DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

विधि शिक्षा की अव्यवस्था

 निशान्तधर दुबे ने अपनी व्यथा इस तरह व्यक्त की है–

सर !

मैं भोपाल विश्वविद्यालय में एलएल .एम. का विद्यार्थी हूँ।  यूजीसी के अनुसार विधि महाविद्यालयों में शिक्षक एलएल.एम. होना चाहिए। लेकिन विधि महाविद्यालय शिक्षकों को उचित वेतन प्रदान नहीं करते। एलएल. बी. कोर्स में एडहोक अध्यापक होते हैं जो ठीक से नहीं पढ़ाते हैं। अधूरी शिक्षा प्राप्त स्नातक किस तरह औरों को न्याय दिलाने में सहायता कर सकते हैं। यह एक सामाजिक समस्या है। क्या विधि शिक्षा के मामले में राज्य की बार कौंसिल  कुछ नहीं कर सकती? फिर इस का दायित्व किस का है?

उत्तर

निशान्त जी,

प सही कहते हैं कि विधि महाविद्यालयों में शिक्षा की व्यवस्था में बहुत अव्यवस्थाएँ हैं। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से शिक्षा का निजिकरण हुआ है। निजि संस्थाओं को अन्य विषयों के साथ-साथ  विधि महाविद्यालय स्थापित करने की अनुमति मिली है। यहाँ राजस्थान में जितने महाविद्यालय स्थापित हुए थे बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा कराए गए निरीक्षणों के उपरांत अधिकांश को बंद कर दिया गया क्यों कि वे विधि महाविद्यालय के लिए स्थापित मानदंड़ों पर खरे नहीं उतरे थे। 
देश भर में विधि शिक्षा पर नियंत्रण रखने का काम राज्य बार कौंसिलों का न हो कर बार कौंसिल ऑफ इंडिया का है। विधि के मामले में दो तरह की शिक्षा का प्रचलन है। एक तो पाँच वर्ष का एलएल.बी. और स्नातक स्तर का संयुक्त पाठ्यक्रम है जिस में विद्यार्थी 12 वर्षीय शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत प्रवेश पा सकता है। दूसरा परंपरागत पाठ्यक्रम है जिस में कोई भी स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी प्रवेश पा सकता है। अब बार कौंसिल ऑफ इंडिया इस पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है कि त्रिवर्षीय पाठ्यक्रमों को समाप्त किया जा कर केवल पांचवर्षीय पाठ्यक्रम ही रखे जाएँ। लेकिन  पंचवर्षीय पाठ्यक्रम के लिए पर्याप्त संख्या में पृथक से विधि महाविद्यालय स्थापित न हों और उन का स्तर उस योग्य न हो तब तक त्रिवर्षीय पाठ्यक्रमों को बंद कर पाना संभव नहीं है।
दि आप को किसी वर्तमान महाविद्यालय में चल रही विधि शिक्षा की व्यवस्था से शिकायत है तो आप उस संबंध में अपनी शिकायत बार कौंसिल ऑफ इंडिया को प्रेषित कर सकते हैं। आप की शिकायत पर अवश्य ही कार्यवाही होगी। 
Print Friendly, PDF & Email
Tags:
3 Comments