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लोक न्यूसेंस और व्यक्तिगत न्यूसेंस के लिए एक ही वाद प्रस्तुत किया जा सकता है?

समस्या-

सुजानगढ़, राजस्थान से राजाराम ने पूछा है-

क्या लोक न्यूसेन्स और निजि न्यूसेन्स के लिए दीवानी वाद एक साथ धारा 91 तथा आदेश 7 नियम 1 के अंतर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है? और क्या इस वाद में क्या किसी कनवर्शन आदेश जो स्टोन क्रेसर स्थापित करने के लिए दिया गया हो उसे शून्य व अवैध घोषित किया जा सकता है?  यदि उस कनवर्शन आदेश का प्रीमियम 35000 रुपए हो तो वह दावा किस न्यायालय में प्रस्तुत होगा? और इस प्रकार के दावे में न्यायालय शुल्क 30 रुपया ही देनी होगी या मूल्यांकन के आधार पर देनी होगी?

समाधान-

Code of Civil Procedureप का आभार कि आप ने बहुत उपयोगी प्रश्न किए हैं।  ये सभी प्रश्न आम जनता के अधिकारों से संबंधित हैं और इन की जानकारी होने के उपरान्त सामान्य नागरिक जनहित के मामलों में न्यायालय के समक्ष अपना वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।

दि किसी न्यूसेंस से एक व्यक्ति या कुछ व्यक्ति परेशान हों तो वे व्यक्ति जो उस न्यूसेंस से हानि उठा रहे हैं या उठा सकते हैं वे न्यायालय में उस न्यूसेंस को हटाने तथा उस के विरुद्ध निषेधाज्ञा जारी करने के लिए वाद ला सकते हैं।  लेकिन यदि किसी न्यूसेंस से आम जनता को कोई नुकसान पहुँच रहा हो और वादीगण को कोई व्यक्तिगत हानि न हो रही तो भी वह धारा 91 दी.प्र.संहिता के अन्तर्गत वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। धारा 91 में यह उपबंधित किया गया है कि यदि किसी लोक न्यूसेंस का या अन्य दोषपूर्ण कार्यों की दशा में जिन से लोक पर प्रभाव पड़ता है या पड़ना संभव है तो वे घोषणा या निषेधाजा या किसी अन्य अनुतोष के लिए कोई भी दो व्यक्ति चाहे उन्हें उस दोषपूर्ण कृत्य से कोई व्यक्तिगत विशेष नुकसान नहीं हो रहा है न्यायालय की अनुमति से संस्थित कर सकते हैं।

दि किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से भी हानि हो रही हो तो वह तो अकेला भी बिना न्यायालय की अनुमति के ऐसा वाद प्रस्तुत कर सकता है। लेकिन यदि वह एक व्यक्ति को और अपने साथ वादी के रूप में वाद प्रस्तुत करने के लिए तैयार कर ले तो न्यायालय की अनुमति से लोक न्यूसेंस के लिए भी वाद प्रस्तुत कर सकता है।  इस वाद में यह नहीं देखा जाएगा कि वादीगण को व्यक्तिगत रूप से कोई नुकसान हो रहा है या नहीं।  इस कारण धारा 91 के अंतर्गत वाद प्रस्तुत करना अधिक लाभदायक है और व्यक्तिगत न्यूसेंस और लोक न्यूसेंस के लिए वाद एक ही वाद प्रस्तुत किया जा सकता है।

दि वाद केवल घोषणा और निषेधाज्ञा के लिए ही है तो उस पर घोषणा के लिए न्यूनतम न्याय शुल्क 20 रुपया निर्धारित है और घोषणा के लिए निश्चित मूल्यांकन 400 रूपया है। जिस पर न्यायशुल्क रुपए 2.5 प्रतिशत की दर से 10 रुपया देय है।  इस तरह ऐसा वाद रुपए 30 न्यायशुल्क पर प्रस्तुत किया जा सकता है।  ऐसा वाद सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड के न्यायलय में प्रस्तुत होगा।

मेरी राय में इस वाद में मूल्यांकन कनवर्जन के प्रीमीयम पर करने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्यों कि वाद न्यूसेंस के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है, जिस से कनवर्जन प्रभावित हो रहा है। लेकिन यदि आप कनवर्जन को ही चुनौती देना चाहते हैं और उसे शून्य तथा अवैध घोषित कराना चाहते हैं तो आप को मूल्यांकन 35000 की राशि पर ही करना होगा। तब वाद का मूल्यांकन 35400 हो जाएगा।  तब आप को वाद पर रुपए 1905 न्याय शुल्क देनी होगी। तब उक्त वाद का मूल्यांकन अधिक हो जाने के कारण आप को वाद सिविल न्यायालय वरिष्ठ खंड के न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।