवाई है जिस के अंतर्गत तहसीलदार को भूमि का रिसीवर नियुक्त कर दिया है। उसी भूमि में हमारा घर है जो कि धारा 145/146 से मुक्त है। तहसीलदार हर छह माह बाद उस भूमि की कृषिकार्य हेतु नीलामी करता है। मेरे चाचा तीसरे पक्ष से मिल कर सर्वाधिक नीलामी लगवा कर उस भूमि को उठवा लेते हैं फिर तीसरे पक्ष को हम से लड़वा देते हैं। एक बार 107,151 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत मेरे पिताजी और मेरे दो भाइयों के चालान भी हो चुके हैं। क्या कोई ऐसा उपाय है जिस से जमीन की नीलामी न हो और वह खाली रह जाए?
उत्तर —
विजयकुमार जी,
आप के पिता और चाचाओं में अपनी पैतृक भूमि के स्वामित्व और बंटवारे के संबंध में विवाद है। चूंकि विवाद हल नहीं हो रहा है और लगातार उस के कारण अशांति रहती है इस कारण से आप के पिता ने आवेदन दे कर रिसीवर नियुक्त करवा दिया है। रिसीवर का दायित्व है कि वह उस के कार्यकाल के दौरान उस पर खेती करवाता रहे और उस से होने वाली आय को सरकारी खाते में जमा करता रहे, जिस से निर्णय हो जाने पर भूमि के वास्तविक हकदार को उस आय को लौटाया जा सके। रिसीवर तहसीलदार के पास इस आय को अर्जित करने का काम उस भूमि को अस्थाई रूप से कृषिकार्य के लिए किराए पर देना है। वह इस काम को लगातार करता है। विवादित पक्ष स्वयं इस नीलामी में भाग नहीं ले सकते क्यों कि इस से फिर अशांति हो सकती है।
लेकिन आप का कहना है कि आप के चाचा अपने इच्छित व्यक्ति के माध्यम से उस भूमि को किराए पर उठवा देते हैं और फिर उस के माध्यम से आप से झगड़ा करवा कर 107/151 दं.प्र.सं. की कार्यवाही करवाते हैं। यह कार्यवाही कोई दांडिक कार्यवाही नहीं है। यह केवल शांति बनाए रखने के उद्देश्य से की गई कार्यवाही है जिस में आप को इस बात के लिए बंधपत्र देना होता है कि आप शांति बनाए रखेंगे। यदि आप के विरुद्ध यह मिथ्या शिकायत की गई है तो आप संबंधित कार्यवाही में साबित कर सकते हैं कि आप के विरुद्ध की गई कार्यवाही मिथ्या है। यदि आप को लगता है कि झगड़ा आप के चाचा और उन के मित्र करते हैं तो आप भी इन्हीं धाराओं के अंतर्गत एसडीएम के न्यायालय में उन के विरुद्ध शिकायत कर सकते हैं जिस से उन्हें भी शांति बनाए रखने के लिए बंधपत्र देना होगा। इस के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं है।
एक बार रिसीवर नियुक्त हो जाने के उपरांत वह तो भूमि को कृषिकार्य के लिए नीलामी पर उठाएगा। भूमि रिक्त नहीं रह सकती। उस का कृषिकार्य के लिए तो उपयोग होगा ही। हाँ कोई व्यक्ति उस भूमि को नीलामी में प्राप्त कर कृषि कार्य न करे तो ही भूमि खाली रह सकती है, लेकिन उस व्यक्ति को नीलामी में तय हो चुकी किराए की राशि तो राजकोष में जमा करनी होगी। जिस के लिए न आप तैयार होंगे और न कोई और। इस का उपाय तो यही है कि विवाद किसी भी तरह से जल्दी हल हो जाए। न्यायालय से तो इस में जो समय लगता है लगेगा। हाँ यदि आप के पिता और चाचा चाहें तो आपस में मिल बैठ कर समझौता कर लें तो विवाद जल्दी हल हो सकता है।
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5 Comments
रिसीवर नीलामी नहीं कर रहा पहेली बार नीलामी की बोली होने के बाद kancil कर दी दूसरी बार डेट दे कर कैंसिल कर दी अब केह ह की कीमित का १०°\° extra लगने पर ही hogi
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shrimaan ji, aapne bahut acchi salah di hai. aapki uprokat jaankari se kafi logo ko labh hoga. esha mera vichar hai. vese jayada se jayada vivad mil kar ho jane chahiye magar kai bar dusra pakhs jukana hi chahta nahi hai,jabki uske saat koi anayey nahi ho raha hota hai.
बिलकुल सही सलाह जी धन्यवाद