वितरक के विरुद्ध खुदरा व्यापारियों की सामुहिक सौदेबाजी तो उन का जनतांत्रिक अधिकार है।
|समस्या-
सिद्दीकी ने मेरठ टाउन उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मैं मेरठ में एक मोबाइल कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर हूँ। मुझ से आस-पास के क्षेत्र के रिटेलर जुड़े हुए है जो डिस्ट्रीब्यूटर से सिम, रिचार्ज, टॉप-अप, आदि खरीदते हैं और उन्हें कस्टमर को बेचते हैं। ये सिल-सिला पिछले 5 वर्षो से चलता आ रहा है। इसी बीच कुछ रिटेलर बंधुओ ने एक अवैध मोबाइल यूनियन बना ली। उसके बाद सभी रिटेलर उस यूनियन से जुड़ गए। ये यूनियन कहीं भी पंजीकृत नहीं है। इस अवैध यूनियन में कुछ राजनैतिक किस्म के रिटेलर भी मौजूद हैं जो डिस्ट्रीब्यूटर के अंडर में काम करते है (डिस्ट्रीब्यूटर से ही सिम, रिचार्ज, लेते हैं)। ये यूनियन डिस्ट्रीब्यूटर की बिज़नेस की छोटी-छोटी बातों को लेकर आये दिन हड़ताल कर देती है और जबरदस्ती सभी रिटेलर के फेलेक्सी सिम (जिससे रिचार्ज होता है) लेकर उन्हें हड़ताल करने के लिए मजबूर करते हैं और मार्किट में सिम रिचार्ज आदि बेचने नहीं देतें हैं। और ये यूनियन डिस्ट्रीब्यूटर के खिलाफ रिटेलर को भड़काती रहती हैं और अपनी मनमानी पर उतारू रहती है जिससे डिस्ट्रीब्यूटर का बिजनेस का नुक्सान होता है, डिस्ट्रीब्यूटर को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। यूनियन के पदाधिकारी कहते है कि तुम कुछ भी कहीं भी शिकायत कर लो कुछ नहीं हो सकता। इस पूरे विवरण में क्या कानूनी कार्यवाही हो सकती है और इसकी शिकायत कहाँ पर करनी है? क्या यूनियन का किसी विभाग में पंजीकर्त होना जरुरी है। क्या यूनियन का लैटर हैड होना जरुरी है। अगर ये यूनियन किसी भी विभाग में पंजीकृत नहीं है तो इस अवैध यूनियन के खिलाफ क्या कानूनी कार्यवाही हो सकती है और कहाँ पर करनी है? डिस्ट्रीब्यूटर अपने बचाव में क्या कर सकता है और कहाँ वाद दायर कर सकता है?
समाधान-
यह तो व्यापार में होता है। डिस्ट्रीब्यूटर सभी रिटेलर्स को अपनी शर्तों पर माल देता है। जब कि रिटेलर चाहता है कि उसे माल उस की शर्तों पर मिले। डिस्ट्रीब्यूटर तो इलाके में एक ही है इस कारण वह एकाधिकारी व्यवहार करता है। रिटेलर अपनी शर्तों पर माल लेने के लिए सामुहिक रूप से कार्यवाही करने के लिए सौदेबाजी करते हैं। सामुहिक सौदेबाजी तो उनका अधिकार है। हड़ताल करने के लिए रिटेलर अपनी अनौपचारिक यूनियन बना सकते हैं या उसे ट्रेड यूनियन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत भी करवा सकते हैं। यदि वे अपनी यूनियन को पंजीकृत करवा लेते हैं तो उन्हें कुछ और अधिकार प्राप्त हो सकते हैं। यदि उन की यूनियन पंजीकृत नहीं है तो वे सारे मिल कर सामुहिक रूप से आप के साथ सौदेबाजी कर सकते हैं। सामुहिक रुप से कोई कार्य करना या न करना किसी तरह से अवैध नहीं है जब तक कि वह कार्य किसी कानून के अंतर्गत अवैध नहीं हो।
बहुत सारे रिटेलर्स कुछ रिटेलरों के फैलेक्सी सिम एक स्थान पर रखवा लेते हैं जिस से वे आगे रिचार्ज नहीं कर सकते। लेकिन यदि कोई रिटेलर अपनी इच्छा से किसी एक के पास अपना फेलेक्सी सिम रख देता है तो यह किसी प्रकार अवैध नहीं है। लेकिन यदि किसी को फैलेक्सी सिम रखने के लिए बाध्य किया जाता है तो यह अवैध है और पीड़ित व्यक्ति अर्थात संबंधित रिटेलर इस की शिकायत पुलिस थाना में करवा सकता है। आप उस रिटेलर की मदद कर सकते हैं।
आप अधिक से अधिक यह कर सकते हैं कि किसी भी तरह की अवैध कार्यवाही को न करने के लिए अपने रिटेलरों के विरुद्ध दीवानी न्यायालय से निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन उस में आप को सभी रिटेलर्स को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाना पड़ेगा जो बहुत परेशानी तलब होगा। इस सम्बन्ध में आप किसी अच्छे स्थानीय दीवानी मामलों के वकील से मिल कर सलाह करें तो बेहतर होगा।