वयस्क पुत्र पर पिता का अधिकार
|मोहित जी,
आप की पत्नी और पुत्र आप से अलग रह रही है और अब वह तलाक चाहती है, बदले में कुछ धन और मकान का एक भाग ही उसने मांगा है। इस तरह उस ने अपने लिए आजीवन एक मुश्त भरण-पोषण की मांग की है। यदि इस शर्त के साथ सहमति से तलाक होता है कि वह भविष्य में कुछ भी न मांग करेगी तो सामान्य परिस्थितियों में आप की कोई देनदारी नहीं रहेगी। लेकिन यदि आप की पत्नी पुनर्विवाह नहीं करती है और अत्यंत असामान्य परिस्थितियों में वह जीवन यापन में असमर्थ हो जाती है तो आप से पुनः निर्वाह-भत्ते की मांग कर सकती है। यदि परिस्थितियाँ असामान्य हुई तो अदालत भी आप की पत्नी को भरण पोषण भत्ता देने का आदेश दे सकता है। लेकिन सामान्य परिस्थितियों में आप की पत्नी आप से कुछ न मांग सकेगी।
जहाँ तक पुत्र का सम्बंध है। उस का इस तलाक से कोई संबंध नहीं है। वह आप दोनों का पुत्र है और दोनों के साथ रह सकता है। जब तक वह 18 वर्ष का न हो जाए वह आप से अपने भरण पोषण के लिए राशि प्राप्त कर सकता है। उस के वयस्क हो जाने पर वह यह भी नहीं मांग सकता है। वह आप के साथ रहेगा या वह आप के परिवार की परंपराओं का निर्वाह करेगा या नहीं यह कोई नहीं बता सकता। यह तो उस की खुद की इच्छा पर निर्भर करता है।
यदि आप के पास कोई ऐसी संपत्ति है जो कि आप को उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है तो उस में आप के पुत्र का भी हिस्सा है। उसे उस के उस हिस्से से पृथक नहीं किया जा सकता। लेकिन आप की जो भी संपत्ति आप की स्वयं की अर्जित की हुई है, आप अपने जीवन काल में उस के स्वामी हैं। उस में से आप का पुत्र कुछ भी नहीं ले सकता है। यदि आप ने अपनी स्वअर्जित संपत्ति के संबंध में कोई वसीयत की हो तो उस के अनुसार और नहीं की हो तो फिर आप के जीवनकाल के उपरांत उस संपत्ति में उत्तराधिकार के कानून के अनुसार आप का पुत्र उस का हिस्सा प्राप्त करेगा। जहाँ तक बेटे पर अधिकार का प्रश्न है, तो बेटे के वयस्क होने पर आप का अधिकार बेटे पर उतना ही होगा, जितना प्यार से आप का बेटा स्वयं मानता है। हाँ, यदि आप अशक्त हो जाएँ तो आप को बेटे से अपने लिए गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार रहेगा।
बहुत अच्छी राय
अच्छी सलाह.